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मोदी सरकार के 3 साल : कई मोरचों पर सफल, कई पर चुनौतियां बाकी

नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है किवह लोगों में भरोसा जगाने में कामयाब रहे, लेकिन… !!आशुतोष चतुर्वेदी!! तीन साल का समय किसी भी सरकार के आकलन का उपयुक्त समय होता है. वह आधे से अधिक सफर तय कर चुकी होती है और सरकार के बारे में लोगों की एक धारणा बन चुकी होती […]

नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है किवह लोगों में भरोसा जगाने में कामयाब रहे, लेकिन…
!!आशुतोष चतुर्वेदी!!
तीन साल का समय किसी भी सरकार के आकलन का उपयुक्त समय होता है. वह आधे से अधिक सफर तय कर चुकी होती है और सरकार के बारे में लोगों की एक धारणा बन चुकी होती है. मौजूदा सरकार और विपक्ष की संभावना के बारे में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के एक ट्वीट से सटीक अंदाजा लगाया जा सकता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि इस वक्त भारत में ऐसा कोई नेता नहीं है, जो मोदी और भाजपा से 2019 में टक्कर ले सके. अगर ऐसे ही हालात रहे तो विपक्षी पार्टियों को 2019 नहीं, बल्कि 2024 की तैयारी करनी चाहिए.

नरेंद्र मोदी ने भारतीय राजनीति की दिशा बदली

मोदी सरकार के कामकाज की समीक्षा की जाये, तो कुछ क्षेत्रों में सरकार की उपलब्धियां गिनाने लायक हैं तो कुछ क्षेत्रों में वह खरी नहीं उतरी है. हालिया सर्वेक्षणों पर यदि भरोसा किया जाये तो 60 से 70 फीसदी लोग मोदी सरकार के कामकाज से संतुष्ट हैं. लेकिन अनेक मोर्चों पर सरकार की विफलता भी साफ नजर आती है. दिक्कत यह है कि राजनीतिक दलों और मीडिया में इतना जबरदस्त ध्रुवीकरण है कि लोगों के सामने सही तसवीर उभर कर सामने नहीं आती. हालत यह है कि या तो आप पूरी तरह मोदी के साथ हैं या पूरी तरह उनके खिलाफ हैं, या तो आपको उनमें कोई कमी नजर नहीं आती या फिर आपको सिर्फ कमियां ही नजर आती हैं.

विदेश नीति में कुछ सफल रही मोदी सरकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि वह लोगों में भरोसा जगाने और एक निर्णायक नेता की अपनी छवि बनाने में कामयाब रहे हैं. उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान, जनधन योजना, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, सबके लिए आवास और उज्जवला योजना को लेकर लोगों के बीच अपनी विशिष्ट छवि बनाने में सफलता पायी है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, प्रधानमंत्री जन-धन योजना के अंतर्गत लगभग 25 करोड़ बैंक खाते खोले गये.
जीएसटी का पारित होना एक बेहद सकारात्मक कदम है. पिछले तीन वर्षों में बुनियादी ढांचेऔर स्मार्ट सिटी की दिशा में भी सरकार आगे बढ़ी है. विदेशों में जमा कालेधन की वापसी, नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे फैसलों का लोगों पर अब भी असर है. हालांकि ये कितने प्रभावी रहे, इसको लेकर लोगों की राय बंटी हुई है.
विदेश नीति के मोर्चे पर मोदी सरकार की सक्रियता के बावजूद पाकिस्तान, चीन और नेपाल से संबंध चुनौती बने हुए हैं. पीडीपी के साथ भाजपा की संयुक्त सरकार के बावजूद कश्मीर बड़ी चुनौती बन गयी है. सरकार ने हर साल दो करोड़ रोजगार सृजन का वादा किया था, जो पूरा होता नजर नहीं आ रहा है. पिछले तीन साल राजनीतिक रूप से मोदी सरकार और भाजपा के लिए उतार-चढ़ाव भरे रहे. दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि इसके तुरंत बाद महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में भाजपा ने जीत हासिल की. जीत का सिलसिला 2017 में भी जारी रहा. न सिर्फ उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जोरदार जीत दर्ज करायी, बल्कि मणिपुर और गोवा में भी सरकार बना ली.
मोदी सरकार तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चौथे में प्रवेश कर रही है. सरकार अनेक मोर्चों पर सफल रही है, मगर कुछ पर उसे अपेक्षित सफलता हासिल नहीं हो सकी है. किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में विपक्ष का प्रभावी होना आवश्यक है. लेकिन, मौजूदा विपक्षी पार्टियां सरकार की असफलताओं को प्रभावी ढंग से उठाने में नाकामयाब रही हैं.
विपक्ष को समझना होगा कि केवल आलोचनाओं भर से काम नहीं चलेगा, उन्हें विकल्प उपलब्ध कराना होगा. मोदी और उनकी पार्टी की चुनौती का सामना करने के लिए विपक्ष के पास दो साल का समय है. वह राष्ट्रपति चुनाव से संयुक्त उम्मीदवार घोषित कर एकता की नींव रख सकता है, अन्यथा वह मोदी की चुनौती का सामना करने की स्थिति में कहीं भी नहीं दिखता है.

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