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Friday, March 29, 2024

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बिना निबंधन संचालित हैं जांच घर, मरीजों का हो रहा आिर्थक शोषण

सुपौल : आम लोगों को बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था मुहैया कराने के लिए सरकार द्वारा भले ही लाख दावे किये जा रहें हो. लेकिन हकीकत यहीं है कि आज भी जिले में संचालित कई जांच घर बिना निबंधन के संचालित है. आलम यह है कि अधिकांश जांच घरों में अप्रशिक्षित कर्मियों द्वारा ही मरीजों का खून, […]

सुपौल : आम लोगों को बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था मुहैया कराने के लिए सरकार द्वारा भले ही लाख दावे किये जा रहें हो. लेकिन हकीकत यहीं है कि आज भी जिले में संचालित कई जांच घर बिना निबंधन के संचालित है. आलम यह है कि अधिकांश जांच घरों में अप्रशिक्षित कर्मियों द्वारा ही मरीजों का खून, पेशाब व अन्य जांचे की जा रही है.

हैरान करने वाली बात तो यह है कि इसी आधार पर चिकित्सकों द्वारा मरीजों को दवा लिखी जा रही है. अब सवाल उठता है कि जिन मरीजों के खून, पेशाब व अन्य समस्याओं से संबंधित जांच ऐसे पैथोलॉजी में की जाती है. जिसका ना तो विभाग द्वारा निबंधन किया गया है और ना ही उस जांच घर में प्रशिक्षित तकनीशियन द्वारा जांच की गयी. ऐसी स्थिति में उनके द्वारा दी गयी रिपोर्ट भी सवालों के घेरे में आता है. जिसका खामियाजा बिना निबंधन व अप्रशिक्षित तकनीशियन द्वारा संचालित जांच घरों में जांच कराने वाले मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. इसकी जिम्मेदारी भले ही कोई नहीं ले. लेकिन इसका खामियाजा मरीजों को आर्थिक,

शारीरिक व मानसिक रूप से झेलनी पड़ती है. सबसे ज्यादा नुकसान तो गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वालों को होती है. जिसके लिए बेहतर इलाज हेतु बाहर कही अन्यत्र जाना संभव नहीं होता है. बावजूद आज धड़ल्ले से ऐसे जांच घर खुल रहे है. जिसकी खोज खबर लेने वाला कोई नहीं है.

राजस्व का भी हो रहा है नुकसान : जानकार बताते हैं कि पैथोलॉजी सेंटरों के संचालन के लिए राज्य सरकार द्वारा पूर्व में ही नियम-कायदे तैयार किये गये हैं. जिसके लागू होने से सरकार को काफी राजस्व की प्राप्ति होगी. साथ ही अवैध और मानकों का उल्लंघन करने वाले पैथोलॉजी केंद्रों के संचालक के विरुद्ध कार्रवाई भी सुनिश्चित हो सकेगी. लेकिन स्वास्थ्य विभाग को न तो मरीजों की चिंता दिख रही है और न ही राजस्व के नुकसान का मलाल है. यही कारण है
कि केंद्रों के पंजीयन को लेकर विभाग भी उदासीन दिख रही है. विभाग की गंभीरता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि अब तक जिले में एक भी पैथोलॉजी केंद्र का निबंधन नहीं किया गया है और न ही भविष्य में निबंधन के लिए प्रयास की तैयारी दिख रही है. निर्धारित प्रावधानों के अनुसार किसी भी पैथोलॉजी केंद्र के संचालन के लिए मूलभूत सुविधाओं का होना आवश्यक है. वही यहां प्रत्येक जांच के लिए रेट चार्ट भी लगाने का स्पष्ट निर्देश है. इसके पीछे मूल उद्देश्य यह है
कि जांच के नाम पर मरीजों से एक निर्धारित राशि ही वसूल की जाये और इसमें मनमानी न हो. लेकिन जिले के अधिकतर जांच केंद्रों पर शुल्क तालिका नहीं लगी है. जिसके कारण जैसा मरीज, वैसा शुल्क का फॉर्मूला अपनाया जा रहा है. एक ही जांच के लिए अलग-अलग मरीजों से अलग-अलग राशि की वसूली हो रही है. नतीजा है कि अशिक्षित लोग जांच केंद्र संचालकों की मनमानी का शिकार हो रहे हैं और उनका आर्थिक शोषण किया जा रहा है.
बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था मुहैया कराने के सरकारी दावे खोखले
बिना तकनीशियन के संचालित हैं अधिकतर जांच घर
स्वास्थ्य विभाग के उदासीनता के कारण जिले में अवैध पैथोलॉजी धड़ल्ले से चलाये जा रहे हैं. इतना ही नहीं लैब संचालकों द्वारा चिकित्सकों से सांठ-गांठ कर मरीजों का शोषण हो रहा है. लेकिन उपचार कराना है तो जांच तो कराना ही होगा. दरअसल प्रावधानों के अनुसार प्रशिक्षित लैब तकनीशियन को ही मरीजों की पैथोलॉजी जांच का अधिकार है. लेकिन जिले में संचालित अधिकतर पैथोलॉजी लैब में तकनीशियन हैं ही नहीं. अप्रशिक्षित कर्मियों द्वारा ही मरीजों की जांच की जाती है.
जाहिर है, ऐसे में इन जांच घरों की रिपोर्ट की प्रमाणिकता पर भी सवालिया निशान खड़ा हो जाता है. लेकिन इस ओर कोई भी अधिकारी ध्यान देना तक मुनासिब नहीं समझ रहे हैं. जिसके कारण पैथोलॉजी संचालकों की खूब चांदी कट रही है. इधर विभाग के इस रुख के कारण मरीजों की जान भी खतरे में है.
बिना निबंधन के जांच घर चलाने पर है जुर्माने का प्रावधान
सरकार द्वारा बिना निबंधन के जांच घर चलाने पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है. लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि यहां एक भी जांच घर निबंधित नहीं है. जांच घरों का निबंधन नहीं होने की वजह से विभागीय स्तर पर इसकी सुनवाई करने वाला भी कोई नहीं है. प्रावधानों के अनुसार बिना निबंधन के जांच घर संचालित करने पर पहली बार 50 हजार रुपये जुर्माना,
दूसरी बार पकड़े जाने पर दो लाख रुपये तक का जुर्माना व तीसरी बार पकड़े जाने पर 05 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. िफर भी अवैध जांच घरों पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है. इसके अलावा संचालकों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई का भी प्रावधान है.
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