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केंद्र सरकार की रिपोर्ट से हुआ खुलासा, मलेरिया के मामले कम होने से थोड़ी राहत, डेंगू से बंगाल की स्थिति भयावह

जलपाईगुड़ी: डेंगू तथा मलेरिया को लेकर केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल की स्थिति को लेकर चिंता प्रकट की गई है. इस रिपोर्ट में डेंगू के मामले में पश्चिम बंगाल को सबसे खतरनाक राज्यों में शुमार किया गया है. डेंगू और मलेरिया से पीड़ित तथा मृत रोगियों के मामले […]

जलपाईगुड़ी: डेंगू तथा मलेरिया को लेकर केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल की स्थिति को लेकर चिंता प्रकट की गई है. इस रिपोर्ट में डेंगू के मामले में पश्चिम बंगाल को सबसे खतरनाक राज्यों में शुमार किया गया है. डेंगू और मलेरिया से पीड़ित तथा मृत रोगियों के मामले में पश्चिम बंगाल का दूसरा स्थान है.

हालांकि रिपोर्ट में राहत की बात यह है कि इंसेफलाइटिस तथा जापानी इंसेफलाइटिस की बीमारी से रोगियों की मौत के मामले में कमी आयी है. केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने पिछले दिनों लोकसभा में इस रिपोर्ट को पेश किया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि इस साल 31 अक्टूबर तक पश्चिम बंगाल तथा उत्तर प्रदेश में क्रमश: 28 तथा 29 रोगियों की मौत हुई है. पश्चिम बंगाल में डेंगू पीड़ितों की संख्या 11 हजार 69 बतायी गयी है. एक तरह से कहें तो डेंगू के मामले में पश्चिम बंगाल पहले स्थान पर है. डेंगू और मलेरिया के रोगियों को मिलाकर बात करें तो पश्चिम बंगाल उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर है.


पिछले साल के मुकाबले इस साल डेंगू के मरीजों में भारी वृद्धि हुई है. पिछले साल पूरे साल में राज्य में डेंगू मरीजों की संख्या 8516 थी, जबकि 14 रोगी मारे गये थे. इस साल अब तक यह आंकड़ा काफी बढ़ गया है. मलेरिया के मामले में रिपोर्ट में कहा गया है कि 30 सितंबर तक 22 हजार 30 लोग इस बीमारी से पीड़ित थे, जबकि 55 रोगियों की मौत हुई है. पिछले साल यह आंकड़ा पूरे साल में 24 हजार 208 मरीजों की थी. कुल 34 मरीज मारे गये थे. रिपोर्ट में चिकनगुनिया के आंकड़े का भी जिक्र है. पिछले साल चिकनगुनिया से 1013 मरीज पीड़ित हुए थे. इस साल अब तक यह आंकड़ा 921 मरीजों की है. चिकनगुनिया से किसी की मौत नहीं हुई है. दूसरी तरफ केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधीन नेशनल वेक्टर वर्न डिजिज प्रोग्राम विभाग द्वारा इंसेफलाइटिस के आंकड़े जारी किये गये हैं. इसमें बताया गया है कि पिछले साल राज्य में 2165 मरीज पीड़ित हुए थे और 351 रोगियों की मौत हुई थी. जापानी इंसेफलाइटिस से 342 मरीज पीड़ित हुए थे और 75 मारे गये थे. इस साल अक्टूबर तक यह आंकड़ा क्रमश: 1526 एवं 221 तथा 134 एवं 136 है. मच्छरजनित रोगों के मामले में असम भी संवेदनशील राज्यों में शुमार है.

इस बीच, विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पश्चिम बंगाल में डेंगू तथा मलेरिया के मामले अधिक होने के बाद भी केन्द्र सरकार द्वारा इससे निपटने के लिए धन आवंटन के मामले में कमी कर दी गई है. पिछले साल इस मद में 16 करोड़ 45 लाख रुपये दिये गये थे, जबकि इस साल अब तक 7 करोड़ 85 लाख रुपये ही दिये गये हैं. यहां उल्लेखनीय है कि डेंगू तथा मलेरिया के काफी मामले सिलीगुड़ी सहित उत्तर बंगाल में भी सामने आते हैं. इसके अलावा इंसेफलाइटिस का कहर भी इस क्षेत्र में टूटता है. दो साल पहले इंसेफलाइटिस 100 से भी अधिक लोग मारे गये थे.

इस साल सिलीगुड़ी में डेंगू के अब तक 125 मरीज पाये गये हैं. अब तक दो रोगियों की मौत भी हो चुकी है. इस संबंध में नेशनल वेक्टर वर्न डिजिज प्रोग्राम विभाग के निदेशक डॉ एससी धारीवाल ने साफ तौर पर कहा है कि पश्चिम बंगाल सहित कुछ राज्यों में डेंगू महामारी का रूप ले रहा है. डेंगू की रोकथाम के लिए कोई निर्धारित दवा अथवा टीका नहीं है. इसलिए आम लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ भवन निर्माण के प्लान में भी कुछ तब्दीली की जा रही है. भवन निर्माण प्लान के समय इस बात को सुनिश्चित किया जायेगा कि जल जमाव की कोई परिस्थिति उत्पन्न नहीं हो. मच्छरों के नाश पर विशेष जोर दिया जाना जरूरी है. डॉ धारीवाल ने नगरपालिका तथा नगर निगम की भूमिका को इस मामले में अहम बताया है.

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