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अजित के साथ नहीं खड़ी होगी सपा

राजेन्द्र कुमार लखनऊ:लंबे समय से कांग्रेस की बैसाखी बने राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह का साथ अब मुलायम सिंह यादव को मंजूर नहीं है. जिसके चलते समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया मुलायम सिंह 12 अक्टूबर को चौधरी चरण का स्मारक बनाने की मांग को लेकर होने वाली रैली में शामिल नहीं होंगे. […]

राजेन्द्र कुमार

लखनऊ:लंबे समय से कांग्रेस की बैसाखी बने राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह का साथ अब मुलायम सिंह यादव को मंजूर नहीं है. जिसके चलते समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया मुलायम सिंह 12 अक्टूबर को चौधरी चरण का स्मारक बनाने की मांग को लेकर होने वाली रैली में शामिल नहीं होंगे. मेरठ में होने वाली इस रैली में देश के प्रमुख समाजवादी नेता मौजूद रहेंगे, परन्तु रैली के मंच पर सपा का कोई प्रमुख नेता नहीं होगा.

वास्तव में इस रैली के जरिए अजित सिंह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी सियासी जमीन वापस पाने के प्रयास में है. बीते लोकसभा चुनावों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उनका एक भी उम्मीदवार चुनाव जीत नहीं सका था. वह खुद भी चुनाव हार गए थे. यही नहीं उनके पुत्र जयंत चौधरी और अमर सिंह तथा फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा को भी हार का सामना करना पड़ा था.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अजित सिंह को कभी भी ऐसी करारी शिकस्त नहीं मिली थी. जिसके चलते ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपने पैर जमाने के लिए उन्होंने चौधरी चरण सिंह का स्मारक बनाने की मांग को लेकर 12 अक्टूबर को मेरठ में एक महापंचायत करने का निर्णय लिया.

इस महापंचायत को किसान स्वाभिमान रैली का नाम देकर अजित ने उसमें पूर्व प्रधानमंत्री एडी देवगौड़ा, जदयू अध्यक्ष शरद यादव, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लालू यादव, ओडीशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव मंच पर लाने की जिम्मेदारी चरण सिंह के जमाने में युवा वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे शरद यादव को दी. रालोद के प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह के अनुसार ये सभी नेता चरण सिंह के स्कूल से ही निकले हुए हैं.

मुन्ना सिंह कहते हैं कि अब समय आ गया है कि सांप्रदायिक ताकतों से सभी समाजवादी एकजुट होकर मुकाबला करें. परन्तु देश के प्रमुख समाजवादी नेताओं को एक मंच पर लाने संबंधी अजित सिंह के प्रयास को राजनीतिक कदम मानते हैं. सपाइयों के अनुसार बीते लोकसभा चुनावों के नतीजों ने उत्तर प्रदेश की राजनीति को पूरी तरह बदलकर रख दिया है.

भाजपा को यूपी में मिली सफलता ने यह साफ कर दिया कि भगवा ब्रिगेड ने सभी दलों के वोटबैंक मे पर गहरी सेंधमारी करने में सफलता पायी. इन नतीजों ने सपा, बसपा, कांग्रेस तथा रालोद को हाशिए पर ला दिया. इस स्थिति से उबरने के लिए अजित सिंह ने मेरठ में अपने पिता और देश के किसान नेता रहे चौधरी चरण सिंह का स्मारक बनाने की मांग को लेकर महापंचायत बुलाकर उसमें मुलायम सिंह को भी न्यौता भेजा है.

परन्तु वह यह भूल गए कि सपा को हाल ही में हुए उपचुनावों में ना सिर्फ बेहतर जीत हासिल हुई बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट वोट भी खूब मिला. ऐसी स्थिति में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव अजित सिंह द्वारा बुलाई महापंचायत के मंच पर आकर क्यों उनके हाशिए पर पहुंच चुके राजनीतिक भविष्य को बुलंद करने में मदद करेंगे.

इसी राजनीतिक सोच के आधार पर सपा प्रमुख मुलायम सिंह ने पार्टी के रणनीतिकार प्रोफेसर रामगोपाल यादव के साथ मेरठ की महापंचाय‍त के न्यौते पर शुक्रवार की रात चर्चा की और उसके बाद यह तय हुआ कि सपा का कोई प्रमुख नेता अजित सिंह की महापंचायत में नहीं जाएगा.

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