बीजिंग : चीन ने तिब्बत में समारिक महत्व की एक नई रेल लाइन बिछाने की शुक्रवार को मंजूरी दी, जो अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सीमा के नजदीक होगी. इस पर करीब छह अरब डॉलर की लागत आएगी. चीन की आधिकारिक समाचार एजेंसी शिन्हुआ की खबर के मुताबिक तिब्बत में ल्हासा को नईनगची से जोडने वाली रेल लाइन के निर्माण पर व्यवहार्यता रिपोर्ट को मंजूरी दे दी गई है.
काफी उंचाई वाली यह रेल लाइन तिब्बत में बनने वाला दूसरा रेल संपर्क होगा. इससे पहले पडोसी छिंघाई प्रांत को तिब्बत की प्रांतीय राजधानी ल्हासा से जोडने वाली छिंघाई-तिब्बत रेलवे का 2006 में परिचालन शुरु हुआ था. ल्हासा को नईनगची से जोडे जाने की योजना की घोषणा अगस्त में हुई थी। नईनगची अरुणाचल प्रदेश के शीर्ष पर दाहिनी ओर स्थित है.
राष्ट्रीय विकास एवं सुधार आयोग (एनडीआरसी) द्वारा मंजूर की गई योजना के मुताबिक सिचुआन..तिब्बत रेलवे का ल्हासा से नईनगची खंड 402 किलोमीटर का होगा. शिरोंग से ल्हासा के 32 किलोमीटर के खंड पर बिजली से ट्रेनों का परिचालन होगा. इस परियोजना पर करीब छह अरब डॉलर की लागत आएगी और इसे पूरा होने में सात साल लगेगा.
पैसेंजर ट्रेनों की निर्धारित गति 160 किलोमीटर प्रति घंटा होगी. इस रेल मार्ग पर माल ढुलाई की सालाना क्षमता एक करोड टन की होगी. इस साल अगस्त में चीन ने तिब्बत में अपने रेल मार्ग की विस्तारित लाइन का उद्घाटन किया था जो सिक्किम में भारतीय सीमा के करीब है. साथ ही यह नेपाल और भूटान सीमा के भी पास है.
ल्हासा को शिगेज से जोडने वाले 253 किलोमीटर लंबे रेल मार्ग पर करीब 2. 16 अरब डॉलर की लागत आएगी. शिगेज हिमालयी क्षेत्र में दूसरा सबसे बडा शहर है. तिब्बत में रेल का विस्तार नेपाल, भूटान और भारत को 2020 तक जोडेगा. नई रेल लाइन के निर्माण की आज की घोषणा भारत की उस योजना के मद्देनजर की गई है जिसके तहत अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में सडक नेटवर्क बेहतर किया जाना है. अरुणाचल को चीन दक्षिणी तिब्बत बताते हुए उस पर दावा करता है.
भारत की 54 से अधिक सीमा चौकियां बनाने की योजना पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए चीनी सैन्य प्रवक्ता यांग युजुन ने कल कहा था कि भारत को ऐसे कदम उठाने से बचना चाहिए जो हालात को और उलझाने वाले हो और क्षेत्र में शांति कायम रखने के लिए और अधिक प्रयास करना चाहिए.