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परीक्षा की तैयारी में बच्चों को पूरा सहयोग करें माता-पिता

बच्चों अब आपकी परीक्षाएं आरम्भ होने वाली हैं. अब तक आपने जो भी समय गंवाया उसका दुख मत करिए. अब जो समय बचा है उसका पूरा इस्तेमाल करिए. देर कभी नहीं होती. अब भी समय है. अगर आप अब भी जी-जान से जुट जाएंगे तो आपका रिजल्ट अभी भी अच्छा हो सकता है. जो समय […]

बच्चों अब आपकी परीक्षाएं आरम्भ होने वाली हैं. अब तक आपने जो भी समय गंवाया उसका दुख मत करिए. अब जो समय बचा है उसका पूरा इस्तेमाल करिए. देर कभी नहीं होती. अब भी समय है. अगर आप अब भी जी-जान से जुट जाएंगे तो आपका रिजल्ट अभी भी अच्छा हो सकता है. जो समय गया उसके बारे में सोचकर अपनी ऊर्जा मत बर्बाद करिए.

मैंने बार-बार दोहराया है ना- जब जागो तभी सवेरा. मगर अब जाग जाइए. अगर अब भी सोए रहे तो फिर सवेरा कभी नहीं होगा और जब होगा तो आपका यह वर्ष बेकार हो चुका होगा. आपके नम्बर इतने कम आएंगे जिससे आपका कैरियर बिगड़ेगा. दसवीं और बारहवीं दोनों बोर्ड परीक्षाएं हैं. दसवीं के नम्बरों का भी महत्व है और बारहवीं के नम्बरों का भी. अच्छे कॉलेज में एडमीशन के लिए आप जानते हैं ना कटऑफ लिस्ट कितनी ज्यादा होती है ? दिल्ली के कॉलेजों के अलावा बेहतरीन कॉलेजों में कटऑफ लिस्ट सेंट-परसेंट जाती है. प्रतियोगी परिक्षाओं में भी बारहवीं के नम्बर जुड़ते हैं.

अगर आपने प्रतियोगी परीक्षा में अच्छा किया और बारहवीं में आपका परसेंटेज थोड़ा भी कम रह गया तो सेलेक्शन नहीं होगा. इसलिए जितनी पढ़ाई की जरूरत प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए है उतनी ही बोर्ड परिक्षाओं के लिए भी है. इसलिए इन 15-25 दिनों में एक बार आप अपना पूरा कोर्स अच्छी तरह से खत्म कर लीजिए. सभी विषयों में 15-16 चैप्टर तो होंगे ही. प्रत्येक विषय का एक-एक चैप्टर रोज रिवाइज कीजिए. पहली मार्च से जिनकी परिक्षाएं हैं वो 27 तक सभी विषयों को दोहराएं. जो परीक्षा एक मार्च को है, उसको अच्छी तरह से 28 और 29 को दोहरा सकते हैं. इस बार आपको फरवरी में एक दिन ज्यादा मिल गया और जिनकी परीक्षा पहले हैं तो वो भी जी-जान से जुट जाएं.

इसके लिए जरूरी है आप पूरी योजना के साथ पढ़ाई करें. प्रतिदिन का टारगेट रखें कि इतना पढ़ना है, उतना अवश्य पढ़ें. अब यही कुछ दिन हैं. इसके बाद आपकी प्रतियोगी परीक्षाएं होंगी.

इसलिए आपने चाहे कितनी ही मस्ती क्यों न की हो लेकिन अब केवल और केवल पढ़ाई पर ही फोकस करें. इस दौरान आप अपना फोन, टीवी, कंप्यूटर, लैपटॉप, घूमना-फिरना और दोस्त सब भूल जाएं. हां रिफ्रेश होने के लिए, ब्रेक के समय आप अपनी पसंद से कुछ जरूर करिए. वैसे भी अगर आप पूरी लगन से पढ़ेंगे तो आपको उत्तर जल्दी याद होंगे. गणित के सवाल तेजी से हल हो जाएंगे. गणित के फार्मूलों को एक जगह लिखकर रखें और उसे बार-बार दोहराएं जिससे परीक्षा देते समय भूलने की गुंजाइश न रहे.

