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डीसीओ के आवास से मिले कई सबूत

गड़बड़ी. सृजन घोटाले की आंच से सुपौल में हड़कंप, दिनभर दफ्तरों में चर्चा का विषय रहा सुपौल : सृजन घोटाले की जांच की आंच सुपौल तक पहुंचने के बाद हड़कंप मच गया. सरकारी दफ्तरों में दिन भर चर्चा का विषय बना रहा. मालूम हो कि भागलपुर का चर्चित सृजन घोटाला करीब एक हजार करोड़ तक […]

गड़बड़ी. सृजन घोटाले की आंच से सुपौल में हड़कंप, दिनभर दफ्तरों में चर्चा का विषय रहा

सुपौल : सृजन घोटाले की जांच की आंच सुपौल तक पहुंचने के बाद हड़कंप मच गया. सरकारी दफ्तरों में दिन भर चर्चा का विषय बना रहा. मालूम हो कि भागलपुर का चर्चित सृजन घोटाला करीब एक हजार करोड़ तक का पहुंच गया है. घोटाले के बाद राज्य में सियासी घमासान मचा है. यूं तो सृजन के गढ़ने की कहानी के पीछे स्वावलंबन, महिला अधिकार, सेवा, जागरूकता जैसे लोक लुभावने शब्दों को उछाला गया, लेकिन इसने घोटाले के कई कीर्तिमान स्थापित कर लिये. सृजन संस्था की शुरुआत महज दो महिलाओं के साथ मनोरमा देवी ने की थी. धीरे-धीरे महिलाओं की संख्या बढ़ कर करीब छह हजार हो गयी.
गरीब, पिछड़ी, महादलित महिलाओं के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने और उन्हें आत्मनिर्भर करने के उद्देश्य से इस संस्था की शुरुआत की गयी थी. महिलाओं का तकरीबन 600 स्वयं सहायता समूह बनाकर उन्हें स्वरोजगार से सृजन ने जोड़ा. शनिवार को एसआईटी की टीम ने सुपौल पहुंचकर जिला सहकारिता पदाधिकारी पंकज कुमार झा से पूछताछ की. पूछताछ से असंतुष्ट रहने पर टीम श्री झा को गिरफ्तार करके अपने साथ भागलपुर ले गयी है. इधर गिरफ्तार डीसीओ से पूछताछ के दौरान और खुलासा हो सकता है. गिरफ्तारी जिला सहकारिता पदाधिकारी के मुख्यालय स्थित आवास से की गयी है. गिरफ्तारी की पुष्टि एसपी डॉ कुमार एकले ने की है. चर्चा है कि झा को हिरासत में लिये जाने के दौरान उनके आवास से पुलिस को तीन लाख रुपये से अधिक की नगदी और सृजन घोटाले से जुड़े कई कागजात भी मिले हैं. बताया जा रहा है कि भागलपुर में रहने के दौरान 49 करोड़ रुपये की गड़बड़ी का आरोप झा पर लगा है. हालांकि रुपये के साथ ही कागजात मिलने की पुष्टि जिम्मेदारों द्वारा नहीं की जा रही है. यहां बता दें कि बिहार सरकार ने इस घोटाले की जांच के लिये सीबीआई से अनुशंसा की है.
वर्ष 2007 से 2014 तक भागलपुर में पदस्थािपत थे डीसीओ
वर्ष 2007 से वर्ष 2014 तक श्री झा भागलपुर में ही पदस्थापित थे. वे सहकारिता पदाधिकारी के अलावे को-ऑपरेटिव बैंक के एमडी के पद पर भी पदस्थापित रहे हैं. श्री झा बतौर जिला सहकारिता पदाधिकारी सुपौल में 6 जुलाई 2016 से पदस्थापित हैं. सूत्रों का कहना है की एसआईटी की टीम शुक्रवार की देर रात ही सुपौल पहुंची थी. जांच टीम सदर पुलिस के सहयोग से शनिवार की सुबह श्री झा को पूछताछ के लिये अपने साथ भागलपुर लेकर चली गयी. कार्य को इस तरह गोपनीय तरीके से अंजाम दिया गया कि किसी को भी कानोकान खबर नहीं हो सकी. बहरहाल, श्री झा की गिरफ्तारी के बाद जिला सहकारिता कार्यालय में सन्नाटा पसर गया है. कार्यालय खुला होने के बावजूद कर्मी नदारद थे. मौके पर बाहर खड़े कार्यालय के किरानी भजन राम ने बताया कि भागलपुर से पुलिस आयी थी जो साहब को पकड़कर अपने साथ ले गयी है.

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