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अवैध नर्सिंग होम पर होगी कार्रवाई

कार्रवाई . पैथोलॉजी व क्लिनिक भी हैं जांच एजेंसी के रडार पर जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने सिविल सर्जन को जिले के सभी फर्जी पैथोलॉजी और नर्सिंग होम की जांच करा कर उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने का निर्देश दिया है. सुपौल : जिले के मरीजों की जिंदगी पूरी तरह भगवान के रहमो-करम पर […]

कार्रवाई . पैथोलॉजी व क्लिनिक भी हैं जांच एजेंसी के रडार पर

जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने सिविल सर्जन को जिले के सभी फर्जी पैथोलॉजी और नर्सिंग होम की जांच करा कर उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने का निर्देश दिया है.
सुपौल : जिले के मरीजों की जिंदगी पूरी तरह भगवान के रहमो-करम पर निर्भर है. एक तरफ जिले की उम्मीद सदर अस्पताल का हाल बेहाल है, तो दूसरी तरफ झोला छाप डॉक्टरों की वजह से मरीजों की जान सांसत में है. ना केवल डॉक्टर बल्कि पैथोलॉजी और अल्ट्रासाउंड तक के मामले में भी पूरे जिले में फर्जीवाड़ा चल रहा है. आलीशान बिल्डिंग से लेकर झुग्गी झोपड़ी तक में डॉक्टरों और नर्सिंग होम के बोर्ड लगे हुए हैं जहां मरीजों का शोषण जारी है.
हैरानी की बात यह है कि इस फर्जीवाड़े से विभागीय अधिकारी भी वाकिफ है, लेकिन सबों ने एक दूसरे को मौन समर्थन दे रखा है. अब जबकि मामला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के कार्यालय में पहुंचा तो मामले की पड़ताल आरंभ हुई. अब ताजा घटना क्रम में जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने सिविल सर्जन को जिले के सभी फर्जी पैथोलॉजी और नर्सिंग होम की जांच करा कर उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने का निर्देश दिया है. देखना दिलचस्प होगा कि ऐसे फर्जीवाड़े के खिलाफ कोई कार्रवाई होती या फिर सब कुछ ठंडे बस्ते में एक बार फिर चला जाता है. ऐसा इसलिये कि इससे पहले भी फर्जीवाड़े का मुद्दा सामने आया है. लेकिन आधिकारिक स्तर पर अब तक कार्रवाई के नाम पर सिर्फ और सिर्फ लीपापोती ही होती रही है.
जिले में क्लिनिकल एक्ट की उड़ रही धज्जियां
राज्य सरकार ने नैदानिक स्थापन अधिनियम 2010 के तहत निजी अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लिनिक और प्रयोगशाला के निबंधन के संबंध में दिशा निर्देश जारी कर रखे हैं. लेकिन जिले के सभी नर्सिंग होम और क्लिनिकों में इस अधिनियम की धज्जियां उड़ायी जा रही है. वर्ष 2014 में 20 जून को तत्कालीन सिविल सर्जन उमा शंकर मधुप ने स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव को पत्र लिख कर बताया था कि नैदानिक स्थापन 2010 के तहत जिले में एक भी निजी अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लिनिक और प्रयोगशाला को निबंधन प्राप्त नहीं है. इतना ही नहीं निबंधन के लिये एक भी आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है. अब दो वर्ष बीत चुके हैं और इस स्थिति में कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा है. लिहाजा आज भी किसी नर्सिंग होम अथवा क्लिनिक ने निबंधन प्राप्त नहीं किया है. स्याह सच यह है कि क्लिनिक और नर्सिंग होम में सुविधाएं नगण्य है और यहां केवल मरीजों का शोषण होता है.
एफआइआर का निर्देश
जिले में चल रहे नर्सिंग होम, पैथेलॉजी, एक्स-रे सेंटर, अल्ट्रासाउंड सेंटर के खिलाफ लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के कार्यालय में शिकायत दर्ज करायी गयी थी. शिकायतकर्ता ने बताया था कि बड़े पैमाने पर ऐसे क्लिनिक और पैथोलॉजी का संचालन हो रहा है. जिनके संचालक के पास वांछित डिग्री भी उपलब्ध नहीं है. ऐसे क्लिनिक और पैथोलॉजी में मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है और उनका आर्थिक शोषण किया जा रहा है.
पदाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सिविल सर्जन को ऐसे संचालकों के खिलाफ जांच करा कर कार्रवाई का निर्देश दिया. इसके बाद सिविल सर्जन ने सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को 06 दिसंबर तक प्रखंडवार सूची उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. हैरानी की बात यह है कि सूत्र बतलाते हैं कि केवल राघोपुर प्रखंड से ही ऐसी सूची उपलब्ध करवायी गयी. पुन: मामले की सुनवाई करते हुए 22 दिसंबर को जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने सिविल सर्जन को सभी ऐसे फर्जी संचालकों के खिलाफ अविलंब एफआइआर दर्ज करने का निर्देश दिया है.
तरह-तरह के डॉक्टर और डिग्री
जिला मुख्यालय से लेकर सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में डॉक्टर के क्लिनिक और पैथोलॉजी की भरमार है. जानकार बताते हैं कि बहरहाल जितने भी डॉक्टर प्रैक्टिस कर रहे हैं, उसमे बमुस्किल 50 फीसदी चिकित्सकों के पास ही वैध डिग्री प्राप्त है. इसके अलावा अजब-गजब डिग्री भी बोर्ड पर लिखे होते हैं और विश्व विद्यालय या संस्था के भी नाम भी अजीबो-गरीब होते हैं.
फर्जीवाड़ा का हाल यह है कि चिकित्सक भले ही पटना और दरभंगा में कार्यरत हों, लेकिन उनके नाम का बोर्ड यहां लगा रहता है. ऐसे क्लिनिकों व नर्सिंग होम में धड़ल्ले से ऑपरेशन भी किये जाते हैं. मिली जानकारी अनुसार कई जगह पर तो स्वर्गवासी हो चुके डॉक्टर के भी बोर्ड लगे हुए है. जिसकी आड़ में फर्जी चिकित्सकों का धंधा बेरोक-टोक जारी है. ऐसे क्लिनिक और नर्सिंग होम आलीशान बिल्डिंग से लेकर झुग्गी झोपड़ी तक में चलाये जा रहे हैं, जहां मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ आम बात है.
कार्रवाई होगी
पुन: लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के आदेश की जानकारी अभी नहीं है. पूर्व में जो आदेश आये थे, उसके आधार पर सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को एफआइआर करने का आदेश दिया जा चुका है. नये आदेश के आलोक में कार्रवाई की जायेगी ़
डॉ रामेश्वर साफी, सिविल सर्जन, सदर अस्पताल, सुपौल

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