हाजीपुर : गनीमत है कि अभी तक पृथ्वी पर हवा है और हवा मुफ्त है… मिट्टी में मिल जाता है, जो खिच्चा और कच्चा है, पकने पर तो मिट्टी भी मिट्टी में नहीं मिलती. चर्चित कवि मदन कश्यप ने बाजारवाद पर केंद्रित अपनी कविता सुनायी, तो श्रोता सोचने को विवश हो गये. स्थानीय गांधी आश्रम स्थित किरण वार्ता के कार्यालय परिसर में हिंदी के यशस्वी कवि मदन कश्यप का एकल काव्य पाठ हुआ. गांधी स्मारक पुस्तकालय के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता पुस्तकालय के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ शैलेंद्र राकेश ने की. युवा कवि राकेश रंजन ने संचालन किया.
अतिथि कवि मदन कश्यप का परिचय कराते हुए राकेश ने कहा कि मदन जी की रचनाओं में जनपक्षधरता, सामाजिक एवं राजनीतिक विडंबना, समाज और व्यक्ति के जीवन को गहन दृष्टि से देखने की अद्भुत क्षमता का पता चलता है. इस अवसर पर मदन जी ने अपनी दो दर्जन चुनिंदा कविताओं का पाठ किया. दुख शीर्षक कविता की पंक्ति ‘दुख इतना था उसके जीवन में कि प्यार में भी दुख ही था’ तथा रामचरितमानस का आदिवासी पाठ उद्धारक शीर्षक कविता में ‘हम तुम्हारा उद्धार करेंगे,
जिंदा रखा तो जूठन खिलाकर, पांव धुलवाकर तुम्हार उद्धार करेंगे, मार दिया तो बैकुंठ भिजवाकर तुम्हारा उद्धार करेंगे… जैसी पंक्तियां सुन कर श्रोता भावविह्वल हो गये. उन्होंने ‘चाहतें’, ‘मां के गीत’, ‘चुप्पे’, ‘बचे हुए शब्द’, ‘बड़ी होती बेटी’ समेत अन्य कविताओं का पाठ किया.