खरसावां. 14 वर्षों से नहीं हुई डैम की सफाई, सिंचाई क्षमता घटी
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मिट्टी व बालू से भरा केरकेट्टा डैम, बारिश में भी नहर सूखी
खरसावां. 14 वर्षों से नहीं हुई डैम की सफाई, सिंचाई क्षमता घटी खरसावां : जल संसाधन विभाग के जल पथ प्रमंडल संख्या चार द्वारा संचालित सोना जलाशय योजना (केरकेट्टा डैम) का लाभ बरसात में भी किसानों को नहीं मिल पा रहा है. इस योजना से खेतों तक आवश्यकता अनुसार सिंचाई का पानी नहीं पहुंच रहा […]
खरसावां : जल संसाधन विभाग के जल पथ प्रमंडल संख्या चार द्वारा संचालित सोना जलाशय योजना (केरकेट्टा डैम) का लाभ बरसात में भी किसानों को नहीं मिल पा रहा है. इस योजना से खेतों तक आवश्यकता अनुसार सिंचाई का पानी नहीं पहुंच रहा है. नहरों की स्थिति रख-रखाव के अभाव में दिनों दिन खराब होती जा रही है. बारिश के दिनों में भी शाखा नहर में पानी नहीं है. विभाग की उदासीनता के कारण किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है.
केरकेट्टा डैम की साफ सफाई नहीं
जल भंडारण स्थल केरकेट्टा डैम में मिट्टी-बालू भर जाने से सोना सिंचाई योजना की सिंचाई क्षमता आधी से भी कम हो गयी है. एक दशक पूर्व तक सोना नहर से खरसावां, कुचाई व सरायकेला प्रखंड के किसानों को पर्याप्त पानी मिल जाता था, लेकिन अब इसका दायरा कुछ ही गांवों के खेतों तक सिमट कर रह गया है.
2003 से नहीं हुई है नहर की साफ-सफाई
2003 के बाद से डैम व नहरों की साफ-सफाई नहीं हुई है. डैम में बालू-मिट्टी के साथ-साथ नहरों में झाड़ियां उग आयीं हैं.
2003 में मुख्य नहर के साथ-साथ करीब 50 फीसदी शाखा नहरों का पक्कीकरण किया गया था. शेष नहरों का पक्कीकरण नहीं होने के कारण उनका अस्तित्व ही समाप्त होने के कगार पर पहुंच गया है. पक्की नहरों से पानी का रिसाव बदस्तूर जारी है. कई जगहों पर नहरों में दरारें भी आ गयी हैं.
आधी से भी कम हो गयी सिंचाई क्षमता
बारिश के इस मौसम में भी सोना सिंचाई योजना के मुख्य नहर में क्षमता से काफी कम पानी है. पहले यह नहर सालों भर पानी से लबालब रहता था. उस समय इसकी सिंचाई क्षमता 75 गांवों के 10,200 हेक्टेयर जमीन की थी. फिलहाल केरकेट्टा डैम में बालू व मिट्टी भरने के कारण अब 50 गांवों तक भी ठीक से पानी नहीं पहुंचता है. इस नहर की सिंचाई क्षमता सात हजार हेक्टेयर से भी कम हो गयी है.
नहरों के पक्कीकरण, मरम्मत व साफ-सफाई के लिए डीपीआर तैयार कर विभाग के पास स्वीकृति के लिए भेजा गया है. स्वीकृति के बाद ही उन पर कार्य शुरू होगा.
सहायक अभियंता, जल पथ प्रमंडल संख्या चार
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