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एक दिन माता-पिता को जरूर समझोगे आप

दक्षा वैदकर एक महिला का खत आया है. वैसे तो वह खत बहुत लंबा है और उसमें बहुत सारी बातें हैं, लेकिन मैं कोशिश कर रही हूं कि उस खत का सार आपको बता सकूं. उसमें महिला ने लिखा है, ‘आज मैं अपनी मां को अच्छी तरह समझ पा रही हूं. जब मैं शादी के […]

दक्षा वैदकर

एक महिला का खत आया है. वैसे तो वह खत बहुत लंबा है और उसमें बहुत सारी बातें हैं, लेकिन मैं कोशिश कर रही हूं कि उस खत का सार आपको बता सकूं. उसमें महिला ने लिखा है, ‘आज मैं अपनी मां को अच्छी तरह समझ पा रही हूं. जब मैं शादी के पहले उनके पास रहती थी, तो मैंने उनसे कई बार खराब व्यवहार किया. कभी उल्टा जवाब दिया, तो कभी उनको कहा कि मां तुम्हें यह सब नहीं समझ आयेगा. मां मेरे साथ खाना खाने के लिए मेरे लिए रुकी रहती, तो मैं चिढ़ जाती थी. कभी मां मेरी बातों से दुखी हो कर रोने लगती थी, तो मैं और ज्यादा डांटते हुए कहती थी कि मुझे इमोशनल ब्लैकमेल मत किया करो.

मां घंटों किचन में मेहनत कर के मेरे लिए मेरा फेवरेट खाना बनाती थी, लेकिन मैं थैंक्यू भी नहीं बोलती थी. सुबह उठती, तो चाय सामने आ जाती, थोड़ी देर बाद ब्रेकफास्ट और उसके बाद लंच. मुझे कोई काम नहीं करना पड़ता था. हर चीज बैठे-बैठे हाथों में आ जाती. इन सब के बावजूद मैंने उनकी कभी कद्र नहीं की. आज जब मेरे बच्चे मेरे साथ यही व्यवहार कर रहे हैं, तो अब हर पल मुझे मां की याद आती है.

अब समझ आने लगा है कि मां को उस वक्त कैसा महसूस होता होगा. अब लगता है कि काश वो समय वापस आ जाता और मैं वो सब व्यवहार, घटनाएं, परिस्थितियां सुधार पाती, तो कितना अच्छा होता. लेकिन अब तो कुछ नहीं हो सकता. अब अफसोस करने के अलावा कोई चारा नहीं. दिल करता है कि मां की गोद में सिर रख कर खूब रोऊं और उन्हें सॉरी बोलूं.

उन्हें अपने घर पर बुला कर अपने पास ही रखूं. उनकी खूब सेवा करूं. उन्होंने मेरे लिए जो भी काम किये, देखभाल की, खाना बनाया, वो सब मैं उनके लिए करूं और उनको थैंक्यू बोलूं, लेकिन अब यह सब नहीं हो सकता. क्योंकि मां मेरी शादी के दो साल बाद ही गुजर गयी थी. अब मेरे पास पछतावे के अलावा कुछ नहीं है. लेकिन मैं नहीं चाहती कि मेरी तरह कोई और भी पछताये. इसलिए मैं आपको यह लिख रही हूं, ताकि आप अपने कॉलम के जरिये आजकल के बच्चों को बतायें कि वो कहां गलती कर रहे हैं.’

daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in

बात पते की..

– आप बेटे हो या बेटी, लेकिन यह याद रखो कि एक न एक दिन आपको यह एहसास जरूर होगा कि आप गलत थे. बेहतर है जल्दी समझ जाओ.

– माता-पिता के साथ खराब व्यवहार मत करो. आप जैसा व्यवहार करते हो, वैसा ही व्यवहार आपके बच्चे भी आपके साथ करते हैं.

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