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डेटा सुरक्षा की पहल

लंबे अरसे से दुनियाभर में डेटा सुरक्षा को पुख्ता करने और निजता के अधिकार को सुनिश्चित करने की कवायद चल रही है. सोशल मीडिया से लेकर इ-मेल और मैसेजिंग जैसी सेवाओं का इस्तेमाल करते हुए करोड़ों उपभोक्ता अपनी निजी जानकारियों को कंपनियों के ऑनलाइन प्लेटफार्म पर साझा करते हैं. ऐसे में डेटा स्थानांतरण की पारंपरिक […]

लंबे अरसे से दुनियाभर में डेटा सुरक्षा को पुख्ता करने और निजता के अधिकार को सुनिश्चित करने की कवायद चल रही है. सोशल मीडिया से लेकर इ-मेल और मैसेजिंग जैसी सेवाओं का इस्तेमाल करते हुए करोड़ों उपभोक्ता अपनी निजी जानकारियों को कंपनियों के ऑनलाइन प्लेटफार्म पर साझा करते हैं.
ऐसे में डेटा स्थानांतरण की पारंपरिक प्रक्रिया अब डेटा प्रवाह का रूप ले चुकी है, जहां यह पता लगाना मुश्किल हो चला है कि आपका निजी डेटा किस संस्था द्वारा और किस उद्देश्य के लिए इस्तेमाल हो रहा है. बेहद महत्वपूर्ण साधन के रूप में इस्तेमाल होनेवाला डेटा किस देश में जा रहा है, यह भी हमें नहीं पता होता. डिजिटल युग में हमारी जानकारियां निजी कंपनियों के हाथ में कितनी सुरक्षित हैं, इसे निजता के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिये से भी देखना जरूरी है.
निजता सुरक्षा के मद्देनजर इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आइटी मंत्रालय ने 21 स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों को नोटिस भेज कर डेटा रिसाव और चोरी रोकने के लिए उनके द्वारा अपनाये जानेवाले सुरक्षा मानकों और प्रक्रिया पर जानकारी मांगी है. इनमें से ज्यादातर चीनी कंपनियां हैं, जिनके सर्वर भारत में नहीं हैं. सरकार की चिंता देश में बेचे जानेवाले हैंडसेट के सिक्योरिटी फीचर को लेकर है. भारतीय स्मार्टफोन बाजार के लगभग 54 प्रतिशत हिस्से पर चीनी कंपनियों की दखल है.
हाल के दिनों में चीन के साथ बढ़ी तनातनी के बीच सरकार द्वारा यह कदम स्वाभाविक माना जा सकता है, लेकिन साइबर सुरक्षा के लिए मजबूत कानून और पुख्ता इंतजाम की बड़ी पहल जरूरी हो चुकी है. हार्डवेयर, ऑपरेटिंग सिस्टम, एप्लीकेशन, नेटवर्क कम्युनिकेशन और एन्क्रिप्शन मानकों के साथ मोबाइल डिवाइस की पुख्ता सुरक्षा अनिवार्य है. उपभोक्ताओं की निजता सुरक्षा के लिए यूरोपीय समूह अगले साल मई में जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन लागू करने जा रहा है, जिसमें डेटा लीक होने पर कंपनी के वैश्विक कारोबार पर चार फीसदी तक जुर्माना लगाने जैसे प्रावधान हैं.
अपराधियों द्वारा इंटरनेट पर उपलब्ध डेटा का इस्तेमाल अवैध कारोबार, तस्करी, हवाला और आतंकी गतिविधियों के लिए करने का खतरा लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में डेटा इकट्ठा करनेवाली सरकारी और गैर-सरकारी एजेंसियों को सजगता के साथ अपने दायित्वों को प्रभावी तरीके से निभाना होगा. डेटा के गैरवाजिब इस्तेमाल को रोकने और आम लोगों की निजता सुनिश्चित करने के लिए ठोस डेटा सुरक्षा कानून के साथ-साथ सक्षम निगरानी तंत्र की भी सख्त जरूरत है.

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