आपकी आंखों से एक बार फिर आंसू निकालने को तैयार है प्याज, त्योहारों में लजीज व्यंजनों का जायका हो सकता है खराब

Prabhat Khabar Digital Desk

Onion price hike again in festive season : इस साल के त्योहारों के दौरान लजीज व्यंजनों का स्वाद चखने का मन बना रहे लोगों की मुराद शायद पूरी नहीं हो पाएगी. इसका कारण यह है कि व्यंजनों के जायके को लजीज बनाने वाला प्याज एक बार फिर देश के आम उपभोक्ताओं को आंखों से कीमती आंसू निकालने को तैयार है. इसके पीछे अनिश्चित मानसून को अहम कारक बताया जा रहा है, जिस वजह से देश की मंडियों में इसकी नई फसल को आने में देर हो सकती है.

| फोटो : ट्विटर.

क्रिसिल रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्याज की खरीफ फसल के आने में देरी और चक्रवाती तूफान तौकते की वजह से बफर स्टॉक में रखा माल खराब हो गया. इस वजह से इसकी कीमत में बढ़ोतरी होने की संभावना है. क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल के त्योहारी सीजन में साल 2018 के मुकाबले इस साल भी प्याज की कीमतों में 100 फीसदी तक इजाफा हो सकता है.

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रिपोर्ट के अनुसार, प्याज उत्पादक राज्यों में अग्रणी महाराष्ट्र में खरीफ फसल की रोपाई में आई चुनौतियों की वजह से इसकी कीमत में 30 रुपये किलो से अधिक इजाफा होने की संभावना है. हालांकि, उम्मीद यह जाहिर की जा रही है कि इस साल के त्योहारी सीजन में इसका भाव 2020 के खरीफ फसल के उच्च आधार के कारण साल-दर-साल (1-5 फीसदी) से थोड़ा कम रह सकता है.

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क्रिसिल रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि बारिश में कमी के कारण नई फसल आने में देरी के बाद अक्टूबर-नवंबर के दौरान प्याज की कीमतें रिकॉर्ड हाई पर पहुंच सकती हैं. इसके पीछे असली वजह यह बताई जा रही है कि रोपाई के लिए महत्वपूर्ण महीना अगस्त में मानसून की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ.

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क्रिसिल रिसर्च की रिपोर्ट में उम्मीद जाहिर की गई है कि खरीफ 2021 का उत्पादन साल-दर-साल तीन फीसदी बढ़ेगा. हालांकि, महाराष्ट्र से प्याज की फसल देर से आने की उम्मीद है. हालांकि, यह बात दीगर है कि रोपाई का रकबा बढ़ने, बेहतर पैदावार, बफर स्टॉक और अपेक्षित निर्यात प्रतिबंधों से कीमतों में मामूली गिरावट भी आ सकती है.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल के त्योहारी सीजन में प्याज की कीमतें 2018 के मुकाबले दोगुनी हो गई थीं. इसका प्रमुख कारण आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में खरीफ फसल को नुकसान पहुंचने और अनिश्चित मानसून की वजह से सप्लाई में ही बाधा पैदा हो गई थी. इस साल भी प्याज की खरीफ फसल के आने में दो से तीन हफ्ते की देर होने की संभावना है, जिसका असर इसकी कीमतों पर पड़ सकता है.

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हालांकि, प्याज की कीमतों को कंट्रोल में रखने के लिए सरकार की ओर से कई प्रकार के कदम भी उठाए जा चुके हैं. इसमें वित्तवर्ष 2022 के लिए प्याज के लिए निर्धारित दो लाख टन का बफर स्टॉक शामिल है. बता दें कि प्याज के लिए नियोजित बफर स्टॉक का करीब 90 फीसदी हिस्सा खरीद लिया गया है, जिसमें सबसे अधिक योगदान महाराष्ट्र (0.15 मिलियन टन) का है.

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