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मिरिक में पसरा है मातम, मिट्टी के ढेर में तब्दील हुआ लिम्बू झोड़ा गांव, एक ही परिवार के 11 की मौत

राहत एवं बचाव कार्य जोरों पर नेताओं का आना-जाना जारी सिक्किम के मुख्यमंत्री ने भी किया शोक प्रकट सिलीगुड़ी : दाजिर्लिंग पर्वतीय क्षेत्र में प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का असर दिखने लगा है. जंगलों की कटाई कर तेजी से बढ़ते कंक्रीट के भवनों पर प्रकृति ने अपनी नाराजगी जाहिर की है. दाजिर्लिंग पर्वतीय क्षेत्र के […]

राहत एवं बचाव कार्य जोरों पर
नेताओं का आना-जाना जारी
सिक्किम के मुख्यमंत्री ने भी किया शोक प्रकट
सिलीगुड़ी : दाजिर्लिंग पर्वतीय क्षेत्र में प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का असर दिखने लगा है. जंगलों की कटाई कर तेजी से बढ़ते कंक्रीट के भवनों पर प्रकृति ने अपनी नाराजगी जाहिर की है. दाजिर्लिंग पर्वतीय क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में बुधवार को हुए भूस्खलन ने इसका साफ संकेत दे दिया है. दाजिर्लिंग पर्वतीय क्षेत्र के तीनों महकमों में भूस्खलन ने भारी तबाही मचायी है. भूस्खलन का सबसे अधिक असर मिरिक ब्लॉक के लिम्बू झोड़ा गांव में हुआ है.
यह पूरा गांव ही एक तरह से मलबे के ढेर में तब्दील हो गया है. इस गांव तथा आसपास के इलाकों से अब तक 26 शव बरामद कर लिये गये हैं. राहत एवं बचाव का कार्य जोर-शोर से जारी है. पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है. इस भूस्खलन में जो लोग बच गये हैं, उनको स्पष्ट रूप से हैरान-परेशान देखा जा सकता है. मिरिक ब्लॉक के सिंगबुली तथा टिंगलिंग चाय बागान के बीच प्राकृतिक प्रकोप ने सबसे अधिक तांडव मचाया है.
करीब 75 घर पूरी तरह से नेस्तनाबूत हो गये हैं. मलबा हटाने का काम जोर-शोर से जारी है. इस गांव में राहत एवं बचाव कार्य में थोड़ी परेशानी भी आ रही है. सभी सड़क बंद पड़े हुए हैं. सिलीगुड़ी से गैयाबाड़ी होकर इस गांव में पहुंचना आसान है, लेकिन फुआगड़ी में भूस्खलन की वजह से रास्ता बंद है. इस गांव में पहुंचने के लिए सिलीगुड़ी से रोहिनी एवं घुम होते हुए भाया सुकियापोखरी जाना पड़ रहा है.
45 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए 120 किलोमीटर का चक्कर काटना पड़ रहा है. फिर भी प्रशासन तथा राहत एवं बचाव कार्य में लगे अधिकारी मौके पर पहुंच रहे हैं. एसएसबी के जवान एनडीआरएफ के साथ मिलकर यहां राहत एवं बचाव का कार्य कर रहे हैं. इस इलाके से अब तक जिन 26 शवों को बरामद किया गया है, उनकी पहचान कर ली गयी है. लिम्बू झोड़ा गांव से अब तक 16 शव बरामद किये गये हैं. इनकी पहचान सीतामाया सुबेदी, रामलाल सुबेदी, कृष्णा प्रसाद सुबेदी, श्रेया सुबेदी, कुमारी सुबेदी, श्लोक सुबेदी, फूलमती सुबेदी, महेश सुबेदी, देविका सुबेदी, नवराज सुबेदी तथा दीपराज सुबेदी के रूप में की गयी है.
