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जगदंबा घर में दियरा बार ऐनी हे…

बनगांव में स्थापित है प्राचीन प्रतिमा महाअष्टमी के दिन बलि की परंपरा सहरसा : जगदंब अहीं अवलंब हमर, हे माई अहां बिनु आस केकर, अहां काली छी कल्याणी छी, अहां माइ दुर्गा भवानी छी, करूं मां अहां उपकार हमर… हे माइ अहां बिनु आस केकर. इसी उम्मीद व आस के साथ जिले के हजारों श्रद्धालुओं […]

बनगांव में स्थापित है प्राचीन प्रतिमा
महाअष्टमी के दिन बलि की परंपरा
सहरसा : जगदंब अहीं अवलंब हमर, हे माई अहां बिनु आस केकर, अहां काली छी कल्याणी छी, अहां माइ दुर्गा भवानी छी, करूं मां अहां उपकार हमर… हे माइ अहां बिनु आस केकर. इसी उम्मीद व आस के साथ जिले के हजारों श्रद्धालुओं द्वारा बनगांव स्थित भगवती के मंदिर में हाजिरी लगायी जा रही है. हालांकि रोजाना पूरी हो रही लोगों की मन्नत व कृपा की कहानी दूर-दूर तक फैलने लगी है. महाअष्टमी के मौके पर भक्तों द्वारा मन्नत पूरी होने के बाद यहां बलि प्रदान करने की प्रथा वर्तमान में भी कायम है.
किंवदंती के अनुसार लगभग सात सौ वर्ष पूर्व जिले के बनगांव में एक ग्रामीण को भगवती ने स्वप्न दिया था. इसके बाद उस व्यक्ति ने ग्रामीणों के सहयोग से सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल के गोरदह गांव स्थित एक पोखर से माता की प्रतिमा को निकाल बनगांव के मध्य में स्थापित किया. ग्रामीणों द्वारा बांस का घर बना माता की आराधना की जाने लगी.वर्तमान में बना भगवती का मंदिर लगभग पांच सौ वर्ष पुराना है. इसे वर्ष 1983 में जनसहयोग से भव्य रूप दिया गया.
सुगम है माता के दर्शन का रास्ता
जिला मुख्यालय से लगभग आठ किमी पश्चिम कहरा प्रखंड के बनगांव में अवस्थित भगवती मंदिर गांव में प्रवेश करने के साथ ही नजर आने लगता है.
यहां पहुंचने के लिए मुख्यालय स्थित बस स्टैंड व रिफ्यूजी चौक से सीधी बस सेवा है. इसके अलावा महावीर चौक से ऑटो सेवा भी बहाल है. दूर-दराज से ट्रेन के माध्यम से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सहरसा जंक्शन के पश्चिमी द्वार से ऑटो व टैक्सी की सेवा भी है.

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