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पत्रकार की मां को पुलिस वालों ने जिंदा जलाया, सीएम ने दिया निष्पक्ष जांच का भरोसा

बाराबंकी : आंगनबाड़ी की एक महिला कर्मचारी के साथ पहले बलात्कार की कोशिश की गयी फिर उसे जलाकर मारने की कोशिश की गयी. इस हत्या का आरोप उत्तर प्रदेश के दो पुलिस वालों पर लग रहा है. कल रात ही पीड़िता की मौत हो गयी और मरने से पहले उसने बयान दिया कि उसके साथ […]

बाराबंकी : आंगनबाड़ी की एक महिला कर्मचारी के साथ पहले बलात्कार की कोशिश की गयी फिर उसे जलाकर मारने की कोशिश की गयी. इस हत्या का आरोप उत्तर प्रदेश के दो पुलिस वालों पर लग रहा है. कल रात ही पीड़िता की मौत हो गयी और मरने से पहले उसने बयान दिया कि उसके साथ बलात्कार की कोशिश की गयी जिसमें दो पुलिस वाले शामिल थे.

मौत से पहले महिला ने कैमरा के सामने और मजिस्ट्रेट को अपना बयान रिकार्ड कराया है जिसमे उसने पुलिस वालों पर गंभीर आरोप लगाये है. महिला का कहना है कि थाना प्रभारी राय साहब उपनिरीक्षक अखिलेश राय उसे बहुत पहले से परेशान कर रहे हैं उन्होंने उसकी इज्जत लूटने की भी कोशिश की. 2 नवंबर 2014 से उसे परेशान किया जा रहा है. उसके साथ अक्सर छेड़छाड़ और गाली गलौज किया जाता था.

उसे तंग करने के लिए उसके पति को भी पकड़कर जेल में बंद कर दिया उसे जेल से छोड़ने के लिए एक लाख रूपये मांगे गये. महिला ने आरोप लगाया कि थाने के बाहर उसके शरीर पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दिया गया. दूसरी तरफ पुलिस इस थ्योरी को बिल्कुल गलत बता रही है. इनका कहना है कि महिला ने स्थानीय पुलिस वालों से परेशान होकर खुद को आग के हवाले कर दिया.इस मामले पर संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा, आरोपी पुलिस वालों पर कार्रवाई की जा चुकी है और इस पर निष्पक्ष जांच के आदेश दिए गये हैं. जिस महिला को पुलिस वालों ने जिंदा जलाया उसका बेटा एक स्थानीय अखबार में नौकरी करता है.

महिला आयोग की सदस्य बरखा शुक्ला ने कहा, इस पूरे मामले की जांच की जानी चाहिए और आरोपी पुलिस वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. बरखा ने कहा, इस तरह की घटनाओं के लिए पूरी तरह अखिलेश सरकार जिम्मेदार है. इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर एक बार फिर सवालिया निशान लग गया है. इससे पहले पत्रकार जगेन्द्र सिंह की हत्या भी जलाकर कर दी गयी थी.
इस मामले में मंत्री राममूर्ति वर्मा अबतक फरार चल रहे हैं. उत्तर प्रदेश पुलिस अबतक उनको गिरफ्तारी नहीं कर पायी है. जबकि खबरों के अनुसार राममूर्ति वर्मा सीएम अखिलेश यादव से मिलकर अपनी सफाई दे चुके हैं और समाजवादी पार्टी ने भी उन्हें पद से ना हटाने का फैसला लिया. इस तरह की घटनाओं से उत्तर प्रदेश की छवि को खासा नुकसान पहुंचा है. पत्रकार जगेन्द्र की हत्या में भी पुलिस वालों का नाम सामने आया था.

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