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Thursday, March 28, 2024

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बच्चों को मारना-पीटना सबसे बड़ी गलती

दक्षा वैदकर बीती शाम दोस्तों के साथ गपशप हो रही थी. तभी एक दोस्त ने कहा- ‘मैं तो बहुत परेशान हो गया हूं बच्चों से. वे बिल्कुल कहना नहीं मानते. मेरी बेटी तो रोज ही मुझसे मार खाती है. वह बहुत जिद्दी है. उसे मारने से हाथ दुखने लगते हैं, इसलिए उसे मारने के लिए […]

दक्षा वैदकर

बीती शाम दोस्तों के साथ गपशप हो रही थी. तभी एक दोस्त ने कहा- ‘मैं तो बहुत परेशान हो गया हूं बच्चों से. वे बिल्कुल कहना नहीं मानते. मेरी बेटी तो रोज ही मुझसे मार खाती है. वह बहुत जिद्दी है. उसे मारने से हाथ दुखने लगते हैं, इसलिए उसे मारने के लिए स्पेशल एक डंडा रखना पड़ा है.’

मैंने पूछा- वो ऐसा क्या करती है कि आपको उसे डंडे से मारना पड़ता है? वे बोले- अरे आपको पता नहीं है. वह बिल्कुल पढ़ती नहीं है. उसे टेस्ट में 10 में से 9 नंबर आये. मैंने बड़े आश्चर्य से पूछा- सिर्फ एक नंबर के लिए आपने उसे मारा? वे बोले- अरे, वह हर बार 10 में से 10 लाती है. इस बार एक नंबर कम आया. मैं नहीं चाहता कि जो मेरे साथ हुआ, वह उसके साथ हो. हमने बचपन में ठीक से पढ़ाई नहीं की, तो आज ऐसी नौकरी कर रहे हैं. अभी वो पढ़ेगी, तभी अच्छी नौकरी मिलेगी. भले ही उसको मुङो मारना पड़े.

इस मित्र की बात से मुङो बहुत दुख हुआ. मैंने उसे गुस्से में कह दिया कि अब मुझसे बात ही मत करें. आज से दोस्ती खत्म, लेकिन फिर लगा कि एक बार समझाया जाये.

उन्हें मैंने अपनी दो सहेलियों के बारे में बताया. दोनों ही अलग-अलग फील्ड में बहुत अच्छी पोजीशन पर हैं, लेकिन एक अपने पापा से नफरत करती है, उन्हें फोन तक नहीं करती और दूसरी दिन में चार बार उन्हें फोन लगाती है, उनकी चिंता करती है. दरअसल जो पापा से नफरत करती है, वह अक्सर दोस्तों को अपने बचपन के किस्से बताती है कि उसके पापा ने किस तरह उसे डंडे, झाड़, चप्पल से मारा है, सिर्फ इसलिए क्योंकि वह पढ़ती कम थी.

एक उम्र तक वह पापा की मार से बहुत डरती थी, लेकिन 14-15 साल की होने के बाद उसे मार की आदत पड़ गयी और उसने पापा को आंखें दिखाना, बदतमीजी करनी शुरू कर दी और जैसे ही थोड़ी और बड़ी हुई, घर छोड़ दिया और दूसरे शहर जा बसी. वहीं दूसरी सहेली बताती है कि उसके पापा ने उसे आज तक गुस्से वाली आंखों से भी नहीं देखा. फिर भले ही कम नंबर आ जाये या कोई गलती हो जाये. वे हमेशा प्यार से समझाते. आज वह जो कुछ भी है, उसका सारा श्रेय पापा के प्यार को देती है.

बात पते की..

पैरेंट्स को लगता है कि वे बच्चों को मार कर बहुत भलाई का काम कर रहे हैं, लेकिन वे भूल जाते हैं कि बच्चे के लिए सबसे ज्यादा जरूरी प्यार है.

आप भले ही मार-मार कर बच्चों को पढ़ा लेंगे, लेकिन इसके बाद वे आपसे नफरत करेंगे. वैसे पढ़ाई प्यार से समझा कर भी करवायी जा सकती है.

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