आर्ट्स के बच्चे शॉर्ट नोट्स जरूर बना लें जिससे परीक्षा से पहले आप केवल नोट्स को दोहरा सकें. अपने टीचर से यह पूछकर निश्चित कर लीजिए कि किस चैप्टर से कितने नम्बर के सवाल पूछे जाएंगे. जिसमें ज्यादा नम्बर के सवाल पूछे जाएं उसको बहुत अच्छी तरह से पढ़िए. जिससे ऑब्जैक्टिव प्रश्न आएं उसकी एक-एक पंक्ति पढ़िए ताकि आपका एक नम्बर भी न छूटे क्योंकि एक नम्बर भी बहुत कीमती होता है. एक नम्बर से पोजीशन बदल जाती है, चयन रुक जाता है. इसलिए एक नम्बर का महत्व समझें.

सबसे बड़ी बात है कि आप अपना कॉनफिडेंस यानी विश्वास न खोएं. घबराहट को अपने ऊपर हावी न होने दें. मन में विश्वास रखें कि हमने सब पढ़ा है और हम सब अच्छी तरह कर लेंगे. वैसे भी अगर आपने सब अच्छी तरह से पढ़ा है तो आपको याद रहेगा क्योंकि आएगा को कोर्स से ही. आप रोज पूरे विश्वास के साथ खुद से कहें कि मैं अच्छी तरह पढ़ रहा हूं और मेरी परीक्षा बहुत अच्छी होगी. मन में विश्वास रखें कि मैंने जो भी पढ़ा है वो मुझे याद रहेगा. इसलिए नर्वस होने की बिलकुल भी जरूरत नहीं है. कभी-कभी जब बच्चे थोड़ा-सा भी भूलते हैं तो उन्हें लगता है कि अब क्या होगा. वो ज्यादा घबरा जाते हैं.

ज्यादा घबराने में बच्चे वो भी भूल जाते हैं जो उन्हें आता है. इसलिए जब भी आप कुछ भूलें तो घबराएं नहीं बल्कि शांति से सोचें. कोई भी विषय हो आप एकाग्र होकर पढ़ेंगे तो सब जल्दी याद होगा. सबसे अहम् बात- आप जो भी याद करें वो लिखकर करें. हम जो भी लिखकर याद करते हैं वो जल्दी और पक्की तरह याद होता है.

इसलिए आप लिखकर अभ्यास करिए. मॉडल पेपर्स के साथ पिछले दस सालों के प्रश्नपत्र भी हल करिए. जो विद्यार्थी बोर्ड की परीक्षा नहीं दे रहे हैं खासकर नौवीं और ग्यारहवीं के हैं, उनको खास ध्यान देना है क्योंकि नौवीं और ग्यारहवीं मुश्किल होती है. वो इसलिए क्योंकि उसमें हार्ड मार्किंग होती है. वो जरूरी भी है जिससे आप ज्यादा मेहनत करें.

इसलिए आप पढ़ाई में जुट जाएं. इसका यह कतई मतलब नहीं है कि बाकी कक्षाओं के बच्चों के लिए मेहनत करना जरूरी नहीं है. जो अभी नौवीं कक्षा से नीचे के बच्चे हैं उन्हें शुरू से ही इसी योजना के तहत पढ़ाई करनी चाहिए. ताकि परीक्षा के वक्त कोई परेशानी न हो. अगर अभी से आप योजनाबद्ध तरीके से पढ़ाई करेंगे तो आपको आगे कोई परेशानी नहीं होगी. आप किसी भी क्लास में हों अगर आप लिखकर प्रैक्टिस करते हैं तो वो पाठ आप कभी नहीं भूलेंगे. कहावत है- “प्रैक्टिस मेक्स अ मैन परफैक्ट”. आप परफैक्ट तभी बनेंगे जब प्रैक्टिस करेंगे.

इसी बात को याद रखते हुए पढ़ाई में जुटिए और खूब प्रैक्टिस करिए. पढ़ाई की योजना बनाने में माता-पिता को बच्चों का सहयोग करना चाहिए. केवल योजना बनाने में ही नहीं बल्कि रोज पढ़ाई की जानकारी भी लें जिससे बच्चे निर्धारित टारगेट को पूरा करें. इस समय बच्चों को अपना पूरा सहयोग दें और विश्वास मजबूत करने में उनकी मदद करें. उन्हें बिलकुल भी नर्वस न होने दें. साथ ही उन पर अनावश्यक दबाव न बनाएं.

(क्रमशः)

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