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यूपी के एक और आईएएस ने मारी खुद को गोली

लखनऊ से राजेन्द्र कुमार यूपी के आईएएस अधिकारी तरह-तरह के दबाव में खुशहाली भरा जीवन जी रहे है. वहीं, सेवानिवृति के बाद भी कई आईएएस अफसर राजमर्रा के दबाव से मुक्त नहीं हो पा रहे हैं. जिसके चलते पहले हरविंदर राज और अब आरबी (रामभरोसे) भास्कर ने अपनी जान ले ली. प्रदेश सरकार में प्रमुख […]

लखनऊ से राजेन्द्र कुमार
यूपी के आईएएस अधिकारी तरह-तरह के दबाव में खुशहाली भरा जीवन जी रहे है. वहीं, सेवानिवृति के बाद भी कई आईएएस अफसर राजमर्रा के दबाव से मुक्त नहीं हो पा रहे हैं. जिसके चलते पहले हरविंदर राज और अब आरबी (रामभरोसे) भास्कर ने अपनी जान ले ली. प्रदेश सरकार में प्रमुख सचिव, नियुक्ति समेत कई बड़े पदों पर तैनात रहे चर्चित आईएएस अफसर आरबी भास्कर ने गुरूवार की सुबह अपने घर पर खुद को गोली मार ली. सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती के कभी चहेते अफसरों में शामिल रहे आरबी भास्कर द्वारा खुद को गोली मारे जाने की सूचना से सूबे के नौकरशाही में आज सुबह खलबली मच गई. आनन-फानन में सचिवालय में बैठने वाले तमाम बड़े अधिकारी भास्कर के घर पहुंचे. उनके घर से पुलिस को एक सुसाइड नोट मिला है, जिसके आधार पर पुलिस इस आत्महत्या का मामला मान रही है.
फिलहाल सूबे के बड़े पुलिस अधिकारी अभी इस मामले में कोई टिप्पणी करने को तैयार नहीं है. सोसाइट नोट का भी खुलासा नहीं किया जा रहा है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद ही पुलिस अधिकारी इस मामले में बयान देंगे. पुलिस की यह सतर्कता मायावती सरकार में प्रमुख सचिव आवास के पद पर तैनात रहे आईएएस अफसर हरविंदर राज सिंह द्वारा खुद को गोली मार लेने की घटना के बाद मची सनसनी के चलते है. तब हरविंदर राज की मौत पर तमाम तरह के शक जाहिर किए गए थे. कहा गया था कि उन्होंने मायावती सरकार के कुछ अफसरों के दबाव से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी. परन्तु बाद में हरविंदर राज की मौत का मामला आत्महत्या का निकला. यही वजह है कि सूबे के पुलिस अधिकारी जांच पूरी होने के पहले आरबी भास्कर की मौत की वजहों को लेकर अभी मीडिया को कोई बयान देने को तैयार नहीं हैं.
1972 बैच के आईएएस आरबी भास्कर काफी समय पहले रिटायर हो चुके थे. वह प्रदेश में प्रमुख सचिव खेल, पर्यटन, ऊर्जा, राजस्व जैसे महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रहे थे. वर्ष 1992-93 में सत्ता के गलियारों में आरबी भास्कर बहुत ताकतवर अफसरों में गिने जाते थे. प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेन्द्र मिश्रा के साथ उनके मधुर रिश्ते थे. 90 के दशम में भास्कर की निकटता पाने के लिए सूबे के कई बड़े अफसर व्याकुल रहते थे, क्योंकि उनकी मायावती और मुलायम सिंह यादव से भी निकटता थी. वह मुलायम सिंह के सचिव भी रहे. मायावती भी उन्हें भरोसे का दलित अधिकारी मानती थी. जिसके चलते वह विवादों में भी रहे, पर इसकी परवाह उन्होंने कभी नहीं की. यही वजह रही कि जब मायावती ने उन्हें यूपी पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल का वाईस चेयरमैन बनाया तो तमाम लोगों के विरोध के बाद भी उन्होंने अपना दायित्व संभाला. ऐसे तेजतर्रार आरबी भास्कर ने गुरूवार की सुबह इंदिरानगर के सेक्टर 25 स्थिति आवास में खुद को गोली मार ली. अपनी लाइसेंसी रिवाल्वर से उन्होंने खुद को गोली मारी. उनकी पुत्रीइंदुका कहना है कि पापा ने अस्थामा से परेशान होकर खुद को गोली मार ली. लंबे समय से वह इस बीमारी की गिरफ्त में थे. यह बीमारी उनके लिए समस्या बन गई थी. उनके परिवार के लोगों का कहना है कि बीमारी के दबाव से मुक्त होने के लिए ही भास्कर ने अपना जीवन समाप्त कर लिया.
फिलहाल, चंद वर्षों में ही यूपी के दो प्रशासनिक अफसरों द्वारा खुद को गोली मार कर अपना जीवन समाप्त करने को लेकर नौकरशाही में हैरानी है. तमाम अधिकारी इसे लेकर चर्चा कर रहे हैं. इन अफसरों के जीवन से जुड़ी तमाम यादों पर चर्चा करते हुए सूबे के आईएएस अफसरों को भास्कर का इस तरह से जीवन समाप्त करना उचित नहीं लग रहा. वही पुलिस के आला अधिकारी अभी आरबी भास्कर की मौत को लेकर कुछ कहने के बजाए चुप्पी साधे हुए हैं. कहा जा रहा है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने तथा घटनास्थन की सघन जांच के बाद ही वह मीडिया को अपने निष्कर्ष से वाकिफ कराएंगे.

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