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Friday, March 29, 2024

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दोस्ती वह रिश्ता है जिसे हम खुद चुनते हैं

यह आप सबके स्नेह, विश्वास का परिणाम है कि आज लालन-पालन कॉलम की दो सौवीं किश्त है. इसके लिए प्रभात खबर का आभार व धन्यवाद. कॉलम शुरू करने के लिए पूर्व प्रधान संपादक हरिवंश जी का तो धन्यवाद है ही, साथ ही प्रभात खबर के नये प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी जी का भी धन्यवाद, जिन्होंने […]

यह आप सबके स्नेह, विश्वास का परिणाम है कि आज लालन-पालन कॉलम की दो सौवीं किश्त है. इसके लिए प्रभात खबर का आभार व धन्यवाद. कॉलम शुरू करने के लिए पूर्व प्रधान संपादक हरिवंश जी का तो धन्यवाद है ही, साथ ही प्रभात खबर के नये प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी जी का भी धन्यवाद, जिन्होंने अपना भरोसा कायम रखा.
इस बीच कुछ निजी जिम्मेवारियों और परेशानियों से घिरी रही, फिर भी मेरा प्रयास रहा कि सभी के इमेल्स का जवाब दे सकूं.जिनके इमेल का जवाब नहीं दे पायी, उनको भी कॉलम के जरिये अपनी तरफ से सारीबातें स्पष्ट करने की कोशिश की. मैं आप सब बच्चों से बहुत प्यार करती हूं, क्योंकिआप हमारा आनेवाला कल हो.
वीना श्रीवास्तव
साहित्यकार व स्तंभकार, इ-मेल : veena.rajshiv@gmail.com, फॉलो करें –
फेसबुक : facebook.com/veenaparenting
ट्विटर : @14veena
गत वर्ष स्वास्थ्य को लेकर मैं भी बहुत परेशान रही. पिछले वर्ष मेरे बेटे का भी इंटरमीडिएट हुआ और यह समय उसके भविष्य को दिशा मिलने का समय है, इसलिए उसे भी पूरा समय देना है. कई बार देश के बाहर की यात्रा भी की.
कॉलम के अलावा साहित्य जगत में भी सक्रिय हूं. उसकी भी जिम्मेवारियां हैं. इसलिए जवाब नहीं दे पायी, मगर उस पर विचार जरूर सामने रखे. मैं कितना भी परेशान हुई हूं, मगर कॉलम कभी मिस नहीं हुआ. अस्पताल से भी कॉलम लिखती रही. यह कमिटमेंट है मेरा.
मैंने आज आपसे इसलिए शेयर किया, क्योंकि कई बच्चों ने और कुछ बड़ों ने भी कहा कि आपने जवाब नहीं दिया. कुछ बच्चों ने लिखा कि आप जवाब नहीं देना चाहती तो दोबारा नहीं लिखूंगा. इसमें भी उन बच्चों का अपनापन, प्यार है जो मुझे अच्छा लगा. अपनी समस्या के बारे में तुरंत जवाब न मिलने पर परेशान होना स्वाभाविक है.
चूंकि उन्होंने घर में वे बातें शेयर नहीं कीं और जब कोई किसी दूसरे से बातें शेयर करता है, तो उसके बारे में चर्चा करना चाहता है, उसका कोई समाधान सुनना चाहता है. मैंने उन बच्चों को जवाब भी लिखा. ये वह भरोसा और स्नेह है, जो आप सबने मुझे दिया. इसके लिए आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया.
मैं आप सब बच्चों से बहुत प्यार करती हूं, क्योंकि आप हमारा आनेवाला कल हो. हमारे देश का भविष्य हो. इसलिए आप सबसे यह रिक्वेस्ट है कि जीवन में कभी भी किसी के बारे में उसकी बात सुने बिना उस व्यक्ति के बारे में कोई निर्णय न लें, क्योंकि कभी-कभी इनसान इतना परेशान होता है कि वह अगर थोड़ा भी सजग है तो जिम्मेदारी तो निभायेगा, मगर किस तरह वह मैनेज करेगा, यह वही बता सकता है.
