34.1 C
Ranchi
Friday, March 29, 2024

BREAKING NEWS

Trending Tags:

सिंदरी खाद कारखाने के अब बहुरेंगे दिन

केंद्रीय कैबिनेट ने सिंदरी खाद कारखाने को खोलने का फैसला लेते हुए उसमें छह हजार करोड़ के निवेश का फैसला किया है. मोदी सरकार के एक साल पूरा होने पर लिया गया यह बड़ा फैसला है जिसका देश का खाद उत्पादन व कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने में अच्छा असर पड़ेगा. इससे चुनाव के वक्त […]

केंद्रीय कैबिनेट ने सिंदरी खाद कारखाने को खोलने का फैसला लेते हुए उसमें छह हजार करोड़ के निवेश का फैसला किया है. मोदी सरकार के एक साल पूरा होने पर लिया गया यह बड़ा फैसला है जिसका देश का खाद उत्पादन व कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने में अच्छा असर पड़ेगा.

इससे चुनाव के वक्त किये वादे को भी केंद्र सरकार ने पूरा किया है. दरअसल घाटे में चल रहे इस कारखाने को एक एनडीए की सरकार ने बंद करने का फैसला 13 साल पहले किया था.

1992 में ही इसे सिक घोषित किया गया था. बाद में सरकार ने घाटे में चल रहे सारे कारखानों को बंद करने का फैसला किया. इससे वहां काम करनेवाले 2250 लोग बेरोजगार हो गये थे. बाद में यूपीए की सरकार ने 2007 में इसके पुनरुद्धार का निर्णय तो किया, लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ रहा था.

एक कमेटी ने इसे सेल को सौंपने की अनुशंसा की थी. सेल ने इसमें 35 हजार करोड़ रुपये के निवेश की बात कही थी लेकिन फिर बात आगे नहीं बढ़ी. अब इसे फिर से खोलने का निर्णय हुआ है. सिंदरी कारखाने का लंबा और गौरवमयी इतिहास रहा है. यह आजाद भारत की पहली पब्लिक सेक्टर कंपनी थी लेकिन कम उत्पादन और ध्यान नहीं से गर्त में चली गयी थी. अब इसके दिन बहुरने वाले हैं.

कंपनी में काम करनेवालों के लिए अच्छे दिन आ गये हैं. इस कंपनी को खोलना देशहित में है, किसानों के हित में है. भारत की अर्थव्यवस्था खेती आधारित है. खेतों में उत्पादन तभी बढ़ेगा जब वहां खाद हो. किसान अभी खाद की किल्लत से जूझ रहे हैं.

जितनी खाद की मांग है, उतना उत्पादन नहीं. किसानों को पूरे देश में 310 लाख टन खाद चाहिए जबकि उत्पादन होता है सिर्फ 230 लाख टन. बाकी खाद दूसरे देशों से मंगानी पड़ती है. सिंदरी खाद कारखाने की क्षमता 13 लाख टन की है. जाहिर है कि जब इसमें 6000 करोड़ रुपये लगेंगे तो यह क्षमता भी भविष्य में बढ़ेगी. इससे खाद (यूरिया) का आयात घटेगा. वैसे भी झारखंड और बंगाल में खाद का दूसरा कोई कारखाना नहीं है.

अभी देश मे जमीन अधिग्रहण कानून को लेकर केंद्र पर किसान विरोधी होने का आरोप लग रहा है. इस निर्णय से केंद्र यह दावा कर सकता है कि वह किसानों के हित को प्राथमिकता देता है, उनकी चिंता करता है. इसलिए इस कारखाने का खुलना सभी के हित में है.

You May Like

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

अन्य खबरें