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जान ले रहे हैं ये ऑनलाइन गेम्स, इस एप से करें बच्चों की निगरानी
चार साल से ऊपर के बच्चे हो रहे ज्यादा शिकार आसानी से इंटरनेट की उपलब्धता ने ऑनलाइन गेम्स, जीपीआरएस बेस्ड गेम आदि के माध्यम से छोटे बच्चे से लेकर युवा तक को अपनी गिरफ्त में कर रखा है. दुनिया भर में हर साल दो से पांच ऐसे गेम्स लांच हो रहे हैं, जो जानलेवा साबित […]
चार साल से ऊपर के बच्चे हो रहे ज्यादा शिकार
आसानी से इंटरनेट की उपलब्धता ने ऑनलाइन गेम्स, जीपीआरएस बेस्ड गेम आदि के माध्यम से छोटे बच्चे से लेकर युवा तक को अपनी गिरफ्त में कर रखा है. दुनिया भर में हर साल दो से पांच ऐसे गेम्स लांच हो रहे हैं, जो जानलेवा साबित हो रहे हैं. इस तरह के गेम्स के शिकार चार साल से ऊपर की उम्र के बच्चे ज्यादा हो रहे हैं. तकनीकी विशेषज्ञ बताते हैं कि जब कोई एक बार गेम खेलना शुरू करता है, तो वह गेम की आभासी दुनिया में चला जाता है. एक-एक टास्क को पूरा करते हुए वह स्वयं को हीरो जैसा महसूस करता है.
वहीं मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि इस तरह के गेम खेलने की वजह से न केवल बच्चे एग्रेसिव हो रहे हैं, बल्कि वे मानसिक रूप से भी कमजोर होते जा रहे हैं. पिछले वर्ष आये पाेकेमोन-गो और इस साल का जानलेवा गेम ब्लू व्हेल ने दुनिया भर में तूफान मचा कर रख दिया. इस गेम ने सबसे ज्यादा नुकसान युवाओं और बच्चों को पहुंचाया है़ किस तरह से एक गेम यंग माइंड को प्रभावित करता है, साथ ही कैसे-कैसे गेम्स मौजूद हैं इसपर पेश है
इस तरह हो जाते हैं एडिक्ट
गेम्स के एडिक्ट का होना सिर्फ साइक्लोजिकल है. जब आप एक बार गेम खेलना शुरू करते हैं, तो खेलते-खेलते आप स्वयं का उसी दुनिया में होने सा महसूस करते हैं. तकनीकी एक्सपर्ट राहुल कुमार बताते हैं कि कोई व्यक्ति कितने घंटे तक गेम खेले, तो उसका आदी हो जायेगा, ऐसा कुछ नहीं है.
यह पूरी तरह से आभासी दुनिया को रिप्रेजेंट करता है, ऐसे में युवा इसके शिकार जल्दी हो जाते हैं. जब वे गेम में मिलने वाले टास्क को कम समय में पूरा कर लेते हैं, तो उन्हें एक अचिवर सा फील होता है. विभिन्न तरह के गेम्स के हर स्टेज में एक चैलेंज पास करना होता है. जो बच्चा उस चैलेंज को पास कर लेता है, वो खुद में दूसरों से बेस्ट होने जैसा अहसास करते हैं. यही प्रक्रिया उनके दिमाग को नियंत्रित करती है, तो वे इसके एडिक्ट हो जाते हैं.
बढ़ता जाता है टास्क का लेवल
वैसे सभी तरह के गेम्स, जो खतरनाक गेम्स की श्रेणी में आते हैं उनका शुरुआती स्तर को आसान बनाते हुए गेम में रुचि बढ़ायी जाती है. जैसे-जैसे लेवल बढ़ता जाता है, टास्क और भी खतरनाक होता जाता है. इस तरह के गेम में किसी तरह का नियंत्रण नहीं होता है. यही वजह है कि कोई भी युवा या बच्चा इस तरह के गेम को कहीं भी खेलते हुए उसमें रम जाते हैं. गेम के लेवल को पार करते-करते यंगस्टर्स खुद को वर्चुअल दुनिया का हीरो मानने लगते हैं. पर वो भूल जाते हैं कि गेम का हीरो तो मर कर फिर वापस हो जाता है, लेकिन रियल लाइफ में ऐसा संभव नहीं हो पाता है.
