39.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

हो रहे प्रयास, पर नहीं रुक रही ट्रैफिकिंग

हाल के कुछ वर्षों से पुलिस, प्रशासन अौर कई स्वयंसेवी संस्था ट्रैफिकिंग रोकने के लिए मिल कर काम कर रही हैं. फिर भी ट्रैफिकिंग न तो रुक रही है अौर न ही कम हो रही है. हां, रेस्कयू कर बच्चों को वापस लाने में पहले से ज्यादा कामयाबी जरूर मिली है. ट्रैफिकिंग एक गंभीर समस्या […]

हाल के कुछ वर्षों से पुलिस, प्रशासन अौर कई स्वयंसेवी संस्था ट्रैफिकिंग रोकने के लिए मिल कर काम कर रही हैं. फिर भी ट्रैफिकिंग न तो रुक रही है अौर न ही कम हो रही है.
हां, रेस्कयू कर बच्चों को वापस लाने में पहले से ज्यादा कामयाबी जरूर मिली है. ट्रैफिकिंग एक गंभीर समस्या है. इसके शिकार होनेवाले नारकीय जीवन गुजारने को विवश होते हैं. कई बार जिंदगी से ही हाथ धो लेते हैं. इस गंभीर मुद्दे पर समाज और शासन का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए प्रभात खबर यह नयी श्रृंखला शुरू कर रहा है.
प्रवीण मुंडा
रांची : अप्रैल के तीसरे सप्ताह में दिल्ली से झारखंड के 29 बच्चों को रांची लाया गया. इन्हें दिल्ली के अलग-अलग स्थानों से बरामद किया गया था. पिछले महीने 24 मार्च को कांटाटोली के पास अमन बस से पांच नाबालिग बच्चियों को बरामद किया गया. सिमडेगा पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट अौर रांची पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में दो दलालों अरविंद अौर मंजू केरकेट्टा को पकड़ा गया. बच्चियों को ट्रेन से दिल्ली भेजने की योजना थी. इस कार्रवाई में मिसिंग चाइल्ड लाइन के सदस्य भी उपस्थित थे. सभी बच्चों को वापस सिमडेगा भेज दिया गया.
दोनों दलालों को सिमडेगा पुलिस ने जेल भेज दिया. 24 मार्च को ही ट्रैफिकिंग के शिकार 29 बच्चों को दलालों के चंगुल से बचा कर दिल्ली से रांची लाया गया. सभी बच्चे दलालों के मार्फत बाहर गये थे. इनसे घरेलू कामगार के रूप में काम लिया जा रहा था. ये झारखंड के अलग-अलग जिलों के बच्चे थे. ये तीनों हाल की घटनाएं हैं. आये दिन राज्य के किसी न किसी क्षेत्र से ह्यूमन ट्रैफिकिंग की घटनाएं सामने आ रही हैं.
50 हजार से ज्यादा बच्चों की हुई ट्रैफिकिंग
अभी भी ऐसा कोई सर्वे या अध्ययन नहीं है, जिससे पता चले कि ट्रैफिकिंग के शिकार बच्चों की वास्तविक संख्या क्या है. ट्रैफिकिंग को लेकर काम कर रही संस्थाअों का मानना है कि झारखंड से 50 हजार से अधिक बच्चे ट्रैफिकिंग के शिकार हुए हैं. इनमें भी ज्यादातर संख्या लड़कियों की हैं.
इन बच्चों को दिल्ली, पटना, मुंबई जैसे शहरों में ले जाकर घरेलू कामगार या बाल श्रमिकों के रूप में काम पर लगा दिया जाता है. सीआइडी की रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ 2010 से 2014 के दौरान राज्य से 2670 बच्चे गायब हुए. इनमें लड़कियों की संख्या 1289 थी, जबकि लड़कों की संख्या 1381. इस अवधि के दौरान 556 मामलों में प्राथमिकी दर्ज हुई. 894 लड़कियों अौर 975 लड़कों को छुड़ा कर वापस लाया गया. वर्ष 2015 के दो महीने (जून अौर जुलाई) में राज्य के 1330 बच्चों को दलालों के चंगुल से छुड़ाया गया. 2016 के चार महीने (अप्रैल तक) में 46 बच्चों को छुड़ाया गया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें