देश में शुरू हुई इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति, 2030 तक इन गाड़ियों की इतनी हो जायेगी हिस्सेदारी

Prabhat khabar Digital

देश में इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति की शुरुआत हो चुकी है और सरकार का लक्ष्य यह है कि साल 2030 तक देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या इतनी बढ़ा दी जाये कि कच्चे तेल पर हमारी निर्भरता काफी कम हो जाये और कार्बन का उत्सर्जन भी कम हो.

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देश में दोपहिया एवं तिपहिया वाहनों की संख्या 80 प्रतिशत करने का लक्ष्य है क्योंकि परिवहन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन कम करने की तत्काल जरूरत है.

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गडकरी ने कहा कि अगर इलेक्ट्रिक वाहन बिक्री 2030 तक दोपहिया और कारों के खंड में 40 प्रतिशत और बसों के लिए 100 प्रतिशत के करीब पहुंच जाती है, तो भारत कच्चे तेल की खपत को 15.6 करोड़ टन कम करने में सक्षम होगा जिसकी कीमत 3.5 लाख करोड़ रुपये है.

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पर्यावरण की सुरक्षा के लिए परिवहन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन कम करने की सख्त जरूरत है. इसलिए इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है.

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नितिन गडकरी ने बताया कि अमेरिकी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला को भी यह कहा है कि वे भारत आकर इलेक्ट्रिक वाहन बनायें, सरकार उन्हें हर संभव मदद करेगी.

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नितिन गडकरी ने इस मौके पर टाटा मोटर्स के कार की तारीफ भी की. गौरतलब है कि देश में टाटा मोटर्स, एमजी मोटर्स, मारुति और हुंडई कंपनी इलेक्ट्रिक कार बना रही हैं, हालांकि लाॅन्च अभी सिर्फ टाटा कंपनी की कार ही हुई है.

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