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शराब बिक्री, पेंशन व बिहार भवन विवाद पर उच्चस्तरीय समिति बनी

इंटरस्टेट जोनल काउंसिल की बैठक में बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड के बीच पहले से चले आ रहे विवादित कुछ मामले सुलझा लिये गये हैं. इसमें बिहार के साथ चला आ रहा नक्शा विवाद और पश्चिम बंगाल के साथ सीमा विवाद का मामला शामिल है. काउंसिल ने झारखंड में डॉप्लर रडार इसी साल दिसंबर तक […]

इंटरस्टेट जोनल काउंसिल की बैठक में बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड के बीच पहले से चले आ रहे विवादित कुछ मामले सुलझा लिये गये हैं. इसमें बिहार के साथ चला आ रहा नक्शा विवाद और पश्चिम बंगाल के साथ सीमा विवाद का मामला शामिल है. काउंसिल ने झारखंड में डॉप्लर रडार इसी साल दिसंबर तक लगाने का फैसला किया है.

बिहार से सटे सीमा क्षेत्र में शराब बिक्री के मुद्दे सहित अन्य अनसुलझे मामलों के निपटारे के लिए काउंसिल ने संबंधित राज्यों को मुख्य सचिवों की समिति बना कर आपस में सुलझाने को कहा है. बिहार सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्र में शराब बिक्री का मामला उठाया था. झारखंड से बिहार में शराब न जाये, इसके लिए दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को बैठक कर हल निकालने को कहा गया है. जोनल काउंसिल की सचिव नैनी जयशीलन और राज्य के विकास आयुक्त अमित खरे ने बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी.

इन दोनों अधिकारियों ने बताया कि काउंसिल की बैठक में चार तरह के मुद्दों पर चर्चा हुई. इनमें पुर्वोत्तर राज्यों से जुड़ी नक्सलवाद की समस्या, सदस्य राज्यों को बीच एक-दुसरे से जुड़ी समस्या, कुछ विकास योजनाओं और राज्य सरकार द्वारा उठाये गये मुद्दे शामिल थे. बैठक में राज्य सरकार के मुद्दों पर हुई चर्चा के बाद दिसंबर तक डॉप्लर रडार लगाने का फैसला किया गया. यह झारखंड के लिए खुशी की बात है. केडेस्ट्रल मैप के मुद्दे पर चल रहे विवाद को भी समाप्त कर लिया गया है. बिहार सरकार मैप झारखंड सरकार को दे देगी.
पश्चिम बंगाल सरकार के साथ क्षेत्र का विवाद था. पश्चिम बंगाल के मालदा और मुर्शिदाबाद जिला से सटे झारखंड के साहेबगंज जिला से सटे 49 गांव पर पश्चिम बंगाल सरकार दावा कर रहा था. इस विवाद को निपटाने के लिए संयुक्त रूप से सर्वे कर रिपोर्ट तैयार की गयी थी. यह रिपोर्ट पश्चिम बंगाल सरकार के पास हस्ताक्षर के लिए पड़ी हुई थी.
सरकार ने इस बैठक में अधिसचूना जारी कर देने की बात कही है. ओड़िसा और बिहार से संबंधित रेल परियोजनाओं के मुद्दे पर चर्चा की गयी. इसमें बिहार के रेल परियोजनाओं से जुड़ी सभी समस्याओं का समाधान हो गया है. जबकि ओड़िसा से जुड़े मामलों का समाधान नहीं हो सका. नशीले पदार्थ अफीम आदि की खेती के मुद्दों पर हुई चर्चा के बाद नारकोटिक्स ब्यूरो को मजबूत करने का फैसला लिया गया.
साथ ही नारकोटिक्स ब्यूरो के द्वारा राज्य में अफीम की खेती का हवाई सर्वेक्षण कराने का फैसला लिया गया. पूर्वोत्तर राज्यों में नक्सली समस्याओं के समाधान के लिए सभी राज्यों ने एक-दूसरे से मिल कर इससे निपटने का फैसला किया है. राज्यों में गठित यूनिफाईड कमांड की बैठक करने को कहा गया है. बिहार और झारखंड के बीच पानी विवाद से संबंधित मामले पर जल आयोग ने डैमों के सर्वेक्षण और उससे मिले आंकड़ों के विश्लेषण के बाद समाधान निकालने की बात कही.
