Bhadrapad Amavasya 2023: सनातन धर्म में अमावस्या तिथि को बहुत अहम माना जाता है. इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं तथा दान का खास महत्व है. इस साल भाद्रपद की अमावस्या पर साध्य योग तथा पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र का खास संयोग भी बनने जा रहा है.
Amavasya tithi 2023 | Prabhat khabar
भाद्रपद अमावस्या तिथि की शुरुआत 14 सितंबर 2023 को सुबह 04 बजकर 48 मिनट पर होगी और इसकी समाप्ति 15 सितंबर 2023 को सुबह 07 बजकर 09 मिनट पर होगी. इस साल भाद्रपद अमावस्या 14 सितंबर 2023 दिन गुरुवार को है.
Ashadha Amavasya 2023 | Prabhat khabar
भाद्रपद की अमावस्या के दिन स्नान-दान का विधान है. शास्त्रों के अनुसार, अमावस्या तिथि को पवित्र नदी में स्नान करने, पिंडदान व तर्पण आदि करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही पितृदोष से मुक्ति मिलती है.
रक्तदान शिविर | Prabhat khabar
भाद्रपद की अमावस्या तिथि के दिन कछुआ घर पर लाने के बाद उसकी विधिवत उपासना करें. कछुए को अपने घर की उत्तर दिशा में स्थापितक करना शुभ माना जाता है.
कछुआ | Prabhat khabar
सनातन धर्म में स्वस्तिक चिह्न को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. स्वस्तिक का चिह्न चारों दिशाओं से मंगल को आकर्षित करता है. इस दिन चांदी का स्वस्तिक घर में लेकर आने से सौभाग्य आता है.
स्वस्तिक चिह्न | Prabhat khabar
एकाक्षी नारियल, जो एक आंख वाला हो. एकाक्षी नारियल में तीन के स्थान पर केवल दो रेखाएं ही होती हैं. तो लक्ष्मी जल्दी ही प्रसन्न होती हैं और जिस घर में नारियल रहता है. वहां देवी लक्ष्मी का वास होता हैं.
एकाक्षी नारियल | Prabhat khabar
भाद्रपद अमावस्या पर कोई पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए. लेकिन भाद्रपद अमावस्या के दिन कुशा घास लाना बहुत लाभदायी माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि कुश के प्रयोग से सभी धार्मिक कार्य पूर्ण हो जाते हैं.
Kushagrahani Amavasya 2023 | Prabhat khabar
अमावस्या के दिन घर में श्री यंत्र अवश्य लेकर आना चाहिए. कहा जाता हैं कि श्री यंत्र में धन की देवी माता लक्ष्मी का वास होता है. घर में श्री यंत्र स्थापित करने से आय और सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है.
श्री यंत्र | Prabhat khabar
भाग्य और धन पाने के लिए मंदिरों या अन्य पवित्र स्थानों पर जाएं. पितरों को फल, फूल और मिठाई अर्पित करें. समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य पाने के लिए इस दिन भाद्रपद अमावस्या व्रत करें. यदि आपके कुडली में पितृ दोष है तो इसे शांत करने के लिए पूजा करें. इस दिन पिंडदान तर्पण करने का विधान है.
श्राद्ध करने का विधान | Prabhat khabar