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अनियमितता के आरोपों पर सीबीआइ ने नौ जगह मारे छापे, विश्वभारती विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति समेत पांच पर मामला

नयी दिल्ली/कोलकाता. सीबीआइ ने विश्वभारती विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति सुशांत कुमार दत्तगुप्ता और चार अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है. एक उपपंजीयक की नियुक्ति में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों का कथित रूप से उल्लंघन करने के संबंध में यह कार्रवाई की गयी है. केंद्रीय जांच एजेंसी ने मंगलवार को ही शांतिनिकेतन स्थित […]

नयी दिल्ली/कोलकाता. सीबीआइ ने विश्वभारती विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति सुशांत कुमार दत्तगुप्ता और चार अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है. एक उपपंजीयक की नियुक्ति में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों का कथित रूप से उल्लंघन करने के संबंध में यह कार्रवाई की गयी है. केंद्रीय जांच एजेंसी ने मंगलवार को ही शांतिनिकेतन स्थित विश्वभारती विवि के कार्यालय सहित नौ जगहों पर छापे भी मारे.
सीबीआइ सूत्रों ने बताया कि दत्तगुप्ता के अलावा विश्वविद्यालय के पूर्व पंजीयक डी गुनसेकरन (अब आइआइटी भुवनेश्वर के पंजीयक), वित्त अधिकारी एपी त्रिवेदी और उप पंजीयक श्यामला राय नायर के नाम भी प्राथमिकी में दर्ज हैं. सीबीआइ की प्राथमिकी इस जानकारी पर आधारित है कि इन अधिकारियों ने कथित तौर पर यूजीसी के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करके नायर को विश्वविद्यालय के उप पंजीयक के रूप में नियुक्ति की आपराधिक साजिश रची.सूत्रों ने कहा कि नायर ने कथित रूप से शिक्षा मानदंडों को पूरा नहीं किया और उनकी उम्र तय अधिकतम सीमा से सात साल अधिक है. सीबीआइ सूत्रों ने कहा कि दत्तगुप्ता सहित सभी आरोपियों के आधिकारिक एवं आवासीय परिसरों पर छापेमारी की गयी. जिसमें शांतिनिकेतन के पांच स्थल, कोलकाता में दो और भुवनेश्वर के दो स्थल शामिल हैं. सीबीआइ ने त्रिवेदी और नायर से भी पूछताछ की. हालांकि यह औपचारिक पूछताछ नहीं थी. दत्तगुप्ता को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 15 फरवरी को कुलपति पद से हटा दिया था.
सॉल्टलेक स्थित आवास पर छापा: सीबीआइ की दो सदस्यीय टीम विश्वविद्यालय पहुंची और दस्तावेजों की जांच की. टीम ने कई दस्तावेज जब्त किये. सीबीआइ की एक अलग टीम ने दत्तागुप्ता के सॉल्टलेक स्थित आवास पर छापेमारी की.
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट पर राष्ट्रपति ने हटाया पद से: इस वर्ष फरवरी में दत्तागुप्ता को राष्ट्रपति ने गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के आधार पर पद से हटा दिया था. इस रिपोर्ट में दत्तागुप्ता पर कथित तौर पर विश्वविद्यालय में वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितता बरतने का आरोप लगाया गया था. आरोप है कि दत्तागुप्ता विश्वभारती विश्वविद्यालय से वेतन और जेएनयू से पेंशन, एक साथ ले रहे थे. नियमानुसार विश्वभारती से मिलनेवाले वेतन से पेंशन की राशि को काट लिया जाना था. इसके अलावा उन पर अनियमित नियुक्तियां करने का भी आरोप था.

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