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6000 का पॉप-अप छपरा कार्यालय को मिला

व्यवसायियों के पॉप-अप में कई त्रुटियां छपरा (सदर) : आगामी जुलाई से जीएसटी लागू होने के बाद जिले के छह हजार व्यवसायियों के वैट से जीएसटी में स्थानांतरण का पॉप-अप सारण वाणिज्य कर अंचल को प्राप्त हो गया है. परंतु, इनमें 50 फीसदी व्यवसायियों के पॉपअप में त्रुटि है. जिसका निष्पादन व्यवसायी खुद, अपने अधिवक्ता […]

व्यवसायियों के पॉप-अप में कई त्रुटियां

छपरा (सदर) : आगामी जुलाई से जीएसटी लागू होने के बाद जिले के छह हजार व्यवसायियों के वैट से जीएसटी में स्थानांतरण का पॉप-अप सारण वाणिज्य कर अंचल को प्राप्त हो गया है. परंतु, इनमें 50 फीसदी व्यवसायियों के पॉपअप में त्रुटि है. जिसका निष्पादन व्यवसायी खुद, अपने अधिवक्ता के माध्यम से ऑनलाइन कर सकते है या वाणिज्य कर अंचल छपरा प्रभारी के कार्यालय में संपर्क कर उसका समाधान करा सकते है. यदि व्यवसायी समय पर इन त्रुटियों का समाधान नहीं कराते तो जीएसटी लागू होने के बाद उनका पॉपअप स्वत: रद्द हो जायेगा. यह जानकारी वाणिज्य कर अंचल सारण के प्रभारी शंकर शर्मा ने दी.
तीन प्रकार की है मुख्य त्रुटियां : वाणिज्य कर प्रभारी श्री शर्मा के अनुसार पहली त्रुटि माइग्रेसन के लिए आवेदन के दौरान डिजिटल सिग्नेचर नहीं किये जाने के कारण हुई है. ऐसी स्थिति में ये व्यवसायी यथा शीघ्र अपना डिजिटल हस्ताक्षर अपलोड कर इसका सुधार कर सकते है. इस संबंध में सभी आयकर अधिवक्ताओं व चार्टेट एकाउंटेंट को व्यवसायियों की सूची उपलब्ध करा दी गयी है. दूसरी गलती सैकड़ों व्यवसायियों के पैन नंबर के संबंध में ऐसे व्यवसायियों का पॉपअप तो आया है
परंतु, पैन नंबर गलत है. फलत: जबतक पैन नंबर का सुधार नहीं होता है तब तक उनका वैट से जीएसटी में माइग्रेसन नहीं हो पायेगा. संबंधित व्यवसायी सारण वाणिज्यकर अंचल प्रभारी के कार्यालय में पुन: अपना सही पैन नंबर देकर इस समस्या का समाधान करा सकते है. इसके अलावा कई व्यवसायियों के पैन नंबर भी आवेदन के साथ नहीं है. ऐसी स्थिति में कार्यालय से संपर्क कर मई माह के अंत तक व्यवसायी अपनी इस समस्या का समाधान करा सकते है.
उन्होंने बताया कि गत वर्ष अक्तूबर, नवंबर माह में ही व्यवसायियों ने वैट से जीएसटी में स्थानांतरण के लिए आवेदन दिया था.
क्या है पॉप-अप
व्यवसायियों के वैट से जीएसटी में बदले जाने की वाणिज्य कर विभाग की प्रक्रिया को ही पॉप-अप कहा जाता है. इसके तहत व्यवसायी अपने फार्म का रजिस्ट्रेशन बिक्री कर अधिवक्ता या सीए के माध्यम से कंप्यूटर द्वारा करते हैं. इस दौरान जो भी त्रुटियां रह जाती है. उसे पॉप-अप के दौरान सुधारने का मौका एक निश्चित अवधि तक मिलता है. यदि इन त्रुटियों को व्यवसायी सुधार नहीं कराते तो उनका वैट से जीएसटी में माइग्रेशन निर्धारित समय के बाद रद्द कर दी जाती है.

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