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डॉक्टरों का मानना है कि बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना जरूरी है. आज की लाइफस्टाइल में बच्चे भी काफी व्यस्त हो गये हैं.
बच्चे जब बीमार पड़ते हैं, तो उनमें पानी की कमी पायी जाती है. इससे शारीरिक व मानसिक तौर पर भी कमजोर होते हैं. विद्यार्थियों की बेहतर सेहत के लिए ही यह निर्णय लिया गया है.
झारखंड की राजधानी रांची के सरकारी स्कूलों में तीन बार पानी की घंटी बज रही है. पहली घंटी स्कूल असेंबली के बाद क्लास लौटते ही बजती है.
दूसरी घंटी लंच ब्रेक से आधे घंटे पहले और तीसरी घंटी लंच ब्रेक के बाद शुरू हुई कक्षा के खत्म होने पर यानी 25 मिनट बाद बजती है.
खास बात है कि पानी की घंटी का खास सिग्नल तैयार किया गया है. इसमें घंटी सिर्फ तीन बार बजायी जाती है. बच्चों को नियमित पानी की बोतल लाने की हिदायत दी गयी है.
घड़े के पानी से मिल रही ठंडक गर्मी में बच्चों को पानी पीने के लिए धूप में न जाना पड़े, इसके लिए कई स्कूलों ने क्लासरूम में मिट्टी के घड़े की व्यवस्था की है.
बालकृष्ण प्लस 2 स्कूल में वाटर बेल के दौरान बच्चे खुद की बोतल में पानी पीते हैं. जो बच्चे बोतल नहीं लाते, वह स्कूल में रखे वाटर प्यूरीफायर से पानी पी रहे हैं.
राजकीयकृत मध्य विद्यालय कोकर में खासतौर पर सभी कक्षाओं में पानी का घड़ा रखा गया है. यहां समाजसेवियों और शिक्षकों ने सहयोग किया. एक-दो कक्षा में बच्चों ने खुद घड़े की व्यवस्था की है.