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Friday, March 29, 2024

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हाइकोर्ट ने लगायी डीजीपी को फटकार, पूछा क्‍यों बरामद नहीं हुए बच्‍चे

रांची : झारखंड हाइकोर्ट में शुक्रवार को गुमला के विभिन्न गांव से 35 बच्चों को नक्सलियों द्वारा उठा कर ले जाने के मामले में स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए पुलिस की सुस्त कार्रवाई पर नाराजगी […]

रांची : झारखंड हाइकोर्ट में शुक्रवार को गुमला के विभिन्न गांव से 35 बच्चों को नक्सलियों द्वारा उठा कर ले जाने के मामले में स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए पुलिस की सुस्त कार्रवाई पर नाराजगी जतायी.
सुनवाई के दौरान उपस्थित डीजीपी को फटकार लगाते हुए खंडपीठ ने पूछा कि बच्चे कहां हैं. जब पुलिस ने पता लगा लिया है कि नक्सलियों ने बच्चों को कहां रखा है, तब पुलिस ने बच्चों को सुरक्षित बरामद करने के लिए क्या कदम उठाया. एक्शन क्यों नहीं लेते. हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठे हैं. जब कोर्ट आदेश देगी, तब पुलिस एक्शन लेगी.
गुमला, लोहरदगा व लातेहार के 40 वर्ग किमी क्षेत्रफल में अवस्थित 38 गांवों में ही बच्चों के साथ नक्सलियों के होनी की सूचना है, तो कार्रवाई क्यों नहीं की गयी. 22 दिन बीत गये, लेकिन बच्चे बरामद नहीं किये गये. इन गांवों में बिजली, पानी, सड़क नहीं है. पुलिस हेलीकॉप्टर का उपयोग करें, लेकिन बच्चों को बरामद करने की दिशा में शीघ्र कदम उठाये.
खंडपीठ ने कहा कि दो साल में उक्त जिले को 90 करोड़ रुपये केंद्र से मिले. उन पैसों का क्या हुआ. अंधेरे को उजाले में बदलें. उक्त गांवों में बिजली, पानी, सड़क की सुविधा पहुंचायें. खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि मुख्य सचिव नक्सल प्रभावित जिलों के उपायुक्तों के साथ बैठक कर केंद्र से मिली राशि के खर्च की स्थिति, योजना की वास्तविक स्थिति की जानकारी प्राप्त करें तथा कोर्ट को अवगत करायें.
साथ ही केंद्र सरकार को शपथ पत्र दायर कर यह बताने का निर्देश दिया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए झारखंड को कितनी राशि किस-किस योजना के तहत कब-कब दी गयी है.
उस राशि की उपयोगिता क्या है. खंडपीठ ने केंद्र सरकार व राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 जून की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व सुनवाई के दौरान उपस्थित डीजीपी ने खंडपीठ को बच्चों को खोजने से संबंधित कार्रवाई की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि छह बच्चों को बरामद कर लिया गया है.
29 बच्चों को नक्सलियों से बरामद करने की कार्रवाई चल रही है. गुमला, लोहरदगा व लातेहार के 38 गांव अति नक्सल प्रभावित जंगली क्षेत्र है. वहां नक्सलियों के शीर्ष दस्ता के होने की पक्की सूचना है. पूरा इलाका नकुल यादव के कब्जे में है. पुलिस ने फोकस कर लिया है कि बच्चे कहां रखे गये हैं. पुलिस के पास संसाधन की कमी है. केंद्र सरकार से असिस्टेंस मांगा गया है.
जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता विनोद पोद्दार ने अदालती कार्रवाई की मीडिया रिपोर्टिग पर रोक लगाने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि अदालत में जो बातें होती हैं, उनकी भी रिपोर्टिग की जा रही है. उन्होंने इस पर अंकुश लगाने का आग्रह किया. कोर्ट ने महाधिवक्ता के आग्रह को खारिज करते हुए इस पर रोक लगाने से इनकार किया.
कहा कि मीडिया के कारण ही मामले सामने आते हैं. मीडिया रिपोर्ट पर ही यह मामला आधारित है. खबर छपने पर रोक कैसे लगायी जा सकती है. केंद्र सरकार के एएसजीआइ राजीव सिन्हा ने महाधिवक्ता की दलील का विरोध करते हुए कहा कि मीडिया पर रोक नहीं लगायी जा सकती है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संवैधानिक अधिकार है.
केंद्र ने दी जानकारी
केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता राजीव सिन्हा ने हाइकोर्ट में शपथ पत्र दाखिल कर कहा है कि बच्चों का उपयोग नक्सली ढाल के रूप में करते हैं. नक्सली बच्चों के हाथों में हथियार थमा देते हैं. केंद्र सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों का विकास करना चाहती है. इसके लिए कई योजनाएं चलायी जा रही है. देश भर के 106 जिले नक्सल प्रभावित है. इसमें झारखंड के 21 जिले भी हैं.
केंद्र सरकार प्रतिवर्ष प्रत्येक जिले के विकास के लिए 30 करोड़ रुपये के हिसाब से राशि राज्यों को आवंटित करती है. यह राशि वित्तीय वर्ष 2013-2014 व 2014-2015 के तहत दी गयी है. इसका उपयोग करना राज्य सरकार का काम है. सड़क से जोड़ने की योजना के तहत झारखंड सहित तेलंगाना, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र में 5,477 किमी सड़क बनाया जाना है.
इस पर 7,300 करोड़ खर्च होगा. 30 अप्रैल 2015 तक 4,880 करोड़ की लागत से 3,667 किमी सड़क बनायी जा चुकी है. मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के 2,199 लोकेशन पर मोबाइल टावर बनाना है, जिस पर 3,567.58 करोड़ रुपये खर्च होने हैं.
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