झारखंड और बिहार के बीच पेंशन विवाद, को-ऑपरेटिव विवाद समेत अन्य विवादों का हल आज की बैठक में नहीं निकल सका. इन मुद्दों पर विचार करने के लिए संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों की एक समिति बनाने का फैसला किया गया है. विवादित मामलों पर संबंधित राज्यों के मुख्य सचिव आपस में बैठ कर उसका हल निकालने की कोशिश करेंगे. जिसके बाद तैयार रिपोर्ट पर संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री बैठक कर निर्णय लेंगे. होटल अशोका के बंटवारे के मुद्दे पर हुई चर्चा के दौरान यह पाया गया कि इसका 51 प्रतिशत शेयर केंद्र सरकार के पास है. शेष 49 प्रतिशत में झारखंड और बिहार को कितना हिस्सा मिले, इस पर मुख्य सचिव की समिति विचार करेगी.
आतंकवाद से निपटने के लिए सहयोग करे पाक : राजनाथ
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आतंकवाद से निपटने के लिए पाकिस्तान को सहयोग करना चाहिए. देश की सीमा में कई आतंकियों के घुसने और हाई अलर्ट जारी किये जाने की खबरों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह पहले आईबी डाइरेक्टर से बात करेंगे. काउंसिल की बैठक के बारे में उन्होंने कहा कि काउंसिल ने करीब 150 मामलों पर विचार किया गया. उनमें से 50 प्रतिशत मुद्दों का हल निकाल लिया गया है. शेष मुद्दों के निपटाने के लिए मुख्यसचिवों की समिति बनने को कहा गया है. रांची स्मार्ट सिटी के रुप में चुने जाने पर उन्होंने खुशी का इजहार किया.
भावनात्मक रिश्ता है, मिल कर सुलझायेंगे विवाद : नितिश
बिहार के मुख्यमंत्री नितिश कुमार ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि झारखंड को बिहार से अलग हुए 16 साल हो गये. अब भी कई विषय हैं, जिस पर विवाद कायम है. दोनों राज्यों के बीच भावनात्मक रिश्ता है. आपस में बैठकर मामले को सुलझायेंगे. सभी तरह के विवादों के लिए पहले दोनों राज्यों मुख्य सचिव की बैठक होगी. उनकी रिपोर्ट पर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री की बैठक होगी. जरुरत पड़ी तो गृह मंत्री और वहां के अधिकारी के साथ भी बैठक कर मामले को सुलझायेंगे.
झारखंड-बिहार भाई-भाई है : रघुवर
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि झारखंड-बिहार भाई-भाई है. जो भी समस्या है मिल कर सुलझायेंगे. 49 गांव का सीमा विवाद पश्चिम बंगाल से था. इस मामले को सुलझा लिया गया है. नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई में पड़ोसी राज्यों की पुलिस साथ मिल कर काम करेगी. नशीले पदार्थों की खेती और तस्करी रोकने के लिए कार्रवाई की जायेगी.
अर्द्धसैनिक बलों पर खर्च का 4139.79 करोड़ बकाया केंद्र दे : मुख्यमंत्री
पूर्वोत्तर परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि सालों पहले परिषद के सभी राज्य पश्चिम बंगाल, बिहार, ओड़िसा और झारखंड एक ही प्रदेश के हिस्सा थे. जो अलग-अलग समय में अस्तित्व में आयें. राज्यों की सीमावर्ती क्षेत्रों में खान-पान, रहन-सहन एक हैं. सीमावर्ती क्षेत्र की भाषाएं बंग्ला, हिंदी, उड़िया व भोजपुरी भी समान है. हमारी सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक मुद्दे एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. इसलिए आवश्यक है कि परिषद के हम चारो सदस्य आपस में मिल-बैठकर विकास की योजनाएं बनायें और अपनी समस्याओं को हल करने में एक-दूसरे का सहयोग करें. ताकि इस क्षेत्र की जनता को तेजी से विकास का लाभ मिल सके.
झारखंड में अर्द्धसैनिक बलों की प्रतिनियुक्ति के बकाये की राशि पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उग्रवाद प्रभावित राज्य होने के कारण विधि-व्यवस्था की समस्या है. इससे निपटने के लिए राज्य सरकार समय-समय पर अर्द्धसैनिक बलों की प्रतिनियुक्ति के लिए अनुरोध करती रही है. राज्य में अर्द्धसैनिक बलों की प्रतिनियुक्ति के दौरान उन पर खर्च हुए 4139,79,05,835 की प्रतिपूर्ती के लिए अनुरोध किया गया है. वामपंथी उग्रवाद की समस्या से पूरा देश प्रभावित है. इसलिए अर्द्धसैनिक बलों की प्रतिनियुक्ति पर होने वाले खर्च को केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाना चाहिए.
