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कह नहीं सकते, तो लिख कर बता दें

।। दक्षा वैदकर ।। पिछले दिनों मैं एक सीरियल देख रही थी. उसमें सीरियल के मुख्य किरदार की शादी उसकी मां किसी और से तय कर देती है. वह अपनी मां से अपनी प्रेमिका के बारे में बात करना चाह रहा था, लेकिन उसे डर था कि मां नाराज हो जायेगी या किसी शब्द का […]

।। दक्षा वैदकर ।।
पिछले दिनों मैं एक सीरियल देख रही थी. उसमें सीरियल के मुख्य किरदार की शादी उसकी मां किसी और से तय कर देती है. वह अपनी मां से अपनी प्रेमिका के बारे में बात करना चाह रहा था, लेकिन उसे डर था कि मां नाराज हो जायेगी या किसी शब्द का दूसरा अर्थ निकाल लेगी और बीच में बात काट कर डांटना शुरू कर देगी.
वह मां से बात करने की कोशिश करता, लेकिन माहौल कुछ ऐसा हो जाता कि उसे वहां से हटना पड़ता. शादी की तारीख करीब आ रही थी. उसके चेहरे पर यह चिंता साफ दिख रही थी. उसकी भाभी ने उसकी इस परेशानी को जान लिया. उन्होंने देवर से इस बारे में पूछा, तो उसने अपनी परेशानी की वजह बतायी. भाभी ने कहा, ‘जो बात तुम आमने-सामने नहीं कह पा रहे हो, उसे चिट्ठी लिख कर कह दो न.
चिट्ठी लिखने यह फायदा होगा कि तुम्हें मां के सामने खड़े हो कर यह सब नहीं कहना पड़ेगा. न घबराहट होगी और न ही तुम्हारी जुबां लड़खड़ायेगी. तुम्हारे दिल में जो भी बात है, उसे अच्छी तरह समझाते हुए तुम एक खत में लिख दो.’देवर ने भाभी की बात मान कर यही किया. उसने दिल की सारी बातें और भावनाएं इस खत में उड़ेल दी और मां के कमरे में जा कर टेबल पर वह खत रख दिया. मां की नजर रात को सोने से पहले उस खत पर पड़ी.
उसमें उनके बेटे ने मन की बेचैनी, मां के प्रति सम्मान और उस प्रेमिका के बारे में बातें लिखी थी. उसने यह समझाने की कोशिश की थी कि अगर शादी पसंद से नहीं होती है, तो कितने लोगों का जीवन बर्बाद हो सकता है. न वह सुखी रहेगा और न ही उस लड़की को खुश रख पायेगा, जिससे मां शादी करा रही है.
उसने खत में यह भी बताया कि वह मां को कितना प्यार करता है और उनकी खुशी अगर बेटे के दुखी रहने में ही है, तो वह जहां बोलेंगी, शादी कर लेगा. यह खत पढ़ कर मां की आंखें भर आयीं.
सुबह उठते ही वह बेटे के कमरे में गयी और उससे कहा कि अपनी प्रेमिका और उसके परिवार वालों से कहो कि हम शगुन ले कर आ रहे हैं. बेटे की आंखें खुशी के आंसुओं से भर गयी. उसने भाभी की तरफ देखा और दोनों मुस्कुरा दिये.
बात पते की.
– अपनी बात को समझाने के लिए खत एक बेहतरीन माध्यम है. यह झगड़े कम करता है और बहस की गुंजाइश भी. आप भी इसे ट्राय कर सकते हैं.
– अपने से बड़ों से बहस करने या उल्टा जवाब देने की बजाय उन्हें अपने दिल की बात इस तरह कहने से दोनों का दिल नहीं टूटता. बात भी हो जाती है.

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