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35 लोगों को दो-दो बार मिला इंदिरा आवास

सरकारी उपेक्षा : दलकावा गांव के महादलितों को सरकारी सुविधाओं का नहीं मिल रहा लाभ दलकावा गांव के वार्ड नंबर नौ में लोगों को इंदिरा आवास के पैसे तो मिले लेकिन वे लोग घर नहीं बनाये और पैसे रख लिये. वहीं कुछ लोग ऐसे भी मिले जिनको सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिला. सोनबरसा : […]

सरकारी उपेक्षा : दलकावा गांव के महादलितों को सरकारी सुविधाओं का नहीं मिल रहा लाभ
दलकावा गांव के वार्ड नंबर नौ में लोगों को इंदिरा आवास के पैसे तो मिले लेकिन वे लोग घर नहीं बनाये और पैसे रख लिये. वहीं कुछ लोग ऐसे भी मिले जिनको सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिला.
सोनबरसा : प्रखंड की इंदरवा पंचायत के दलकावा गांव का वार्ड नंबर नौ महादलित बाहुल्य है. मुसहर समुदाय के करीब 80 घर है. बस्ती के मुआयना के बाद यह लगा कि यहां के लोग अब भी सरकारी योजनाओं के लाभ से कोसों दूर है.
वहीं, दूसरी बात यह सामने आयी कि बस्ती के लोग खुद की गलती के चलते बदतर जिंदगी जीने को विवश हैं. सरकार ने इंदिरा आवास बनाने के लिए पैसा दिया, पर अधिकांश लोगों ने आवास नहीं बनाया और पैसे खा गये. वार्ड में न पक्का रोड है और न बिजली की सुविधा.
दो को तीसरी बार लाभ
हैरानी की बात यह कि बस्ती के 35 लोगों को दुबारा इंदिरा आवास का लाभ मिला. बावजूद आवास नहीं बनाया गया. दो ऐसे लोग मिले, जिन्हें तिसरी बार आवास का लाभ मिला है. वर्ष 1995 में 52 लोगों को इंदिरा आवास मिला था. पुन: वर्ष 2006 में उक्त 52 में से 17 को छोड़ शेष 35 को दूसरी बार आवास का लाभ दिया गया. रामलाल मांझी, बच्चू, अकलू, पारो, विनोद, नरेश, उपेंद्र, कारी, सियाराम, सुखाई, गोलिया, कैलसिया, पति मांझी, रामरती, हजारी, दसईं व बिंदेश्वरी देवी आदि को एक हीं बार आवास का लाभ मिला है.
आवास व विधवा पेंशन नहीं
बस्ती के सुनील मांझी, महेश मांझी, फेकन मांझी, कृष्णा मांझी, विजय मांझी, अजय मांझी, वीरेंद्र मांझी, मनोज मांझी, संजीत मांझी व कमलेश मांझी को आवास का लाभ नहीं मिला है. इधर, मुस्मात क्रमश: देवकली देवी, बेचनी देवी, सोमनी देवी, बिंदेश्वरी देवी व कलिया देवी को विधवा पेंशन नहीं मिल सका है. बताया कि आवेदन को प्रखंड कार्यालय में रद्द कर दिया गया.
नरेश मांझी, बच्चे मांझी, महेंद्र मांझी, दसईं मांझी, अकलू मांझी, सुमित्र देवी, अच्छेलाल मांझी, सिरचन मांझी व वीणा देवी को वृद्धावस्था पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है. बताया कि आवेदन दिये कई माह बित गये हैं. इधर, पारो देवी, फुलझरिया देवी, कैलसिया देवी, जहरी देवी, रामरति देवी, कौशल्या देवी व सियाराम मांझी को वृद्धावस्था पेंशन मिल रहा है.
मात्र एक मैट्रिक पास
महादलित बस्ती में करीब 80 घर है. वोटर लिस्ट के अनुसार, कुल 432 वोटर है. 30 लोग साक्षर है, जिसमें सबसे अधिक पढ़ा-लिखा फेकन मांझी मैट्रिक पास हैं. कुछ लड़कियां पांचवां तक पढ़ पायी है. गांव में प्राथमिक विद्यालय है, जिसमें करीब 100 बच्चे नामांकित हैं. बस्ती की सुशीला देवी, रामाश्रय मांझी व हजारी मांझी ने बताया कि जब स्कूल में एमडीएम बनता है तो बच्चे जाते हैं अन्यथा घर पर हीं रहते हैं.
बस्ती के कुछ लोग हैं जो चूहा मार कर खाने की अपनी परंपरा को कायम रखे हुए हैं. यानी वे बिना चूहा मारे शायद हीं किसी दिन भोजन कर पाते हैं. ऐसे लोगों में इंद्रजीत मांझी, तुलसी मांझी, पति मांझी व रामदेव मांझी का चूहा मारना पेशा है. वार्ड सदस्य के पति अच्छेलाल मांझी ने बताया कि उक्त लोग करीब-करीब प्रतिदिन कहीं न कहीं से चूहा मार लाते हैं. पता चला कि बस्ती के 70 फीसदी लोग ताड़ी व शराब पीते हैं. इसमें कुछ महिलाएं भी शामिल है.
एक भी आवास पूरा नहीं
वार्ड सदस्य ने बताया कि वर्ष 2015 में रामजस मांझी व राजू मांझी को तीसरी बार इंदिरा आवास का लाभ मिला है. वैसे पूर्व के वर्षो में जिन लोगों को पहली व दूसरी बार आवास का लाभ मिला वे अब तक निर्माण कार्य पूरा नहीं करा पाये हैं. करीब दो दर्जन लोग लिंटर तक घर बना कर छोड़ दिये हैं.
बस्ती में शौचालय नहीं चापाकल भी खराब
महादलितों की बस्ती में एक भी शौचालय का निर्माण नहीं कराया गया है. तीन सरकारी चापाकल है, जो महीनों से खराब है. गांव के लोगों ने बताया कि सांसद एक बार भी उनकी बस्ती में नहीं आये हैं. विधायक एक बार आये थे. मुखिया तब आते हैं जब उन्हें कोई अपना काम होता है. अधिकांश लोग मजदूरी कर हीं खुद व परिवार का पालन-पोषण करते हैं.

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