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श्रीलंकाई अदालत ने 5 भारतीय मछुआरों को सुनाई मौत की सजा

कोलंबो : श्रीलंका की एक अदालत ने मादक द्रव्यों की कथित तस्करी के मामले में गुरुवार को पांच भारतीय मछुआरों को मौत की सजा सुनाई. भारत ने इस पर त्वरित प्रतिक्रिया जताई और इस मामले को श्रीलंकाई सरकार के साथ उठाया. भारत ने यह भी कहा कि 14 दिन के भीतर इस फैसले के खिलाफ […]

कोलंबो : श्रीलंका की एक अदालत ने मादक द्रव्यों की कथित तस्करी के मामले में गुरुवार को पांच भारतीय मछुआरों को मौत की सजा सुनाई. भारत ने इस पर त्वरित प्रतिक्रिया जताई और इस मामले को श्रीलंकाई सरकार के साथ उठाया. भारत ने यह भी कहा कि 14 दिन के भीतर इस फैसले के खिलाफ उपरी अदालत में अपील की जाएगी.

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाले इन मछुआरों को श्रीलंकाई नौसेना ने साल 2010 में मादक द्रव्यों की तस्करी के आरोप में पकडा था. कोलंबो स्थित उच्च न्यायालय ने आठ लोगों के एक समूह को मौत की सजा सुनाई है. इनमें ये पांचों भारतीय नागरिक शामिल हैं. इन लोगों को उत्तरी जाफना के तट के निकट से गिरफ्तार किया गया था.

न्यायाधीश प्रीति पदमन सुरसेना ने पांच भारतीय और तीन श्रीलंकाई नागरिकों के खिलाफ हेरोइन की तस्करी में शामिल होने को लेकर फैसला सुनाया. इधर, भारत सरकार ने कहा है कि पिछले चार वर्षों में इस मामले की पुरजोर पैरवी की गयी.

श्रीलंकाई अदालत के फैसले पर त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने नई दिल्ली में कहा, ‘‘श्रीलंका में अदालत द्वारा पांच मछुआरों के खिलाफ फैसला दिए जाने के बाद भारत ने एक बार फिर उनके निदरेष होने का मामला श्रीलंका के साथ उठाया है तथा कोलंबो में भारत का उच्चायोग फैसले के खिलाफ वकील के जरिए अपील करेगा.’’

नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने श्रीलंकाई उच्चायुक्त से बात की तथा कोलंबो में भारतीय उच्चायुक्त इस मामले को लेकर श्रीलंका की सरकार के संपर्क में हैं. प्रवक्ता ने आगे कहा कि भारत इस मामले को कानूनी और आधिकारिक स्तर पर देख रहा है तथा आगे भी ऐसा करना जारी रखेगा.

उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय मछुआरों के खिलाफ फैसले के बाद से भारत-श्रीलंका निरंतर संपर्क में हैं.’’ श्रीलंका और भारत दोनों के लिए मछुआरों का मुद्दा काफी भावनात्मक रहा है. द्रमुक और अन्नाद्रमुक सहित तमिलनाडु के राजनीतिक दल इस मामले को श्रीलंकाई सरकार के साथ गंभीरता से उठाने के लिए केंद्र पर निरंतर दबाव बनाते रहे हैं. यही नहीं, ये दल श्रीलंका में कई उच्च स्तरीय दौरों का भी विरोध करते रहे हैं.

बाद में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आगे कहा कि पांचों भारतीय मछुआरों- एमर्सन, पी अगस्तस, आर विल्सन, के. प्रसाद और जे लांगलेट ने हमेशा यही कहा है कि वे निर्दोष हैं. उन्होंने कहा कि भारत सरकार कोलंबो स्थित उच्चायोग तथा जाफना स्थित वाणिज्य दूतावास के जरिए इन मछुआरों तक हर संभव राजनयिक मदद पहुंचाने की कोशिश करते रही है.

प्रवक्ता ने कहा, ‘‘भारत सरकार इन भारतीय मछुआरों को पूरा सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है. भारतीय मछुआरों के वकील 14 दिन के भीतर अपील दायर करेंगे.’’

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