मुख्यमंत्री के विदेश से लौटते के बाद विधानसभा में इसे पास कर लिया जायेगा. समेकित शिशु सुरक्षा योजना (आइसीपीएस) को दुरुस्त करने के लिए पहली बार इस तरह का कदम राज्य समाज कल्याण, महिला एवं शिशु विकास विभाग उठाने जा रहा है. जलपाईगुड़ी में उत्तर बंगाल केंद्रित एक कार्यशाला में हिस्सा लेने आयीं, राज्य के शिशु अधिकार एवं तस्करी निषेध निदेशालय की निदेशक ऋ चा शर्मा ने यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत स्तर की विलेज चाइल्ड प्रोटेक्शन कमिटी में 11 पदाधिकारियों समेत 15 सदस्य होंगे. इस कमिटी के अध्यक्ष संबंधित पंचायत प्रधान होंगे. ब्लॉक वेलफेयर ऑफिसर आदि को सदस्य सचिव बनाया जायेगा. आंगनबाड़ी कर्मी को एकाउंटेंट की जिम्मेदारी दी जायेगी. सबसे बड़ी बात यह है कि कमिटी में 12-18 वर्ष के किसी किशोर या किशोरी को भी रखा जायेगा. अगर छात्र या छात्रा खुद सदस्य नहीं रहना चाहेंगे, तो उनके शिक्षक को रखा जायेगा. इसके अलावा स्वयंसेवी सगंठन के किसी व्यक्ति, एक आम ग्रामवासी, एक विशिष्ट व्यक्ति, स्कूल शिक्षक, स्कूल परिचालन कमिटी सदस्य, कोई अभिभावक भी कमिटी में रखा जायेगा.
इसी तरह नगरपालिका-नगर निगम इलाके में बोरो या वार्ड में सीपीसी का गठन किया जा रहा है. इस कमिटी में वार्ड पार्षद को चेयरपर्सन बनाया जायेगा. नगरपालिका या नगर निगम के चेयरमैन अतिथि सदस्य के रूप में रहेंगे. कुल 20 लोगों की कमिटी होगी. इसमें जिला शिशु सुरक्षा यूनिट के प्रतिनिधि, जिला शिशु विकास योजना अधिकारी के प्रतिनिधि, आइसीडीएस सुपरवाइजर, शिशु प्रतिनिधि, एनजीओ, चाइल्ड लाइन प्रतिनिधि, स्थानीय स्कूल के प्रधान शिक्षक, थाने के अधिकारी, अभिभावक, श्रम निरीक्षक, जिला कानूनी परिसेवा संगठन के प्रतिनिधि आदि को रखा जायेगा.
वहीं ब्लॉक स्तरीय सीपीसी 21 सदस्यीय होगी. इसमें ब्लॉक के सभी ग्राम पंचायत प्रधान शामिल होंगे. बीडीओ सदस्य सचिव होंगे. चेयरपर्सन की भूमिका पंचायत समिति के अध्यक्ष निभायेंगे. इसके अलावा कमिटी में शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस, महिला और शिशु कल्याण से संबंधित कर्माध्यक्ष भी रहेंगे.