स्पाइ एप से करें कंट्रोल
आप अपने बच्चे को इसे खेलने से पूरी तरह शायद नहीं रोक पायें, पर पैरेंटल एप की मदद से आप नियंत्रित कर सकते हैं. प्ले स्टोर पर कई तरह के पैरेंटल एप हैं, जिन्हें आप डाउनलोड कर बच्चे के मोबाइल या लैपटॉप में इंस्टॉल कर दें. यह एप आपके मोबाइल पर बच्चे के द्वारा यूज किये गये डेटा से जुड़ी पूरी रिकॉर्ड आपको भेजती है. एक अभिभावक इसकी मदद से बच्चे के डेटा यूज करने के प्लेटफॉर्म के बारे जानकारी रख सकते हैं कि उसने किस वेबसाइट पर कितना समय बिताया है.
भारत में नहीं कोई कंट्रोलिंग अथॉरिटी : देश में इस तरह के गेम पर नियंत्रण रखने वाली कोई अथॉरिटी नहीं है. हालांकि सूचना प्रसारण विभाग ने ब्लू व्हेल जैसे गेम की लिंक हटाने के लिए उन सभी वेबसाइट को लिखा है, जिनपर इस गेम की लिंक मौजूद हैं.
चैलेंज कैसे-कैसे
ऐरोसॉल चैलेंज : इसमें गेमर को हाथ से कुछ इंच की दूरी से डियोड्रेंट स्प्रे कर खुद को घायल होना होता है.
पासआउट चैलेंज : इस चैलेंज में गेमर को बहुत पतली से जगह से निकल कर दिखाना होता है.
फायर चैलेंज : यहां गेमर अपने ऊपर आग लगाता है और फिर सेल्फी खींचकर भेजता है.
कैली लिप चैलेंज : इसमें छोटे मुंह वाले ग्लास या बोतल में होठों को चॉक करना होता है.
काॅन्डम चैलेंज : इसमें कॉन्डम में पानी भर पर दूसरे के सिर पर मारना होता है.
घोस्ट पिपर चैलेंज : इस चैलेंज में गेमर को दुनिया की सबसे तीखी मिर्च को खाना पड़ता है.
स्नॉरटिंग चैलेंज : इसमें नाक में कोई चीज डाल की उसे मुंह से निकालना पड़ता है.
अाइबॉल चैलेंज : इसमें गेमर को आंखों में कोई हार्ड लिकर डालना होता है.
चोक चैलेंज : इस तरह का चैलेंज देने वाले गेम में गेमर को किसी अजनबी के गले को लंबे समय तक दबाकर चॉक करने को कहा जाता है.
दिमाग पर असर डालने वाले गेम्स
पोकेमॉन गो
ब्लू व्हेल
स्वीट शॉप
फोन स्टोरी टेलर
सायरिया
स्मगल ट्रक
ऑन लाइव
इन ए पर्मानेंट सेब
एक्सपर्ट कहते हैं
दुनियाभर में कई तरह के गेम हैं, जो यंगस्टर्स के दिमाग पर सीधा असर डालते हैं. कई गेम्स जान लेने स्तर तक के हैं. इनसे बचने की जरूरत है. असल में ऐसे गेम्स आपके माइंड को नियंत्रित कर, आपसे वो सारा कुछ कराते हैं जिन्हें सामान्य स्थिति में आप नहीं करेंगे. कई तरह के एप्स हैं, जिनकी मदद से इस तरह के गेम्स को नियंत्रित किया जा सकता है.
राहुल कुमार, साइबर तकनीक एक्सपर्ट
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