यह सभी मृतक एक ही परिवार के हैं. इसके अलावा अन्य शवों की पहचान मोहन लाल थापा, संगीता थापा, केवल थापा, सुबेसना थापा, सुभाष आले, भागी माया आले, सुषमा आले तथा सोनी आले के रूप में की गयी है. लिम्बूझोड़ा गांव के निकट स्थित महेंद्र गांव से तीन शव बरामद किये गये हैं. इनकी पहचान पूजा कुमारी, राखी कुमारी तथा पुष्पा देवी के रूप में की गयी है. मिरिक शहर के वार्ड नंबर तीन से दो शव बरामद किये गये हैं.
इनके नाम मंगल सिंह थापा तथा सरिता थापा बताये गये हैं. सेलेमोड़ से अंजलि थापा नामक एक महिला का शव बरामद किया गया है. पूरे गांव में हर ओर तबाही का मंजर साफ-साफ देखा जा सकता है. बुधवार दिन से ही राहत एवं बचाव का कार्य जोर-शोर से जारी है. प्राकृतिक आपदा के इस हृदयविदारक दृश्य को देखकर सभी लोग गमगीन हैं. इस बीच, भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में नेताओं का आना-जाना जारी है.
कल ही उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव, जीटीए चीफ बिमल गुरुंग, जीटीए सभासद विनय तामांग आदि वहां पहुंच गये थे. देर रात को दाजिर्लिंग के सांसद एसएस अहलुवालिया तथा केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू भी वहां पहुंचे. प्रधानमंत्री के निर्देश पर वायु सेना के विशेष विमान से दोनों नेता शाम करीब 7 बजे बागडोगरा हवाई अड्डा पहुंचे. वहां से सीधे मिरिक के लिए रवाना हो गये. दोनों नेताओं ने जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ बातचीत भी की. दोनों ने राहत एवं बचाव कार्यो का भी जायजा लिया. आज बृहस्पतिवार को दोनों नेता कालिम्पोंग के भी भूस्खलन प्रभावित इलाके में गये.
मौके का जायजा लेने के बाद दोनों हेलीकॉप्टर से बागडोगरा हवाई अड्डा आये और यहां से दिल्ली रवाना हो गये. इस बीच, पड़ोसी राज्य सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग ने भी दाजिर्लिंग में हुई इस त्रसदी पर अपनी चिंता व्यक्त की है तथा भूस्खलन में मारे गये लोगों के परिवार वालों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है. गंगटोक में जारी एक प्रेस बयान में श्री चामलिंग ने कहा है कि संकट की इस घड़ी में सिक्किम के लोग दाजिर्लिंग के साथ हैं.
उन्होंने कहा है कि प्राकृतिक आपदा पर किसी का कोई वश नहीं है. मानसून में भूस्खलन की वजह से पहाड़ के लोगों को काफी परेशानी होती है. उसके बाद भी लोग चाह कर भी प्राकृतिक आपदा के सामने कुछ नहीं कर पाते हैं.
राष्ट्रपति ने जतायी संवेदना
नयी दिल्ली/कोलकाता : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में भूस्खलन में मारे गये लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की है. प.बंगाल के राज्यपाल श्री केशरीनाथ त्रिपाठी को भेजे एक संदेश में राष्ट्रपति ने कहा कि बुधवार रात दार्जिलिंग जिले में भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन का पता चलने पर मुङो गहरा दुख हुआ है, जिसमें अनेक लोगों की जानें गयी हैं, संपत्ति को नुकसान पंहुचा है और कई लोग घायल हुए हैं.
मुङो विश्वास है कि राज्य सरकार और अन्य एजेंसियां पीड़ितों और शोक संतप्त परिवारों को हरसंभव सहायता उपलब्ध करा रही हैं. मैं अस्पताल में भरती लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं और मृतकों के परजिनों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं.
