तारामंडल में एक नया प्रदर्शक गुंबद भी लगाया जा रहा है, जिसका निर्माण अमेरिका में हुआ है और यह पर्यटकों को एक अनोखा एहसास करायेगा. बिरला तारामंडल का निर्माण वर्ष 1962 में हुआ था. यह एशिया का सबसे पुराना और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा तारामंडल है. यह कोलकाता शहर की पहचान का हिस्सा बन चुका है. यह तारामंडल आधुनिकीकरण के लिए मंगलवार से नौ महीने के लिए बंद हो रहा है.
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बिरला तारामंडल हो रहा है डिजिटल
कोलकाता: विश्व के दूसरे सबसे बड़े तारामंडल एमपी बिरला तारागृह के आधुनिकीकरण का काम शुरू होनेवाला है और 30 करोड़ रुपये की लागत से इसका डिजिटलीकरण किया जा रहा है. इसका आधुनिकीकरण नौ महीने में पूरा होगा. इसमें लगनेवाली नयी हाइब्रिड प्रदर्शन प्रणाली (प्रोजेक्शन सिस्टम) में ऑप्टो मैकेनिकल और डिजिटल का मिला जुला रूप होगा, […]
कोलकाता: विश्व के दूसरे सबसे बड़े तारामंडल एमपी बिरला तारागृह के आधुनिकीकरण का काम शुरू होनेवाला है और 30 करोड़ रुपये की लागत से इसका डिजिटलीकरण किया जा रहा है. इसका आधुनिकीकरण नौ महीने में पूरा होगा. इसमें लगनेवाली नयी हाइब्रिड प्रदर्शन प्रणाली (प्रोजेक्शन सिस्टम) में ऑप्टो मैकेनिकल और डिजिटल का मिला जुला रूप होगा, जिससे तारागृह के भीतर एक विशेष माहौल तैयार होगा और आभासी ब्रrांड का देखनेवालों को एक ऐसा अनुभव होगा, जो उन्होंने पहले कभी नहीं किया होगा.
बिरला तारामंडल के निदेशक डॉक्टर देवीप्रसाद दुआरी ने बताया कि अब हम अपने तारामंडल में विश्व की सबसे आधुनिक दूरबीनों द्वारा लिए गए चित्रों का प्रदर्शन करने में भी सक्षम है. नासा की तसवीरों का भी हम लोग प्रदर्शन कर पायेंगे. अब कोई भी दर्शक ब्रrांड के दूर के कोने तक की यात्र कर पायेगा और उसे ऐसा लगेगा जैसे कि वह किसी आकाशगंगा की यात्र कर रहा हो. वह चंद्रमा जैसे कई और ब्रrांडीय पिंडों को बहुत नजदीक से महसूस कर पायेगा.
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