प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण और सीता 10 सालों तक ऋषि-मुनियों के आश्रम में रहे, वे सभी आश्रम दंडकारण्य में थे.
प्रभु श्रीराम-लक्षमण और सीता | सोशल मीडिया
दंडकारण्य घनघोर जंगल था, जहां जंगली जानवरों और राक्षसों का डर हमेशा बना रहता था.
प्रभु श्रीराम-लक्षमण और सीता | सोशल मीडिया
चित्रकूट से आगे जंगल में इंट्री के पहले अत्रि ऋषि के आश्रम में जुटे ऋषियों ने राम से अनुरोध किया था कि वे राक्षसों से मुक्ति दिलाएं.
प्रभु श्रीराम-लक्षमण और सीता | सोशल मीडिया
इन 10 सालों में राम ने पूरे छत्तीसगढ़ से राक्षसों का सफाया कर दिया, जिसके बाद वह आंध्र के रास्ते साउथ की ओर बढ़े.
प्रभु श्रीराम-लक्षमण और सीता | सोशल मीडिया
प्रभु श्रीराम, सीता और लक्ष्मण ने अपना वनवास बिताया था. यह वन लगभग 35,600 वर्ग मील में फैला हुआ था.
प्रभु श्रीराम-लक्षमण और सीता | सोशल मीडिया
वर्तमान में वह जंगल छत्तीसगढ़, उड़ीसा, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश के कुछ हिस्से शामिल है.
प्रभु श्रीराम-लक्षमण और सीता | सोशल मीडिया
वन सबसे भयंकर राक्षसों का घर माना जाता था, इसलिए इसका नाम दंडकारण्य था.
प्रभु श्रीराम-लक्षमण और सीता | सोशल मीडिया