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बारिश के कारण काली पूजा पंडालों के पास जमा पानी

रांची : राजधानी में दो दिनाें से हो रही बारिश की वजह से काली पूजा पंडालों के ईद-गिर्द पानी जमा हो गया. इससे पूजा अौर दर्शन करनेवालों श्रद्धालुअों को काफी परेशानी हुई. श्रद्धालुअों ने दर्शन कर जल्दी ही घर पहुंचना बेहतर समझा डीएवी कपिलदेव मैदान स्थित काली पूजा समिति के पंडाल तक पहुंचने वाले रास्ते […]

रांची : राजधानी में दो दिनाें से हो रही बारिश की वजह से काली पूजा पंडालों के ईद-गिर्द पानी जमा हो गया. इससे पूजा अौर दर्शन करनेवालों श्रद्धालुअों को काफी परेशानी हुई. श्रद्धालुअों ने दर्शन कर जल्दी ही घर पहुंचना बेहतर समझा डीएवी कपिलदेव मैदान स्थित काली पूजा समिति के पंडाल तक पहुंचने वाले रास्ते में पानी जमा होने की वजह से कीचड़ हो गया था.

इससे पंडाल आने-जानेवाले श्रद्धालुअों को काफी परेशानी हुई. पंडाल के पास मैदान में मेला भी लगाया गया था. मेला में कई तरह के झूले लगे थे, लेकिन बारिश की वजह से मेला परिसर में सन्नाटा छाया हुआ था. दुकानदार अौर झूले वाले मायूस दिख रहे थे. जयपाल सिंह स्टेडियम के पास स्थित जय मां काली पूजा समिति के पंडाल तक पहुंचने के रास्ते में पानी भरा हुआ था. श्रद्धालु पानी में घुसकर ही किसी तरह पंडाल तक पहुंचे. निवारणपुर काली पूजा समिति के पंडाल के पास भी यही हाल था.

पानी भरे रास्ते से होते हुए श्रद्धालुअों को दर्शन के लिए जाना पड़ा. डोरंडा काली पूजा पंडाल के पास भी मेला लगा था. यहां भी दुकानदारों अौर झूलों वालों के चेहरे पर मायूसी छायी हुई थी. बारिश की वजह से उनके झूलों पर बैठने वाला कोई नहीं था.

बीएयू के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा के नोडल अफसर डॉ ए वदूद का कहना है कि 22 अक्तूबर तक मौसम साफ हो जायेगा. जो किसान रबी की खेती करना चाहते हैं, वे मौसम साफ होने पर खेत की तैयारी कर लें. इस समय किसान चना, मसूर, तीसी, मटर, तोरिया, गेहूं, आलू, हरी मटर आदि की खेती शुरू कर सकते हैं. जिन किसानों के पास तीन-चार सिंचाई की सुविधा हो, वे चना, मसूर, मटर, तीसी, सरसों, तोरिया की खेती कर सकते हैं. दलहनी फसलों के बीज राइजोबियम कल्चर से उपचारित कर ही बोना चाहिए. एक एकड़ खेत में दो पैकेट की जरूरत होती है. यह बीएयू के मृदा विभाग में भी उपलब्ध है. खेत में दीमक की समस्या हो तो क्लोरपाइरिफॉस-20 इसी कीटनाशी के साथ उपचारित करना चाहिए. डॉ वदूद का कहना है कि मध्यम जमीन में फसल पक कर तैयार हो गयी है. किसान इसकी कटाई मौसम की स्थिति को देखते हुए कर सकते हैं. काटते समय अगर फॉल्स स्मट रोग (सुनहरे रंग की बालियां) दिखें, तो इसे लिफाफे में डालकर जला दें.

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