दक्षा वैदकर
एक राजा था. उसने आज्ञा दी है कि इस बात की खोज की जाये कि कौन-से जीव-जंतु निरुपयोगी हैं. बहुत खोजबीन के बाद जानकारी मिली कि संसार में दो जीव जंगली मक्खी व मकड़ी बिल्कुल बेकार है. राजा को भी यह बात ठीक लगी. उसने सोचा, क्यों न इनको खत्म कर दिया जाये. इसी बीच उस राजा पर एक अन्य शक्तिशाली राजा ने आक्रमण कर दिया, जिसमें राजा हार गया और जान बचाने के लिए राजपाट छोड़ कर जंगल में चला गया. शत्रु के सैनिक उसका पीछा करने लगे. काफी दौड़-भाग के बाद राजा ने अपनी जान बचायी और थक कर एक पेड़ के नीचे सो गया. तभी एक जंगली मक्खी ने उसकी नाक पर डंक मारा, जिससे राजा की नींद खुल गयी. उसे ख्याल आया कि खुले में ऐसे सोना सुरक्षित नहीं और वह गुफा में जा छिपा.
राजा के गुफा में जाने के बाद मकड़ियों ने गुफा के द्वार पर जाला बुन दिया. शत्रु के सैनिक उसे ढूंढ़ ही रहे थे. जब वे गुफा के पास पहुंचे, तो द्वार पर घना जाला देख कर आपस में कहने लगे, अरे. चलो आगे. इस गुफा में वह आया होता, तो द्वार पर बना यह जाला नष्ट हो गया होता. गुफा में छिपा बैठा राजा ये बातें सुन रहा था. शत्रु के सैनिक आगे निकल गये. उस समय राजा की समझ में यह बात आयी कि संसार में कोई भी प्राणी या चीज बेकार नहीं. अगर जंगली मक्खी और मकड़ी न होतीं, तो उसकी जान न बच पाती.
दोस्तों, यह कहानी हमें सीख देती है कि इस संसार में कोई भी चीज या प्राणी बेकार नहीं. हर एक की कहीं न कही उपयोगिता है. अक्सर हम अपने आसपास ऐसे लोगों को ही रखते हैं, जो बड़े पदों पर हैं, पैसे वाले हैं और हमारे काम आ सकते हैं. हम कई लोगों से मिलना-जुलना, बात करना इसलिए छोड़ देते हैं क्योंकि हमारे मुताबिक वे हमारे किसी काम के नहीं. हमें लगता है कि उन्हें समय देना केवल समय की बर्बादी है. हमें लगता है कि ऐसे लोगों से दूर रहना ही बेहतर है. उन्हें जिंदगी से निकाल दना चाहिए. जबकि कभी न कभी ऐसे वाकये जरूर आते हैं, जब हमें उनकी जरूरत होती है.
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बात पते की..
कभी भी किसी से रिश्ता पूरी तरह खत्म न करें. सभी से प्रेम-भाव, दोस्ताना तरीके से मिलें. झगड़ा हो, तो उसे बात कर तुरंत खत्म करें.
खुद को महान समझना और दूसरों को बेकार व किसी काम का न समझना गलत है. याद रहे, बंद घड़ी भी दिन में दो बार सही समय बताती है.