635 किमी सड़क को फोर लेन करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दें
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड एक लैंड लॉक्ड राज्य है. राज्य में उपलब्ध संसाधनों के परिवहन व उपयोग के लिए राज्य के भीतर व बाहर सड़क संपर्क मार्ग विकसित करना बहुत जरुरी है. राज्य सरकार ने 635 किमी लंबाई के पांच सड़कों को फोर लेन में परिवर्तित करने के लिए एनएचआई को प्रस्ताव भेजा है. ये सड़कें उत्तर प्रदेश, ओड़िसा, छत्तीसगढ़ व बिहार से आने-जाने की सुविधा देता है. राज्य में एनएच सड़क की लंबाई 2612 किमी है. इसमें से 1890 किमी सड़क राज्य सरकार के अधीन है. इसमें से 375 किमी सड़क अब भी सिंगल या इंटरमीडिएट लेन है. 169 किमी सड़क को टू-लेन में परिवर्तित करने के लिए छह प्रस्ताव सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को स्वीकृति के लिए भेजा गया है. इसलिए एनएचएआई और परिवहन मंत्रालय इन प्रस्तावों को प्राथमिकता के आधार पर स्वीकृति दे.
इन सड़कों को फोरलेन करने का है प्रस्ताव
– एनएच-75-260 किमी (रांची, लातेहार, पलामू, गढ़वा-उत्तर प्रदेश सीमा)
– एनएच-23-209 किमी (रांची-चाईबासा-जैतगढ़-ओड़िसा सीमा)
– एनएच-78- 23 किमी (गुमला-छत्तीसगढ़ सीमा)
– एनएच-133-86 किमी (हंसडीहा-झारखंड-बिहार सीमा)
– एनएच-98-55.4 (पड़वा मोड़-हरिहरगंज-बिहार सीमा)
90 रोड व 58 पुल के प्रस्ताव को स्वीकृत दें
मुख्यमंत्री ने राज्य की 24 में से 21 जिला को नक्सल प्रभावित जिला होने की बात करते हुए कहा कि राज्य में उन्नत सड़कों का होना जरुरी है. इससे क्षेत्र का विकास होगा और उग्रवाद पर नियंत्रण रखा जा सकेगा. राज्य सरकार ने नवंबर-2015 में 90 सड़क और 58 पुल नर्मिाण के लिए गृह मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा था. रुरल रोड प्रोजेक्ट (आरआरपी)-दो के तहत इन प्रस्तावों को प्राथमिकता के आधार पर स्वीकृत किया जाये. इसमें पलामू में छतरपुर-जपला रोड (16.5 किमी), गढ़वा स्थित खरसोटा मोड़-कसनाप रोड (23.30 किमी, गुमला के भीखमपुर-मेराल रोड (20.06 किमी), चतरा का उटामोड़-समासीन रोड (30 किमी), लातेहार का गिद्दी मोड़-मुरपा रोड (47.3 किमी), खूंटी का मुरहू-बंदगांव रोड (33.80 किमी) और गुमला का कोटाम-कुरुमगढ़ रोड (41.9 किमी) आदि प्रमुख है.
आठ आरओबी का नर्मिाण शुरु कराया जाये
मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार के अधिकारियों से आग्रह किया राज्य सरकार ने 37 रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) के नर्मिाण का प्रस्ताव दिया था. रेल मंत्रालय ने 32 आरओबी नर्मिाण को स्वीकृति दी है. आरओबी की अन्य पांच योजनाओं को स्वीकृत किया जाये. साथ ही आठ आरओबी का निर्माण का काम इसी साल शुरु किया जाये. राज्य सरकार ने खर्च का 50 प्रतिशत दे दिया है.
पेंशन बंटवारा व दिल्ली स्थित गेस्ट हाउस विवाद कोर्ट के बाहर सुलझाएं
बिहार के साथ पेंशन दायत्वि बंटवारा मुद्दा का जक्रि करते हुए मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ राज्य में जनसंख्या के आधार पर पेंशन दायित्व का बंटवारा किया गया. झारख‍ंड के संबंध में यह शिद्धांत नहीं अपनाया गया. इससे राज्य सरकार पर अतिरक्ति वत्तिय भार पड़ा है. हलांकि यह मामला अदालत में लंबित है. फिर भी अदालत से बाहर इस मामले को निपटाने के लिए पहल किया जाना चाहिए. इसी तरह दिल्ली स्थित बिहार भवन अभी तक झारखंड सरकार को स्थानांतरित नहीं किया गया है. यह मामला भी कोर्ट में लंबित है. इसे भी अदालत के बाहर निपटाने का पहल किया जाना चाहिए.
