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Friday, March 29, 2024

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5जी टेक्नोलॉजी से 2020 तक बदल जायेगी दुनिया

कन्हैया झा अगले कुछ वर्षों में भारत में भी इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए 5जी तकनीक की लांचिंग हो सकती है, क्योंकि कुछ कंपनियों ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है. हालांकि यहां अब भी 2जी और 3जी का दौर ही चल रहा है, 4जी तकनीक अभी बिल्कुल शुरुआती चरण में है. दूसरी ओर दुनिया […]

कन्हैया झा

अगले कुछ वर्षों में भारत में भी इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए 5जी तकनीक की लांचिंग हो सकती है, क्योंकि कुछ कंपनियों ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है. हालांकि यहां अब भी 2जी और 3जी का दौर ही चल रहा है, 4जी तकनीक अभी बिल्कुल शुरुआती चरण में है.

दूसरी ओर दुनिया के कई देशों में 5जी तकनीक पर तेजी से काम चल रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि एक नये तरह की क्रांति के सूत्रपात में 5जी तकनीक की व्यापक भूमिका होगी, जिसके जरिये दुनिया कई क्षेत्रों में व्यापक बदलाव की साक्षी बनेगी.
टेलीकॉम उपकरण बनानेवाली स्वीडन की कंपनी एरिक्सन ने हाल ही में भारत में नये रेडियो सिस्टम की शुरुआत की है. कंपनी की ओर से यह कहा गया है कि इस नये रेडियो सिस्टम के माध्यम से कंपनी को भविष्य में भारतीय उपभोक्ताओं को कनेक्टिविटी के लिए 5जी टेक्नोलॉजी यानी पांचवीं पीढ़ी की तकनीक मुहैया कराने में सुविधा होगी.
कंपनी के प्रेसिडेंट और चीफ एग्जीक्यूटिव हंस वेस्टबर्ग ने कहा है कि एरिक्शन रेडियो सिस्टम के माध्यम से मुहैया करायी जानेवाली 5जी सेवा ग्राहकों को करीब 20 फीसदी कम कीमत पर उपलब्ध करायी जा सकती है. कंपनी का मानना है कि वर्ष 2020 तक वैश्विक स्तर पर 5जी के कॉमर्शियलाइज होने की दशा में प्रतिमाह मोबाइल डाटा की मांग 25 एक्साबाइट्स तक पहुंच सकती है.
एक एक्साबाइट्स बराबर है एक बिलियन गीगाबाइट के
वेस्टबर्ग के हवाले से छपी ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में वर्ष 2020 तक मोबाइल इंटरनेट कनेक्टिविटी का दायरा सौ फीसदी तक पहुंच जायेगा और इसमें से आधा नेटवर्क 3जी और 4जी का होगा, जबकि उस समय दुनिया में इनोवेशन का अगला चरण 5जी के रूप में प्रदर्शित होगा.
वर्ष 2020 तक हमारे पास इंटरनेट से कनेक्टेड अनेक नये उपकरण हो सकते हैं. इसके अलावा, वीडियो ट्रैफिक 22 गुना बढ़ जायेगा और मोबाइल उपकरण टेलीविजन की तरह हो जायेगा, जिसमें उपभोक्ता लाइव फिड्स हासिल करते हैं.
‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ का भी दिनोंदिन विस्तार हो रहा है. ऐसे में ज्यादा उपकरणों के इंटरनेट से कनेक्टेड होने की दशा में इसके नेटवर्क पर स्पीड और कनेक्टिविटी को बरकरार रखना बड़ी चुनौती साबित हो सकती है. यही कारण है कि दुनिया 5जी की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रही है.
2020 तक मिल सकती है 5जी