ममता ने किया मिरिक का दौरा
सिलीगुड़ी : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को दाजिर्लिंग जिले के मिरिक ब्लॉक का दौरा किया. मिरिक ब्लॉक के टिमलिंग में भूस्खलन का सबसे अधिक प्रभाव पड़ा है. ममता बनर्जी सुबह करीब साढ़े 10 बजे सिलीगुड़ी के अपने काफिले के साथ मिरिक रवाना हो गयीं. वहां वह टिंगलिंग तथा लिंबूझोरा गयी. उन्होंने भूस्खलन प्रभावित इलाकों का दौरा किया और वहां बनाये गये शरणार्थी शिविर में प्रभावित लोगों से बातचीत की. उन्होंने भूस्खलन प्रभावितों को हर प्रकार की सहायता का आश्वासन दिया हैं. ममता ने भूस्खलन प्रभावितों के बीच राहत सामग्रियों का भी वितरण किया.
अचानक नहीं आया दाजिर्लिंग में भूस्खलन : विशेषज्ञ
कोलकाता. दाजिर्लिंग में भूस्खलन को प्राकृतिक आपदा का नाम तो दिया जा सकता है, लेकिन अगर कोई यह कहे कि यह घटना अचानक से हुई है तो यह गलत है. इस प्रकार की घटना के लिए कहीं हद तक यहां बिना किसी योजना के सड़कों का विस्तार व निर्माण और वहां की स्वाभाविक भूक्षरण पर नियंत्रण के लिए कोई कदम नहीं उठाने की पहल जिम्मेदार है.
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट (एनआइडीएम) के जिओ हजार्ड डिवीजन के प्रोफेसर व प्रमुख चंदन घोष ने दी. उन्होंने बताया कि दाजिर्लिंग में पिछले कुछ दिनों से हुई मूसलधार बारिश की वजह से वहां कई भूस्खलन हुए हैं, जिससे कम से कम 39 लोगों की मृत्यु हुई है.
अभी भी दाजिर्लिंग से खतरा टला नहीं है. क्योंकि अगले 48 घंटे में यहां मूसलधार बारिश की संभावना है. उन्होंने कहा कि मैदानी क्षेत्र में सड़कों का विस्तार काफी आसान होता है, लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में यह एक चुनौती है. पहाड़ी क्षेत्रों में, सड़कों का विस्तार या सड़क का निर्माण करने के लिए भू-सतह पर अतिरिक्त सपोर्टिग व स्टैबलाइजिंग सिस्टम को लगाना जरूरी होता है. यह कड़वी सच्चई है कि दाजिर्लिंग में अधिकांश सड़कों का विस्तार व नये सड़क का निर्माण बिना किसी गाइड लाइन के किया गया है.
सड़क निर्माण के बाद यहां कोई सपोर्ट नहीं दिया जाता, जिससे भूक्षरण की समस्या पैदा ना हो. पहाड़ी क्षेत्रों में पानी को निकलने या ड्रेनेज की कोई खास व्यवस्था नहीं होती है. क्योंकि पहाड़ी चट्टान कड़े और खुले हुए होते हैं, इसलिए यहां पानी निकलने का रास्ता नहीं बनाया जा सकता. यहां ड्रेनेज की व्यवस्था के लिए अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग करना होगा.
अगर हम ड्रेनेज व्यवस्था पर ध्यान देते हैं तो 80-85 प्रतिशत लैंड स्लाइड की घटनाओं को रोका जा सकता है. बारिश के समय भी भूस्खलन की घटनाएं नहीं होगी, और इस प्रकार के ड्रेनेज की व्यवस्था के लिए खर्च भी सड़क निर्माण के लिए लगनेवाले खर्च का मात्र 1-2 प्रतिशत होगा, लेकिन हम इस ओर कोई ध्यान नहीं देते. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जापान में 80-85 प्रतिशत क्षेत्र पहाड़ी है, लेकिन वहां पर इस प्रकार की कोई भूस्खलन की घटना नहीं होती, क्योंकि वहां की ड्रेनेज व्यवस्था बेहतर है. भूस्खलन की घटना अचानक से नहीं होती है, हमने इसे रोकने के लिए कोई कदम ही नहीं उठाये.
