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जेबीसीसीआइ : तीन दिन मंथन के बाद भी नहीं हुआ समझौता

रांची: ज्वाइंट बाइपरटाइट कमेटी ऑफ कोल इंडस्ट्रीज (जेबीसीसीआइ)-10 की सातवीं बैठक तीन दिनों तक चली. तीन दिनों में करीब 22 घंटे चली मैराथन बैठक के बाद भी प्रबंधन और यूनियन के सदस्य कोई नतीजा पर नहीं पहुंच सके. शनिवार को दोपहर 12 बजे से शुरू हुई बैठक में कई बार सहमति बनाने का प्रयास हुआ, […]

रांची: ज्वाइंट बाइपरटाइट कमेटी ऑफ कोल इंडस्ट्रीज (जेबीसीसीआइ)-10 की सातवीं बैठक तीन दिनों तक चली. तीन दिनों में करीब 22 घंटे चली मैराथन बैठक के बाद भी प्रबंधन और यूनियन के सदस्य कोई नतीजा पर नहीं पहुंच सके. शनिवार को दोपहर 12 बजे से शुरू हुई बैठक में कई बार सहमति बनाने का प्रयास हुआ, लेकिन सहमति नहीं बन सकी. इसके बाद यूनियन के सदस्य बैठक छोड़ कर कर बाहर निकल गये. प्रबंधन ने अगली बैठक की तिथि 24 अगस्त तय की है. यूनियन के सदस्यों को इस दिन एक बजे दिल्ली में बुलाया गया है.
प्रबंधन पर लगाया आश्वासन देकर मुकरने का आरोप
यूनियन के सदस्यों ने बताया कि शनिवार को वार्ता सकारात्मक शुरूहुई थी. इसमें प्रबंधन कोयला कर्मियों को 21 फीसदी मिनिमम गारंटी बेनीफिट (एमजीबी) देने पर सहमत हो गया था. इससे पूर्व हुई बैठकों में पेंशन मद में सात फीसदी शेयर देने पर प्रबंधन सहमत हो चुका है. इसके अतिरिक्त सेवानिवृत्त कर्मियों के चिकित्सा मद में भी एक फीसदी राशि प्रबंधन देने पर सहमत है. इसमें एमजीबी पर 3269 करोड़ खर्च होता है. इसके अतिरिक्त पेंशन पर 984 तथा मेडिकल पर करीब 164 करोड़ रुपये खर्च होता है. प्रबंधन इस पर शुरू में सहमत हो गया था, लेकिन भोजन के बाद हुई बैठक में प्रबंधन इससे मुकर गया. प्रबंधन पहले भत्तों पर बात करने लगा. इसका यूनियन के सदस्यों ने विरोध किया. यूनियन का कहना था कि पहले प्रबंधन एमजीबी, पेंशन और मेडिकल भत्ता पर सहमत हो जायेगा, तो आगे वार्ता होगी. इस शर्त को मानने से प्रबंधन ने इनकार कर दिया. इसका विरोध करते हुए यूनियन के सदस्य बैठक छोड़कर बाहर निकल गये.
प्रबंधन के सामने भी कई परेशानी है. कोल इंडिया बोर्ड में कुछ कठोर सदस्य हैं, जो कहते हैं कि अधिकारियों की 15 फीसदी वेतन वृद्धि हुई है, तो कर्मचारियों को कैसे 20 फीसदी दे सकते हैं. इसके बावजूद हम लोगों ने काफी प्रयास किया. कोल इंडिया का एकाउंट विभाग काफी कमजोर है. इस कारण हिसाब में भी देरी हो रही थी. इसके बावजूद हम लोगों ने तीन दिनों में फैसला लेने का प्रयास किया. इसके बावजूद कोई नतीजा नहीं निकल पाया.
बीके राय, जेबीसीसीआइ सदस्य, बीएमएस
नाव किनारे तक पहुंच गयी है. 24 को इसे किनारा लगा दिया जायेगा. रास्ता निकालने का प्रयास किया गया है, लेकिन सफल नहीं हो सके.
लखन लाल महतो, जेबीसीसीअाइ सदस्य, एटक
अब हम लोग 24 को दिल्ली में बैठेंगे. कई बार सब कुछ तय होने के बाद पीछे हट जाने से कारण मामला अटक गया.
डीडी रामानंदन, जेबीसीसीअाइ सदस्य, सीटू
24 को पूरी तैयारी के साथ बैठक होगी. इसमें मजदूरों को भी आगे की लड़ाई के लिए तैयार रहना होगा. उस दिन निर्णय नहीं हुआ, तो कोई कड़ा निर्णय भी हो सकता है.
राजेश कुमार सिंह, एचएमएस

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