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आइएएस त्रिपाठी ने एसीबी आइजी मीणा को दी धमकी

रांची : भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के आइजी मुरारी लाल मीणा ने आइएएस बीके त्रिपाठी पर फोन कर धमकाने का आरोप लगाया है. आइजी श्री मीणा ने एसीबी के चीफ एडीजी पीआरके नायडू के पास इसकी लिखित शिकायत की. एडीजी ने पूरे मामले की रिपोर्ट मुख्य सचिव, कैबिनेट सचिव और कार्मिक सचिव के पास भेज […]

रांची : भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के आइजी मुरारी लाल मीणा ने आइएएस बीके त्रिपाठी पर फोन कर धमकाने का आरोप लगाया है. आइजी श्री मीणा ने एसीबी के चीफ एडीजी पीआरके नायडू के पास इसकी लिखित शिकायत की. एडीजी ने पूरे मामले की रिपोर्ट मुख्य सचिव, कैबिनेट सचिव और कार्मिक सचिव के पास भेज दी है.
आइजी की शिकायत सरकार के पास भेजने की पुष्टि एसीबी के एक अधिकारी ने की है. इस मामले में प्रभात खबर ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गये एनसीआर प्लानिंग बाेर्ड के सदस्य सचिव बीके त्रिपाठी से भी पक्ष लेने का प्रयास किया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका.
फोन पर धमकी देने का आरोप : एसीबी के एक अधिकारी के अनुसार, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गये आइएएस श्री त्रिपाठी ने कुछ दिन पहले एसीबी के एडीजी और आइजी के पास फोन किया था.
फोन पर उन्हाेंने श्री मीणा को धमकी देते हुए कहा : मेरे खिलाफ रिनपास के मामले में केस कर हो? क्या साक्ष्य हैं? मैंने जो कुछ किया, वह प्रशासनिक निर्णय था? इसमें मेरा क्या दोष है? मेरी नौकरी अभी तीन साल बची है. वापस आने दो. मैं तुम्हें देख लूंगा. घटना के बाद आइजी ने इस बात की जानकारी एडीजी श्री नायडू को दी. तब एडीजी ने कहा : आप मामले की लिखित शिकायत करना चाहते हैं, तो कर सकते हैं, ताकि मामले की जानकारी सरकार को भी लिखित रूप से दी जा सके.
क्या कहा आइएएस ने : मेरे खिलाफ िरनपास मामले में केस कर रहे हो, तीन साल मेरी नौकरी बची है, देख लूंगा तुम्हें
क्या है मामला : रिनपास के प्रभारी निदेशक के पद पर डॉ अमूल रंजन की नियुक्ति सहित अन्य नियुक्ति में हुई गड़बड़ी की जांच एसीबी वर्ष 2015 से कोर्ट के निर्देश पर कर रहा है.
मामले की प्रारंभिक जांच पूरी हो चुकी है. जांच रिपोर्ट के आधार पर मामले में स्वास्थ्य विभाग प्राथमिकी दर्ज करने के लिए एसीबी को अपना मंतव्य दे चुका है. इसके आधार पर डॉ अमूल रंजन सहित अन्य के खिलाफ प्राथमिकी का प्रारूप तैयार कर सरकार के पास भेजा गया है. मामले की जांच के दौरान अमूल रंजन की नियुक्ति में तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव रहे श्री त्रिपाठी के अलावा अन्य दो पूर्व स्वास्थ्य मंत्री की भूमिका सामने आयी है.
एक बार महालेखाकार (एजी) की आपत्ति के बाद डाॅ अमूल रंजन को उनके पद से हटाया गया था, लेकिन दूसरी बार उन्हें श्री त्रिपाठी की अनुशंसा पर ही रिनपास का प्रभारी निदेशक बनाया गया था. इस मामले में एसीबी के अधिकारी बीके त्रिपाठी से पूछताछ कर चुके हैं. वह खुद को निर्दोष बता चुके हैं. उनकी संलिप्तता पर अंतिम निर्णय लेने के लिए एसीबी की जांच जारी है.
आइजी मुरारी लाल मीणा ने बीके त्रिपाठी के खिलाफ फोन पर धमकी देने की लिखित शिकायत मुझसे की थी. मैंने इसे सरकार को अग्रसारित कर दिया है. यह संभव है कि बीके त्रिपाठी ने मजाक में ही कुछ बोल दिया हो. पीआरके नायडू, एडीजी, एसीबी
मुझे इसकी जानकारी नहीं है. सुनने में आपराधिक कार्य लगता है. निधि खरे,कार्मिक सचिव झारखंड
मेरी जानकारी में यह मामला नहीं है. मामला सामने आने के बाद ही कुछ कह सकता हूं. संजय कुमार,
मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव

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