सबसे आश्चर्य की बात यह है कि हिमालय क्षेत्र के साथ-साथ दाजिर्लिंग में पाये जानेवाले वेटीवर घास भूक्षरण की प्रक्रिया को कम करती है, अगर हम इस घास को पहाड़ी क्षेत्रों में उगाने पर जोर देते हैं तो भूस्खलन की घटनाएं कम हो जायेंगी. हिमालयन क्षेत्र से यह घास विश्व के करीब 100 से भी अधिक देशों में ले जाता है और वहां इस घास की खेती की जाती है, जिससे भूस्खलन नहीं हो. पर हमारे देश में इस घास का कोई उपयोग नहीं होता.
उन्होंने स्वयं दाजिर्लिंग क्षेत्र में पिछले पांच वर्षो से इस घास को उगाने के लिए अभियान चला रहे हैं, लेकिन अब तक इस क्षेत्र में कोई सफलता नहीं मिली. दक्षिण भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इस घास का प्रयोग शताब्दियों से किया जा रहा है, इससे भूक्षरण की प्रक्रिया 90 प्रतिशत तक कम हो जाती है और इससे बारिश के दिनों में भी जल गिरने की गति धीमी हो जाती है, जिससे भूस्खलन की आशंका 70 प्रतिशत कम हो जाती है.
दाजिर्लिंग-सिलीगुड़ी मार्ग खुला
दाजिर्लिंग : मंगलवार की रात आये विनाशकारी भूस्खलन से कार्सियांग महकमा क्षेत्र अंतर्गत खहरेखाला के निकट राष्ट्रीय राजमार्ग 55 भूस्खलन के कारण बंद हो गया था, जिसके कारण दाजिर्लिंग से सिलीगुड़ी की ओर चलने वाली गाड़ियां कार्सियांग महकमा क्षेत्र के बागडोगरा रोड होकर चल रही थी. इसी तरह से कार्सियांग महकमा क्षेत्र के रोहिनी, पंखाबाड़ी रोड, तीनधरिया आदि क्षेत्रों में भयावह भूस्खलन के कारण दाजिर्लिंग से सिलीगुड़ी जाने वाली गाड़ियों को काफी समस्या हो रही थी.
लेकिन प्रशासन के सक्रि यता के कारण कल बुधवार की रात तक सभी बंद रोड से मलवा हटाने का काम पूरा कर लिया गया,
जिस कारण आज सुबह से ही विभिन्न वाहनों की आवाजाही शुरू हो गयी है. हालांकि ट्वाय ट्रेन का परिचालन अभी भी बंद है.
दाजिर्लिंग में ट्वाय ट्रेन की पटरियों से मलबा हटाने का काम अभी भी जारी है. दूसरी ओर भूस्खलन से तबाह हुए क्षेत्रों का जायजा लेने के लिए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू आज सुबह मिरिक से कालिम्पोंग पहुंचे. कल बुधवार की शाम केंद्रीय गृह राज्यमंत्री रिजिजू और दाजिर्लिंग के सांसद एस एस अहलुवालिया मिरिक और टिंगलिंग भूस्खलन क्षेत्रों का जायजा लेने पहुंचे थे और आज सुबह यह दोनों जीटीए चीफ बिमल गुरुंग के साथ कालिम्पोंग के भूस्खलन क्षेत्रों का जायजा लेने के लिए पहुंचे.
इस दौरान घायलों की जानकारी लेने के लिए अस्पताल भी पहुंचे. आज दोपहर को करीब 1 बजे के आसपास राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी घूम-जोरबंगला रोड होकर मिरिक पहुंची हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मिरिक और टिंगलिंग भूस्खलन क्षेत्रों की भ्रमण किये जाने की खबर है.
दाजिर्लिंग पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन से भारी तबाही व जान-माल की काफी नुकसान होने की खबर मिलते ही राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पीएम नरेंद्र मोदी, राज्य के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी आदि ने शोक प्रकट किया है.

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