हालांकि, कारोबारी तौर पर 5जी का इस्तेमाल हो पाने की उम्मीद वर्ष 2020 तक है, लेकिन मौजूदा रणनीति इसकी पृष्ठभूमि को पूरी तरह से मजबूती प्रदान करने की है. कंपनी का नया रेडियो सिस्टम मल्टी-स्टैंडर्ड, मल्टी-ब्रांड और मल्टी-लेयर टेक्नोलॉजी को सपोर्ट करेगा और 5जी की तैयारी करेगा. कंपनी का दावा है कि यह सिस्टम कम ऊर्जा की खपत करेगा और भारत में सघनता से नेटवर्क मुहैया कराने में सक्षम हो सकता है.
इस वर्ष के आरंभ में एरिक्शन ने प्री-स्टैंडर्ड 5जी टेक्नोलॉजी का प्रदर्शन किया था, जिसमें 15 गीगा हर्ट्ज स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल किया गया था और पांच जीबीपीएस (गीगाबाइट्स प्रति सेकेंड) की दर से इसे डिलिवर करने में सफलता प्राप्त हुई थी. वेस्टबर्ग ने कहा कि हालांकि 5जी स्टैंडर्ड वर्ष 2020 तक ही पूरी तरह से स्थापित हो पायेगा, लेकिन 2018 ओलिंपिक के दौरान इसका प्री-कॉमर्शियल लॉन्च किया जायेगा.
पुणे का प्लांट बनेगा हब
वेस्टबर्ग ने उम्मीद जतायी कि पुणे स्थित एरिक्शन के प्लांट में 2016 की दूसरी तिमाही में इस संबंध में काम शुरू हो सकता है. एरिक्शन की योजना के मुताबिक, वह इस प्लांट में करीब 15 से 20 मिलियन डॉलर तक का निवेश कर सकती है, ताकि इस सेंटर को एक बड़े एक्सपोर्ट हब के तौर पर विकसित किया जा सके और दुनिया के करीब 180 देशों में भारत से ही इसके उपकरणों की आपूर्ति की जा सके.
इसके अलावा, एक ऐसे सॉफ्टवेयर को भी विकसित करने के लिए भारी रकम खर्च की जा रही है, ताकि ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ को कम बैट्री की खपत में ज्यादा से ज्यादा कारगर बनाया जा सके. साथ ही, इंटरनेट ऑफ थिंग्स को ज्यादा बेहतर बनाने के लिए अनेक डिवाइसेज को विकसित किया जायेगा. उल्लेखनीय है कि ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ ऐसे कनेक्टेड डिवाइस हैं, जिनसे किसी अन्य डिवाइस का संचालन आसान होता है.
हालांकि, ये डिवाइस बेहद उपयोगी हैं, लेकिन अभी लोग इसका ज्यादा इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि इनकी कीमत ज्यादा है और बैट्री लाइफ कम होने के साथ सेलुलर कवरेज की दशा भी बहुत अच्छी नहीं है.
सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और कंपनी की रेडियो बिजनेस यूनिट के हेड अरुण बंसल के हवाले से छपी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इन तरीकों से कंपनी भारत में मोबाइल उपभोक्ताओं को 5जी की रोड पर तेजी से लाने की तैयारी में है.
भविष्य में औद्योगिक क्रांति का सूत्रधार
2जी, 3जी और 4जी के मुकाबले 5जी तकनीक न केवल स्पीड में काफी फास्ट होगा, बल्कि कई अन्य मामलों में भी कुछ अलग होगा. मौजूदा तकनीकों का इस्तेमाल जहां सामान्य उपभोक्ताओं को इंटरनेट कनेक्टिविटी मुहैया कराने के लिए किया जा रहा है, वहीं 5जी तकनीक को इंटरनेट के औद्योगिक इस्तेमाल के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है.
