इस आधार पर एनआइए और स्थानीय पुलिस के अधिकारी मामले की पड़ताल को ले नक्सलियों के साथ रमेश सिंह मुंडा स्मारक+2 विद्यालय और बारुहातू भी गये थे. इस मामले में जांच एजेंसी की पहली प्राथमिकता यह है कि वह यह जानना चाहती है कि पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा की हत्या के पीछे वजह क्या थी. नक्सलियों को लेवी नहीं देना या राजनीतिक विद्वेष.
उल्लेखनीय है कि करीब ढाई माह पूर्व एजेंसी ने मामले का अनुसंधान शुरू किया था. बता दें कि तमाड़ में एक स्कूल में कार्यक्रम के दौरान भाकपा माओवादियों ने नौ जुलाई 2008 को पूर्व मंत्री को गोलियों से छलनी कर दिया था. इसमें अंगरक्षक शेषनाथ सिंह, शिवनाथ मिंज व हाउस गार्ड मो खुर्शीद भी नक्सलियों की गोली लगने से मारे गये थे. मामले में नक्सली कुंदन पाहन व राम मोहन सिंह मुंडा के खिलाफ कुछ दिन पूर्व रांची स्थित कोर्ट में हत्या, साजिश, चोरी, हथियार लूटने, आर्म्स एक्ट और नक्सली होने से संबंधित 17सीएलए एक्ट के तहत चार्जफ्रेम किया गया था. चार्जफ्रेम की कार्यवाही के दौरान दोनों आरोपियों को बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार से न्यायालय में पेश किया गया था. दोनों ने आरोपों से इनकार किया था.