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बेहतर संबंधों से ही संभव होगा विकास

संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा कश्मीर का मसला उठाये जाने के बाद माना जा रहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुत तल्खी के साथ इसका जवाब देंगे. विश्लेषक दोनों देशों के बीच तनाव के और बढ़ने की आशंका जताने लगे थे. लेकिन, प्रधान मंत्री ने बहुत ही संयमित ढंग से […]

संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा कश्मीर का मसला उठाये जाने के बाद माना जा रहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुत तल्खी के साथ इसका जवाब देंगे. विश्लेषक दोनों देशों के बीच तनाव के और बढ़ने की आशंका जताने लगे थे. लेकिन, प्रधान मंत्री ने बहुत ही संयमित ढंग से पाकिस्तान के साथ संबंधों की बेहतरी के अपने इरादे को फिर दोहराया.

साथ ही, भारत-विरोधी आतंकवाद को पड़ोस से मिल रहे शह की चर्चा कर उन्होंने पाकिस्तान को रक्षात्मक रुख अपनाने को भी मजबूर कर दिया. इससे पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने न्यूयॉर्क में दक्षिण एशिया के विदेश मंत्रियों की बैठक में पाकिस्तान के रवैये की जोरदार आलोचना की थी. इन बयानों का असर यह हुआ कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने न सिर्फ बातचीत बहाल करने संबंधी नरेंद्र मोदी के बयान का स्वागत किया, बल्कि यह भी माना कि अगस्त में नयी दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायुक्त और कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के बीच बातचीत का समय उचित नहीं था. इस बातचीत और कश्मीर में आतंकी घुसपैठ के कारण भारत ने दोनों देशों के विदेश सचिवों की बैठक को रद्द कर दिया था. पाकिस्तान के विदेश और वित्त मंत्री रह चुके सरताज अजीज सत्ताधारी पाकिस्तान मुसलिम लीग (नवाज) के प्रमुख नेता हैं.

पाक प्रधानमंत्री के वरिष्ठ सलाहकार होने के नाते उनका बयान बहुत अहम है. तनाव भरे समय में सरताज अजीज का यह बयान स्वागतयोग्य है. विदेश नीति के मोरचे पर भारत सरकार काफी सक्रिय हुई है और पड़ोसी देशों के साथ मजबूत संबंध बनाने के प्रयास भी हो रहे हैं. इन्हीं प्रयासों का नतीजा है कि चीन ने भी लद्दाख में घुस आये अपने सैनिक वापस बुला लिये हैं. सीमा पर शांति और आपसी सहयोग भारतीय उपमहाद्वीप के विकास की अनिवार्य शर्त हैं और इसे हासिल करने की संभावनाएं भी मौजूद हैं. यह दौर आर्थिक विकास का है. बेहतर जिंदगी हर आदमी की हसरत है. इसीलिए, सबसे ज्यादा जरूरत इस बात की है कि देशों का राजनीतिक नेतृत्व सच्चे मन से पहल करे, दोस्ती के लिए बढ़े हाथ को थामे और इसे एक ऐसे मौके में बदल दे, जिस पर परस्पर समृद्धि का भविष्य निर्मित हो सके.

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