केरल और कर्नाटक की तरह झारखंड के सरकारी स्कूलों में भी बजने लगी ‘पानी की घंटी’, जानें इसके फायदे

Prabhat khabar Digital

डॉक्टरों का मानना है कि बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना जरूरी है. आज की लाइफस्टाइल में बच्चे भी काफी व्यस्त हो गये हैं.

झारखंड के सरकारी स्कूलों में बज रही ‘पानी की घंटी’. | Sunil Gupta

बच्चे जब बीमार पड़ते हैं, तो उनमें पानी की कमी पायी जाती है. इससे शारीरिक व मानसिक तौर पर भी कमजोर होते हैं. विद्यार्थियों की बेहतर सेहत के लिए ही यह निर्णय लिया गया है.

झारखंड के सरकारी स्कूलों में बज रही ‘पानी की घंटी’. | Sunil Gupta

झारखंड की राजधानी रांची के सरकारी स्कूलों में तीन बार पानी की घंटी बज रही है. पहली घंटी स्कूल असेंबली के बाद क्लास लौटते ही बजती है.

झारखंड के सरकारी स्कूलों में बज रही ‘पानी की घंटी’. | Sunil Gupta

दूसरी घंटी लंच ब्रेक से आधे घंटे पहले और तीसरी घंटी लंच ब्रेक के बाद शुरू हुई कक्षा के खत्म होने पर यानी 25 मिनट बाद बजती है.

झारखंड के सरकारी स्कूलों में बज रही ‘पानी की घंटी’. | Sunil Gupta

खास बात है कि पानी की घंटी का खास सिग्नल तैयार किया गया है. इसमें घंटी सिर्फ तीन बार बजायी जाती है. बच्चों को नियमित पानी की बोतल लाने की हिदायत दी गयी है.

झारखंड के सरकारी स्कूलों में बज रही ‘पानी की घंटी’. | Sunil Gupta

घड़े के पानी से मिल रही ठंडक गर्मी में बच्चों को पानी पीने के लिए धूप में न जाना पड़े, इसके लिए कई स्कूलों ने क्लासरूम में मिट्टी के घड़े की व्यवस्था की है.

झारखंड के सरकारी स्कूलों में बज रही ‘पानी की घंटी’. | Sunil Gupta

बालकृष्ण प्लस 2 स्कूल में वाटर बेल के दौरान बच्चे खुद की बोतल में पानी पीते हैं. जो बच्चे बोतल नहीं लाते, वह स्कूल में रखे वाटर प्यूरीफायर से पानी पी रहे हैं.

झारखंड के सरकारी स्कूलों में बज रही ‘पानी की घंटी’. | Sunil Gupta

राजकीयकृत मध्य विद्यालय कोकर में खासतौर पर सभी कक्षाओं में पानी का घड़ा रखा गया है. यहां समाजसेवियों और शिक्षकों ने सहयोग किया. एक-दो कक्षा में बच्चों ने खुद घड़े की व्यवस्था की है.

झारखंड के सरकारी स्कूलों में बज रही ‘पानी की घंटी’. | Sunil Gupta