सैनिक कल्याण निदेशालय का बंटावार हो
राज्य गठन के वक्त सैनिक कल्याण निदेशालय के उपयोग के लिए संपत्ति का बंटवारा 3:1 के अनुपात में हुआ था. तब एकीकृत निधि कोष की राशि 22 करोड़ रुपये थी. इसका बंटवारा अब तक नहीं हुआ है. सैनिक कल्याण निदेशालय, बिहार पटना से लगातार संपर्क के बाद भी अब तक इस दिशा में कोई प्रगती नहीं हो सकी है.
वन भूमि के बदले भूमि के हस्तांतरण से छूट मिले
रघुवर दास ने मांग किया कि केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की तरह ही राज्य सरकार की संस्थाओं को भी वन भूमि के बदले भूमि के हस्तांतरण की छूट मिले. वर्तमान में राज्य की एजेंसियों के लिए वनभूमि के बदले उसके बराबर भूमि का स्थानांतरण करना अनिवार्य है. इस तथ्य को ध्यान में रखने की जरुरत है कि सरकारी दस्तावेज में जंगल-झाड़ी के रुप में दर्ज जमीन भी वन भूमि की परिभाषा में आता है. इस कारण राज्य की विकास योजनाएं बाधित हो रही हैं.
नशीले पदार्थ की तस्करी रोकने के लिए बने संयुक्त व्यवस्था
मुख्यमंत्री ने कहा कि मादक दवाओं व नशीले पदार्थों की तस्करी हमारे राज्यों में बढ़ रही है. इसे रोकने के उद्देश्य से सूचना या खुफिया जानकारी को साझा करना लाभप्रद होगा. इसके लिए पड़ोसी राज्यों की पुलिस, एक्साईज व नारकोटक्सि ब्यूरो के बीच नियमित बातचीत करने के लिए संयुक्त तंत्र बनाया जाना चाहिए.
वज्रपात से मरने पर मिले सहायता राशि
मुख्यमंत्री ने प्राकृतिक आपदा वज्रपात की चर्चा करते हुए कहा कि देश भर में इससे होने वाली मौत का औसत आंकड़ा प्रति वर्ष 400 है. अकेले झारखंड में यह आंकड़ा 200 व्यक्ति प्रतिवर्ष है. इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करते हुए भारत सरकार पीड़ितों के लिए सहायता व अनुदान राशि उपलब्ध कराये.
सूखा राहत कोष में और राशि दें
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2015-16 में समय से पहले मॉनसून की वापसी के कारण हुई फसल की क्षति के लिए 6800 रुपया प्रति हेक्टेयर मुआवजा की दर है. इसी तरह क्षतग्रिस्त जलाशय, डैम, पेयजल आपूर्ति संरचना की मरम्मती के लिए 1.50 लाख की अधिकतम सीमा नर्धिारित है. यह राशि अपर्याप्त है. इसे संसोधित करते हुए राशि की सीमा वास्तविक व्यय के अनुसार बढ़ाया जाये.
कॉमफेड का मामला जल्द सुलझायें
मुख्यमंत्री ने गृह मंत्रालय के अधिकारियों से आग्रह किया कि रांची, बोकारो व जमशेदपुर को दुग्ध उत्पादन परियोजना एवं मवेशी चारा संयंत्र के स्वामित्व का मुद्दा जल्द सुलझायें. काॅमफेड की ये तीनों संयंत्र झारखंड में है, लेकिन इस पर स्वामित्व बिहार सरकार का है. इससे झारखंड के दुग्ध उत्पादकों को नुकसान हो रहा है. इन संयंत्रों का स्वामित्व झारखंड सरकार को मिलने से दुग्ध उत्पादको की सामाजिक, आर्थिक स्थिति में सुधार आयेगा.
इज आफ डुइंग बिजनेस में तीसरे स्थान पर पहुंचे
रघुरवर दास ने कहा कि राज्य में कानून का शासन एवं न्याय के साथ विकास के मूलमंत्र पर योजनाबद्ध तरीके से काम किया जा रहा है. सामाजिक एवं आधारभूत संरचना के क्षेत्र में हम तेजी से प्रगति कर रहे हैं. इसी का परिणाम है कि हम ईज आफ डुइंग बिजनेस (व्यापार शुरु करने की आसानी) में तीसरे स्थन पर हैं. वश्वि बैंक द्वारा किये गये आकलन में हमें 63.07 प्रतिशत अंक मिले. आकलन में यह उल्लेख किया गया है कि हमने चार क्षेत्रों संपत्ति के निबंधन, पर्यावरणीय आपत्ति, वाणिज्य कर और भूमि के आवंटन में बहुत विकास किया है.

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