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आप खुद को बदलेंगे तो लोग भी बदलेंगे

।। दक्षा वैदकर ।। महिलाओं को जागरूक करने के लिए, उनकी आवाज बुलंद करने के लिए इन दिनों कई फिल्में आ रही हैं. श्रीदेवी की फिल्म ‘इंगलिश विंगलिश’ इसी तरह की एक फिल्म थी. फिल्म में हर काम में निपुण श्रीदेवी की केवल एक कमजोरी यह थी कि उन्हें इंगलिश बोलना नहीं आता था. यही […]

।। दक्षा वैदकर ।।
महिलाओं को जागरूक करने के लिए, उनकी आवाज बुलंद करने के लिए इन दिनों कई फिल्में आ रही हैं. श्रीदेवी की फिल्म ‘इंगलिश विंगलिश’ इसी तरह की एक फिल्म थी. फिल्म में हर काम में निपुण श्रीदेवी की केवल एक कमजोरी यह थी कि उन्हें इंगलिश बोलना नहीं आता था.
यही वजह थी कि उनके पति और बेटी बार-बार उनका मजाक उड़ाते. आखिरकार श्रीदेवी अपनी कमजोरी को दूर कर लेती हैं और खुद को साबित करती हैं. कल यानी शुक्रवार को रिलीज हुई रेखा की फिल्म ‘सुपर नानी’ की कहानी भी कुछ इसी तरह की है. परिस्थितियां और किरदार बस अलग हैं. यहां भी मामला हक की लड़ाई का है. सम्मान व प्रेम पाने का है. भारती भाटिया यानी रेखा अपने परिवार के लिए दिनभर काम में लगी रहती हैं.
सभी की खुशी का ख्याल रखती हैं, लेकिन परिवार के सदस्य बदले में उन्हें प्यार और सम्मान जैसा कुछ भी नहीं देते. उनके लिए तो वह सिर्फ एक काम वाली बाई जैसी है. पुराने खयालात वाली महिला है, जिसे इस जमाने का कुछ भी नहीं आता. रेखा बार-बार अपने ही परिवार के सदस्यों से अपमानित होती रहती है और रोने के अलावा कुछ कर नहीं पाती. इसी दौरान एक दिन रेखा का नाती मन यानी शरमन जोशी की एंट्री होती है.
वह अपनी नानी को समझाता है कि अगर खुद के प्रति लोगों का रवैया बदलना है तो पहले खुद को बदलना होगा. 60 साल की उम्र में बदलावों से घबराने वाली नानी को वह मनाता है कि खुद की पर्सनालिटी को बदलें. रेखा का पूरी तरह मेकओवर हो जाता है. घर वाले उनके इस बदलाव से आश्चर्यचकित रह जाते हैं. साथ ही उनके आगे-पीछे घूमने लगते हैं.
इस तरह की फिल्में हमें बार-बार यही सीख देती हैं कि खुद पर भरोसा रखो. खुद को कमतर मत समझो. अगर तुम चाहते हो कि लोग तुम्हें प्यार करें और सम्मान दें, तो पहले खुद से प्यार करना सीख लो. अपने भीतर छिपे गुणों को पहचानो और उन्हें डेवलप करो. यह जान लो कि दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं है, जो तुम सीख नहीं सकते.
बात पते की..
– कोई भी व्यक्ति आपको तब तक प्रतिभाशाली नहीं मानेगा, सुंदर नहीं कहेगा, जब तक आप खुद के लिए यह बात विश्वास से नहीं कहते.
– यदि आपके परिवार के लोग आपको कमतर समझते हैं, तो खुद में सुधार करें. नयी चीजें सीखने में जुट जाएं. सीखने की कोई उम्र नहीं होती.

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