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जिला आपदा प्रबंधन पदाधिकारी के पास न कार्यालय, न संसाधन जिले में तीन अनुमंडल मुख्यालयों व चार थानों में ही है अग्निशमन दस्ता सासाराम : इस मौसम में अाग लगने की घटनाओं में वृद्धि हो जाती है. हाल के कुछ दिनों में ही शहर सहित जिले भर में करीब पांच जगहों पर आग लगने की […]

जिला आपदा प्रबंधन पदाधिकारी के पास न कार्यालय, न संसाधन
जिले में तीन अनुमंडल मुख्यालयों व चार थानों में ही है अग्निशमन दस्ता
सासाराम : इस मौसम में अाग लगने की घटनाओं में वृद्धि हो जाती है. हाल के कुछ दिनों में ही शहर सहित जिले भर में करीब पांच जगहों पर आग लगने की घटना हो चुकी है. जिसमें लाखों रुपये की संपत्ति व पशुओं का नुकसान हुआ है. इस समय आग से बचाव के लिए स्कूलों व निजी संस्थाओं में मॉकड्रील कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है. पर सच्चाई यह है कि मुख्यालय के अधिकतर सरकारी कार्यालयों में आग लगने पर त्वरित बचाव के लिए अधिकतर सरकारी महकमों में फायर इक्स्टिंगग्विशर नहीं है. बिजली कार्यालय जहां आग लगने की सबसे अधिक संभावना होती है.
उस जगह फायर इक्स्टिंगग्विशर के एक्सपायर (कार्य क्षमता की अवधी) होने के आठ माह बाद भी किसी ने उसके बदलने की सुध तक नहीं ली है. इस समस्या पर मंगलवार को प्रभात खबर की टीम ने शहर के कुछ सरकारी दफ्तरों की पड़ताल की तो चौकानेवाले तथ्य सामने आये. जिला प्रशासन में बजाप्ता आपदा प्रबंधन के प्रभारी पदाधिकारी हैं. भले ही उनका दफ्तर नहीं है और न उनके पास आगजनी जैसे आपदा से तत्काल निबटने के लिए कोई यंत्र है. जिले भर के सरकारी दफ्तर चाहे पुलिस विभाग का हो या सिविल प्रशासन का या हो शिक्षा या स्वास्थ्य विभाग का, लगभग सभी जिले के तीनों अनुमंडल मुख्यालयों व चार थानों में स्थापित फायर स्टेशन पर निर्भर हैं. तभी तो प्रभारी आरक्षी अधीक्षक परवेज अख्तर कहते हैं कि थानों में अग्निशमन की गाड़ियां हैं तो और कोई यंत्र की क्या जरूरत? इससे कुछ हट के आपदा प्रबंधन के प्रभारी प्रविंद कुमार भारती ने कहा कि आपदा प्रबंधन में अभी तक कुछ ऐसा नहीं आया है, जिसे बताया जा सके. सब कुछ प्रक्रियाधीन है.
आग से बचाव के लिए अग्निशमन दस्ता पर ही निर्भरता है. वहीं, बिजली बोर्ड कार्यालय में फायर इक्स्टिंगग्विशर करीब आठ माह से एक्सपायर कर चुके हैं. कर्मचारी कहते हैं कि इस ओर किसी अधिकारी का ध्यान नहीं है. इस बात पर कोई अधिकारी कुछ बोलने को भी तैयार नहीं. ये यह दर्शाने के लिए काफी है कि आग की घटनाओं के लिए सबसे अधिक संवेदनशील कार्यालय के प्रति उनकी संवेदनहीनता कीतनी है.
जिला प्रशासन के कार्यालयों में नहीं हैं यंत्र
शिक्षा विभाग के डीइओ कार्यालय के एक कक्ष में गत वर्ष आग लगी थी. उसका निशान आज भी मौजूद है. उक्त घटना से किसी ने कोई सिख नहीं ली. तभी तो अब तक प्रशासनिक कार्यालयों में फायर इक्स्टिंगग्विशर का इंतजाम नहीं किया जा सका है. कलेक्ट्रेट सहित प्रशासन के अन्य कार्यालय आग लगने की घटना होने पर पूर्णत: अग्निशमन दस्ता पर निर्भर हैं. किसी भी कार्यालय में फायर इक्स्टिंगग्विशर तो दूर बालू की बाल्टी या डब्बा तक नहीं है. जबकि, इन दफ्तरों में कागज के ढेर हर जगह पड़े रहते हैं. बिजली का शॉटसर्किट कहीं भी व कभी भी हो सकता है.

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