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बरकरार है तकरार
युद्ध के हालात लगभग दो माह से बने हुए हैं, हर गुजरते दिन के साथ भारत-चीन के बीच डोकलाम को लेकर तनाव कुछ और बढ़ जाता है. तनाव भरी स्थिति की कई छवियां हैं. चीन की तरफ से लगातार यह पेशबंदी कि ‘युद्ध नजदीक है, युद्ध होकर रहेगा और भारत नतीजे भुगतने को तैयार रहे.’ […]
युद्ध के हालात लगभग दो माह से बने हुए हैं, हर गुजरते दिन के साथ भारत-चीन के बीच डोकलाम को लेकर तनाव कुछ और बढ़ जाता है. तनाव भरी स्थिति की कई छवियां हैं. चीन की तरफ से लगातार यह पेशबंदी कि ‘युद्ध नजदीक है, युद्ध होकर रहेगा और भारत नतीजे भुगतने को तैयार रहे.’ जवाब में भारत की भंगिमा है कि डोकलाम के मसले पर हमारी सेना एक इंच नहीं डिगेगी. गतिरोध से जुड़ी दूसरी छवि एक-दूसरे के सामने अपनी सैन्य ताकत को लेकर ताल ठोंकने की है.
दोनों तरफ से इलाके में सैन्य निगरानी बढ़ाने और नये सिरे से सैनिकों और जंगी साजो-सामान तैनात करने की खबरें आती हैं. तनाव की एक तीसरी छवि अपने-अपने नागरिकों को युद्ध की आशंका से आगाह करने की है. कुछ दिनों पहले चीन ने भारत जा रहे अपने नागरिकों के लिए निर्देश जारी किया कि वे एहतियात बरतें, क्योंकि हिंदुस्तान में चीन विरोधी माहौल है.
इसके उलट हाल-फिलहाल एक खबर चीन पहुंचे भारत के नागरिकों के बारे में आयी है कि चीनी एयरलाइंस ने उनके साथ बुरा बर्ताव किया. नयी खबर यह है कि भारत ने 93 चीनी उत्पादों पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया है, तो दूसरी तरफ से राजकीय नियंत्रण वाली चीनी मीडिया ने चीनी कंपनियों को आगाह किया है कि भारत में निवेश से पहले जोखिम का आकलन कायदे से कर लें.
चीनी मीडिया ने यह भी धमकी दी है कि एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने के अपने फैसले के लिए भारत नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहे. तनातनी का एक दूसरा स्तर कूटनीति के मैदान में एक-दूसरे को मात देने का है. चीन ने पहले कहा कि जैसे डोकलाम को चीन और भूटान के बीच विवादित क्षेत्र मानकर भारत ने अपनी सेना खड़ी कर दी है, वैसे ही कश्मीर को भारत-पाक के बीच विवादित क्षेत्र मानकर चीन भी इलाके में अपनी सेना खड़ी कर सकता है. उसने यह भी कहा है डोकलाम की तरह एक तिमुहाना भारत, नेपाल और चीन के बीच ‘कालापानी’ वाला इलाका है.
उत्तराखंड के इस इलाके में चीन अपनी सेना भेजे, तो भारत क्या कर लेगा? युद्ध नहीं हो रहा है, पर घाटा दोनों पक्ष को उठाना पड़ रहा है. चीनी सैन्यशक्ति को भारत से तगड़ी चुनौती मिल रही है. भारत का घाटा यह है कि पाकिस्तान, नेपाल और भूटान के साथ उसके संबंधों पर विवाद का असर हो रहा है. भारत के लिए चुनौती भी यही है कि नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों से आपसी संबंधों को चीन से गतिरोध नये सिरे से परिभाषित न करने लगे.
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