इसलिए जब भी किसी के भी बारे में आप गलत सुनें, तो सुनी-सुनायी बातों पर यकीन न करें. किसी के बारे में अपनी तरफ से जाले न बुनें कि फोन नहीं किया, तो ऐसा होगा, मुझसे नहीं मिला, तो यही कारण होगा. अगर कोई आपसे बात नहीं कर पाया, तो अपनी तरफ से गलत दिशा में सोचना कि जरूर कुछ छुपा रहा होगा, कोई गोपनीय बात होगी, किसी ने उसके कान भर दिये होंगे या आपसे कोई किसी अन्य दोस्त या व्यक्ति के बारे में कुछ कहे और आप अपने दोस्त से बात किये बिना कोई धारणा बना लें, यह गलत है.
आपको एक बार सामनेवाले को अपनी बात कहने का मौका जरूर देना चाहिए. सच्चाई जानने का प्रयास करना चाहिए. उन बातों के पीछे वजह जरूर जानें और तब निर्णय करें.
अगर आपने बिना सुने, उसके लिए गलत धारणा बना ली और बाद में पता चला कि वह तो बेगुनाह था, तो आप अपने को कभी माफ नहीं कर पायेंगे, लेकिन अगर आपने उसकी बात सुनकर फैसला किया, तो आपका शक खत्म हो जायेगा. कम-से-कम आपको यह स्पष्ट हो जायेगा कि सामनेवाला अपराधी है या नहीं. गुनहगार होने पर आपका जो फैसला हो, वह आपको परेशान नहीं करेगा. आपकी गलतफहमी दूर हो जायेगी.
आपके संबंध खराब होने से बच जायेंगे. ऐसा करके आपको कभी आत्मग्लानि नहीं होगी कि आपने बिना वजह दूसरों की बातों में आकर या खुद अपनी तरफ से गलत निर्णय लिया. यानी एक तरफा निर्णय हर्गिज न लें.
दूसरे को अपना पक्ष रखने का एक मौका जरूर दें. अगर आपके दोस्त या किसी परिचित के व्यवहार में कोई परिवर्तन है, तो भी एक बार उससे जरूर पूछें. शायद प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आपकी ही कोई बात उसे खराब लगी हो या गलतफहमी हुई हो, तो उन बातों को सुलझाना चाहिए, गलतफहमी दूर करनी ही चाहिए. सभी रिश्ते अनमोल होते हैं.
हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि जीवन में कुछ भी बनता बहुत मुश्किल से है चाहे रिश्ते हों, दोस्ती हो या फिर घर हो- लेकिन टूटता एक झटके में है. टूटने में समय नहीं लगता. विद इन सेकेंड्स सब कुछ खत्म हो जाता है.
हमारे पढ़ने –लिखने का भी तभी फायदा है जब हमारा दिमाग, विचार खुले हों. अगर आपका मित्र कोई गलती करे और आप यह बात समझ रहे हैं, तो समझदारी इसी में है कि कम-से-कम आप गलती न करें और समय आने पर उसको भी बताएं. क्योंकि अगर आप तुरंत प्रतिक्रिया देंगे, तो सामनेवाला उस समय कुछ नहीं सुनेगा. इसलिए कुछ समय बाद ठंडे दिमाग से उसको भी समझाइए. आखिर दोस्त होते किसलिए हैं.
दोस्ती तो सभी रिश्तों से ऊपर है. यह वह रिश्ता है, जो हम खुद चुनते हैं. हमें हमेशा यही प्रयास करना चाहिए कि हमारे संबंध न टूटें.
एक और मौका तो देना चाहिए. तोड़ना तो आपके पास अंतिम विकल्प है ही, तो अंतिम विकल्प को तभी इस्तेमाल करना चाहिए जब सारे विकल्प खत्म हो जायें, सारे रास्ते बंद हों जायें, आशा की कोई किरण न बची हो.
हालांकि बादल काले जरूर होते हैं, लेकिन उनके पीछे भी एक चमकती रेखा जरूर होती है. वही रेखा हमें उजाले की आस बंधाती है. हम अपनी आस को इतनी जल्दी मरने कैसे दे सकते हैं? हर रात का सवेरा है, तो हम अपनी आशाओं का दामन क्यों छोड़ें?
क्रमश:
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