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दूसरी पाली में कम मिलते हैं सीनियर डॉक्टर

मुआयना. राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स का हाल राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में कई सीनियर डॉक्टर निर्धारित ड्यूटी के समय नहीं मिलते हैं. खास कर दूसरी पाली में तो सीनियर डाॅक्टरों के दर्शन भी मुश्किल हैं. कुछ विभाग में यह आम बात है. प्रभात खबर की टीम ने बुधवार को इसका […]

मुआयना. राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स का हाल
राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में कई सीनियर डॉक्टर निर्धारित ड्यूटी के समय नहीं मिलते हैं. खास कर दूसरी पाली में तो सीनियर डाॅक्टरों के दर्शन भी मुश्किल हैं. कुछ विभाग में यह आम बात है. प्रभात खबर की टीम ने बुधवार को इसका जायजा लिया.
रांची : प्रभात खबर की टीम ने जब रिम्स की दूसरी पाली का जायजा लिया तो कई सीनियर डॉक्टर अपने अोपीडी से नदारद थे. हालांकि, कई चिकित्सक शाम पांच बजे तक बैठे हुए थे. कुछ डॉक्टर दूसरी पाली में आये, लेकिन आधे घंटे पहले ही निकल गये.
यह बात रिम्स के निदेशक डॉ आरके श्रीवास्तव भी मानते हैं कि कई सीनियर डॉक्टर तो सिर्फ हस्ताक्षर बनाने आते हैं. उधर, सीनियर होने के कारण उनके जूनियर कुछ बोल भी नहीं पाते हैं. यानी दूसरी पाली में मरीजों को परामर्श का जिम्मा जूनियर डाॅक्टरों पर ही रहता है. हालांकि, दूसरी पाली में चिकित्सकों पर नजर रखने के लिए उपस्थिति पुस्तिका की जांच रिम्स प्रबंधन द्वारा की जाती है.
ओपीडी किसका ओपीडी स्थिति
मेडिसिन डॉ जेके मित्रा 4.35 बजे डॉक्टर गये
आंख डॉ वीवी सिन्हा 3.35 में ही डाॅक्टर साहब नहीं थे
हड्डी डॉ गोविंद गुप्ता 3.20 में ही डॉक्टर साहब नहीं थे
सर्जरी डॉ शीतल मलुआ 4.50 में डॉक्टर साहब गये
न्यूरो सर्जरी डॉ अनिल कुमार 4.50 में डॉक्टर साहब गये
दांत डॉ बीके प्रजापति 4.00 बजे ही चले गये
स्कीन डॉ एसएस चौधरी 3.30 बजे ही चले गये
गायनी डॉ सरिता तिर्की 5.55 मौजूद थीं
कार्डियोलॉजी डाॅ प्रकाश कुमार 4.50 बजे मौजूद थे
प्रभारी निदेशक डॉ आरके श्रीवास्तव से सीधी बातचीत
आपके सीनियर डॉक्टर दूसरी में नहीं रहते है, क्या कहेंगे?
सीनियर डॉक्टर को दूसरी पाली में आना ही है. पांच बजे तक रह कर मरीजों को सेवा देनी है. अगर वे ऐसा नहीं कर रहे हैं, तो इसका मतलब वे ठीक से ड्यूटी नहीं करते हैं. अगर वह नहीं आते हैं, तो उनको शो कॉज किया जायेगा.
हािजरी पर नजर रखने के लिए उपस्थिति पुस्तिका होने के बाद भी यह स्थिति क्यों?
अब किसी को क्या कहा जाये? अपना-अपना काम करने का तरीका होता है. उनके अंदर वर्क कल्चर ही नहीं है. कुछ लोग हस्ताक्षर करने के लिए ही आते हैं. अनुपस्थित करने पर नाराज हो जाते हैं, लेकिन व्यवस्था में तो रहना ही होगा.

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