वेस्टबर्ग के मुताबिक, वर्ष 2020 तक दुनिया में 7.7 अरब मोबाइल ब्रॉडबैंड सब्सक्राइबर होंगे और करीब 70 फीसदी लोगों के पास स्मार्टफोन मौजूद होगा. इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी की मदद से दुनिया में रोजगार के नये मौके पैदा होंगे और अर्थव्यवस्था को इससे गति मिलेगी.
हुवाइ के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट वाल्टर जी का कहना है कि 5जी तकनीक दुनिया को बदल सकती है. ‘शिनहुआ’ न्यूज एजेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में स्पेन में ‘टेलीकम्युनिकेशंस एंड द डिजिटल इकोनॉमी’ पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि मौजूदा तकनीकों से भविष्य में सामने आनेवाली चुनौतियों से नहीं निबटा जा सकता, इसलिए हुवाइ की योजना नयी तकनीकों को विकसित करने की है. 5जी तकनीक को कम से कम लागत पर विकसित करना इसी योजना का एक हिस्सा है. 5जी नेटवर्क भविष्य में होनेवाली औद्योगिक क्रांति में बड़ी भूमिका निभायेगी़
तेज इंटरनेट स्पीड वाले 10 प्रमुख देश
आमतौर पर कंप्यूटर या लैपटॉप के कीबोर्ड पर कुछ शब्दों को लिख कर और माउस से महज चंद क्लिक करने पर हम व्यापक तादाद में सूचनाएं हासिल कर लेते हैं. इस व्यापक तादाद में सूचनाओं को हासिल करना इंटरनेट ने मुमकिन बनाया है, लेकिन यदि आपके इंटरनेट कनेक्शन की स्पीड कम है, तो फिर आपको पेज या वीडियो डाउनलोड करने के लिए काफी इंतजार करना पड़ता है. क्लाउड सर्विसेज प्रोवाइडर ‘एकेमाइ टेक्नोलॉजीज’ ने एक लिस्ट तैयार की है, जिसमें दुनिया में तेज इंटरनेट कनेक्शन की स्पीड वाले देशों और वहां की स्पीड की दर को दर्शाया गया है. इन देशों की रैंकिंग वहां ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्शन के लिए मेगा बिट्स प्रति सेकेंड (एमबीपीएस) में औसत स्पीड के हिसाब से की गयी है. इसमें एक तथ्य यह भी सामने आया है कि तेज इंटरनेट कनेक्शन की स्पीड के मामले में अमेरिका इस सूची में 17वें स्थान पर है.
1. दक्षिण कोरिया : औसत एमबीपीएस – 22.2 पिछले वर्ष के मुकाबले इंटरनेट स्पीड में 1.6 फीसदी की बढ़ोतरी.
2. हॉन्गकॉन्ग : औसत एमबीपीएस – 16.8
पिछले वर्ष के मुकाबले इंटरनेट स्पीड में 1.6 फीसदी की बढ़ोतरी.
3. जापान : औसत एमबीपीएस – 15.2
पिछले वर्ष के मुकाबले इंटरनेट स्पीड में 16 फीसदी की बढ़ोतरी.
4. स्वीडन : औसत एमबीपीएस – 14.6
पिछले वर्ष के मुकाबले इंटरनेट स्पीड में 34 फीसदी की बढ़ोतरी.
5. स्विट्जरलैंड : औसत एमबीपीएस – 14.5 पिछले वर्ष के मुकाबले इंटरनेट स्पीड में 21 फीसदी की बढ़ोतरी.
6. द नीदरलैंड्स : औसत एमबीपीएस – 14.2 पिछले वर्ष के मुकाबले इंटरनेट स्पीड में 15 फीसदी की बढ़ोतरी.
7. लाटविया : औसत एमबीपीएस – 13
पिछले वर्ष के मुकाबले इंटरनेट स्पीड में 25 फीसदी की बढ़ोतरी.
8. आयरलैंड : औसत एमबीपीएस – 12.3
पिछले वर्ष के मुकाबले इंटरनेट स्पीड में 8.4 फीसदी की बढ़ोतरी.
9. चेक रिपब्लिक : औसत एमबीपीएस – 12.3 पिछले वर्ष के मुकाबले इंटरनेट स्पीड में 8.4 फीसदी की बढ़ोतरी.
10. फीनलैंड : औसत एमबीपीएस – 12.1
पिछले वर्ष के मुकाबले इंटरनेट स्पीड में 33 फीसदी की बढ़ोतरी.
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