गणेश जी की पूजा में मोदक का भोग अर्पित किया जाता है. बप्पा को प्रसन्न करने लिए लोग मोदक चढ़ाते है. हालांकि हर कोई जानना चाहता है कि गणेश जी को मोदक इतना प्रिय क्यों है.
भगवान गणेश जी | Prabhat Khabar Graphics
एक बार युद्ध में परशुराम ने शिव जी द्वारा दिए गए परशु से गणेश जी पर प्रहार कर दिया. जिससे गणेश जी का एक दांत टूट गया. दांत टूटने से खाने चबाने में परेशानी होने लगी तो गणेश जी ने पेट भर कर मोदक खाए. तभी से मोदक गणपति का प्रिय व्यंजन बन गया.
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दूसरी कथा के अनुसार एक बार गणपति जी माता पार्वती और भगवान शिव के साथ अनुसुइया के घर गए थे. माता अनुसुइया ने गणेश जी को मोदक का एक टुकड़ा खिला दिया, तब से मोदक गणपति का प्रिय व्यंजन कहा जाने लगा.
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तीसरी कथा के अनुसार गणेश जी को अगर 21 मोदक चढ़ाएं जाते हैं तो उनके साथ साथ बाकी के सभी देवी- देवताओं का पेट भी भर जाता है, जिससे गणेश जी के साथ अन्य सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है.
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गणेश जी हमेशा खुश रहते हैं और अपने भक्तों के कष्टों को दूर कर उनके जीवन में भी खुशी लाते हैं, इसीलिए गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. भगवान गणेश को खुश करने के लिए भक्त मोदक का भोग लगाते हैं.
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गणेश जी को जब अमृत से बने दिव्य मोदक के बारे में पता चला तो उनके मन में इसे खाने की इच्छा हुई. उन्होंने माता पार्वती से मोदक प्राप्त कर उसे खाया और तभी से उन्हें मोदक प्रिय हो गया.
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