साक्षी मलिक. यह नाम आज हर भारतीय के जुबान पर तैर रहा है, कारण है साक्षी की उपलब्धि.साक्षी ने रियो ओलंपिक 2016 में भारत की झोली में पहला पदक डाला है. साक्षी ने फ्रीस्टाइल कुश्ती में कांस्य पदक जीता. कुश्ती में वह पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं. साक्षी ने महिला कुश्ती की 58 किग्रा स्पर्धा में रेपेचेज के जरिये कांस्य पदक जीतकर आज यहां रियो ओलंपिक खेलों में भारत को पदक तालिका में जगह दिलाई और 11 दिन की मायूसी के बाद भारतीय प्रशंसकों को जश्न मनाने का मौका दिया. साक्षी ने कांस्य पदक के मुकाबले में किर्गिस्तान की ऐसुलू ताइनीबेकोवा को 8-5 से शिकस्त देकर भारत के लिए कांस्य पदक हासिल किया. भारत के लिए पदक जीतने वाली इस महिला पहलवान के व्यक्तित्व से जुड़ी चंद खास बातें :-
1. ओलंपिक के कुश्ती मुकाबलों में वह पदक जीतने वाली पहली महिला हैं. साक्षी ने यह उपलब्धि 58 किग्रा वर्ग की प्रतियोगिता में हासिल की.
2. वर्ष 2014 में ग्लासगो में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम में साक्षी ने भारत के लिए रजत पदक जीता था.
3. वहीं वर्ष 2015 में दोहा में आयोजित एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में भी साक्षी ने कांस्य पदक जीता था.
4.साक्षी ने हरियाणा के रोहतक जिले में तीन सितंबर वर्ष 1992 में जन्म लिया है और अभी वह मात्र 23 वर्ष की हैं. उनके दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन में काम करते हैं. उनका नाम सुदेश मलिक है.
5. साक्षी ने 12 साल की उम्र से कुश्ती की ट्रेनिंग शुरू कर दी थी. उनके कोच ईश्वर दहिया हैं. हालांकि साक्षी और उनके कोच का स्थानीय लोगों ने काफी विरोध किया था और यह कहा था कि यह खेल लड़कियों के लिए नहीं है.
6. कुश्ती के क्षेत्र में वर्ष 2010 में साक्षी ने पहली बार जूनियर विश्व चैंपियनशिप में भाग लिया और कांस्य पदक जीता था. वहीं वर्ष 2014 में डेव शुल्ज अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में, 60 किलोग्राम वर्ग में साक्षी ने स्वर्ण पदक जीता था.
7. चीन की पहलवान झांग लैन को हराकर साक्षी ने रियो ओलंपिक 2016 के लिए क्वालीफाई किया था.
8. साक्षी को कुश्ती का शौक पहलवानों के ड्रेस को देखकर जागा था. उसे पहलवानों का ड्रेस बहुत पसंद था.
9. साक्षी नरेंद्र मोदी की फैन हैं और उनका सपना था कि वह उनसे मिलें, जब मोदी के साथ उन्होंने तसवीर खिंचवाई तो इस बात का जिक्र उसने सोशल मीडिया पर किया.
10. स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद साक्षी के पिता ने उसे कुश्ती की ट्रेनिंग दिलवाई और आज जब उसने ओलंपिक में मेडल जीत लिया है, उनके पिता ने कहा है कि अब कोई नहीं कहेगा कि यह खेल लड़कियों के लिए नहीं है.