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मियां-बीवी राजी, शादी नहीं करा रहे ‘ काजी ’

पटना: मियां-बीवी राजी फिर भी शादी नहीं करा रहे ‘ काजी ’. जी हां, सुनने में भले ही यह अजीब लगे, लेकिन बात बिल्कुल सही है. सरकार ने विवाह को कानूनी मान्यता देने व लोगों की सहूलियत के लिए वर्ष 2006 में बिहार विवाह निबंधन नियमावली बनायी. इसमें नगर निगम से वार्ड पार्षदों को, जबकि […]

पटना: मियां-बीवी राजी फिर भी शादी नहीं करा रहे ‘ काजी ’. जी हां, सुनने में भले ही यह अजीब लगे, लेकिन बात बिल्कुल सही है. सरकार ने विवाह को कानूनी मान्यता देने व लोगों की सहूलियत के लिए वर्ष 2006 में बिहार विवाह निबंधन नियमावली बनायी. इसमें नगर निगम से वार्ड पार्षदों को, जबकि पंचायतों से मुखिया को मैरिज रजिस्ट्रार बनाया गया. लेकिन हाल यह है कि ये जनप्रतिनिधि विवाह निबंधन में रुचि ही नहीं लेते. एक्ट लागू हुए करीब नौ साल बीत गये, लेकिन इनके माध्यम से निबंधित होनेवाले जोड़ों की संख्या बहुत ही कम है.

नौ साल में मात्र 366 निबंधन

निबंधन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक पटना नगर निगम क्षेत्र में मात्र 366 जोड़ों ने ही वार्ड पार्षद या मुखिया के माध्यम से अपने विवाह का निबंधन कराया है. रजिस्ट्रेशन की यह संख्या बिल्कुल ही नगण्य है. इससे अधिक शादियां शहर में एक लगA में ही हो जाती है. सामाजिक रूप से होने वाले ढेरों शादियों के बावजूद वार्ड पार्षदों के दिलचस्पी नहीं लेने से विवाह का रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा है. लोगों को शादी का निबंधन कराने के लिए जिला निबंधन कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है.

यह है नियम :14 फरवरी 2006 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देश के बाद राज्य सरकार ने बिहार विवाह निबंधन नियमावली 2006 बनाया और पार्षदों का निबंधन करने का अधिकार दिया. इसके तहत पार्षदों को अपना नाम कार्यकाल और हस्ताक्षर के नमूने नगर आयुक्त के माध्यम से जिला अवर निबंधक को उपलब्ध कराना है. अपने वार्ड क्षेत्र में होने वाले सभी विवाहों का निबंधन कर एक प्रति जिला निबंधन को उपलब्ध करानी है. इसके अलावा पार्षदों को विवाह निबंधन नंबर, लड़का-लड़की का नाम उम्र, दोनों के माता-पिता का नाम और पते दर्ज करने हैं.

लोगों में जागरूकता की कमी है. लोग तभी निबंधन कराने के लिए आते हैं, जब उन्हें बाहर जाना होता है या सरकारी योजना का लाभ लेना होता है. साथ ही लोग वार्ड में निबंधन नहीं क रा कर जिला निबंधन में कराना पसंद करते हैं. साथ हि नियमावली के तहत जारी निर्देशानुसार शादी का स्थल वार्ड होना अनिवार्य है. दूसरे जगहों पर होने वाली शादियों के निबंधन के लिए वैध नहीं माना गया है.

आभा लता, वार्ड पार्षद, नंबर चार

ये बन रहा बाधक

जागरूकता की कमी

स्पेशल अधिनियम के अनुसार इसके सर्टिफिकेट को लेकर संशय

निम्‍न क्वालिटी का सार्टिफि केट पेपर

वार्ड पार्षद व मुखिया पर किसी की जवाबदेही का नहीं होना

ये होंगे लाभ

शादी को कानूनी रूप से मान्यता

त्नसरकारी योजनाओं के लाभ में आसानी

वीजा या पासपोर्ट बनाने में जरूरी दस्तावेज

शादी का प्रमाणपत्र

त्नदूसरे राज्यों में कि राये में मकान लेने में मदद

बैंक आदि में अकाउंट खुलवाने में मदद

किसी भी तरह की आकस्मिक घटना के बाद पति-पत्नी की सत्यता की जांच

यह था उद्देश्य

बाल विवाह को समाप्त करना

ट्रैफिकिंग के शिकार लोगों की जानकारी

सरकार के पास सही डाटा उपलब्ध हो

महिलाओं को शादी के बाद कानूनी अधिकार दिलाना

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