शिक्षा कभी साधारण नहीं रहती, प्रलय और निर्माण उसकी गोद में खेलते हैं
जो गुरू शिष्य को एक अक्षर का भी ज्ञान देता है, उसके ऋण से मुक्त होने के लिए, उसे देने योग्य पृथ्वी में कोई पदार्थ नहीं है
शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है, एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता है, शिक्षा सौन्दर्य और यौवन को परास्त कर देती है
वे जिनके ज्ञान पुस्तकों तक सीमित हैं और जिनके धन दूसरों के कब्जे में है, वो आवश्यकता होने पर भी दोनों में से किसी का उपयोग नहीं कर पाते
आचार्य चाणक्य अपने नीतिशास्त्र में एक श्लोक के माध्यम से कहते हैं कि, शिक्षा के बिना मनुष्य का जीवन कुत्ते की पूंछ की तरह होता है. जिसका कोई अस्तित्व नहीं होता. अनपढ़ व्यक्ति का समाज में कोई महत्व नहीं होता, ऐसे व्यक्ति को लोग बोझ की तरह देखते हैं
चाणक्य कहते हैं कि शिक्षा से ही व्यक्ति को सही और गलत का ज्ञान होता है. शिक्षा का अभाव होने पर व्यक्ति सही और गलत को परखने में नाकामयाब होता है. एक शिक्षित व्यक्ति आसानी से सही और गलत का पता लगा सकता है.